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बीटीयू:बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में बिना लिखित परीक्षा कराए पीएचडी में प्रवेश पर रोक लगाने का मामला

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बीटीयू:बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में बिना लिखित परीक्षा कराए पीएचडी में प्रवेश पर रोक लगाने का मामला

बीकानेर

बीकानेर तकनीकी विवि में जिन लोगों को बिना लिखित प्रवेश परीक्षा के पीएचडी के लिए कॉल लेटर जारी किए उस पर अब बोम में पारित मुद्दे को पूर्व और वर्तमान कुलपति अपने-अपने नजरिये से परिभाषित कर रहे हैं। पूर्व कुलपति का कहना है कि बोम में पारित एजेंडे को कोई कुलपति नहीं बदल सकता तो मौजूदा कुलपति बोले, बिलकुल सही है। मैने भी बोम का निर्णय बदला पर एजेंडे के 17.8 को अच्छे से पढ़े तो कोई। उसमें स्पष्ट लिखा कि यूजीसी नियमों के तहत एजेंडा पारित किया जाना चाहिए।

दरअसल बीकानेर तकनीकी विवि की 3 फरवरी 2024 को 17वीं बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक हुई। उसमें प्रस्ताव संख्या 17.8 रखा गया जिसमें विवि, संघटक महाविधालय, संबंधित कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक,राजभवन, राज्यसरकार व उद्योग जगत में कार्यरत कर्मचारियों अधिकारियों को पीएचडी में प्रवेश परीक्षा की शर्तों में छूट देने के संबंध में प्रस्ताव रखा गया।

बोम की प्रोसीडिंग जो जारी हुई उसमें 17.8 क्रमांक पर स्पष्ट उल्लेख है कि माननीय सदस्य गणों की ओर से इस प्रस्ताव को विवि अनुदान आयोग की ओर से जारी निर्देशों के मुताबिक प्रायोजित श्रेणी के तहत अनुमाेदन प्रदान किया जाता है। बोम के 17.8 बिंदु के प्रस्ताव और अनुमोदन की भाषा पर ही दोनों कुलपति अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं। पूर्व कुलपति अंबरीश शरण विधार्थी कहते हैं कि रिसर्च बोर्ड, एकेडमिक काउंसिल से पारित होकर ये बोम में रखा गया और बोम ने उसे पारित किया।

मौजूदा कुलपति प्रो.आर.के.शर्मा कह रहे कि बिलकुल पारित है पर यूजीसी नियमों के तहत सदस्यों ने इसे पारित किया है। इसलिए जो यूजीसी के नियम हैं मैं उसी नियम के तहत प्रवेश प्रक्रिया जारी रखूंगा। पूर्व वीसी अपने हिसाब से रखे गए एजेंडे को पारित मान रहे हैं जबकि मौजूदा वीसी ने यूजीसी नियमों के तहत लाइन को पकड़कर सारे प्रवेश पर रोक लगा दी है।

अब समझें क्या कहते हैं यूजीसी नियम

द गजट ऑफ इंडिया के पार्ट 3 सेक्शन चार के पेज नंबर चार पर दो नंबर बिंदु में उल्लेख है कि उच्चतर शिक्षण संस्थाएं साक्षात्कार के आधार पर यूजीसी नेट/यूजीसी सीएसआईआर नेट/गेट/सीईईडी और इसी तरह के राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में छात्रवृत्ति के लिए अर्हता प्रदान कर सकते हैं या उच्चतर शिक्षण संस्थाएं अपने स्तर पर आयाेजित प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दे सकती हैं।

प्रवेश परीक्षा में 50 प्रश्न शाेध पद्धति और 50 प्रश्न विशिष्ट विषय के पूछे जाएंगे। प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियाें काे साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। यानी यूजीसी में सीधे इंटरव्यू में वही अभ्यर्थी बुलाए जा सकते हैं जिन्होंने यूजीसी के आधार पर नेट किया हुआ है मगर बीटीयू ने कुछ ऐसे लोगों को भी सीधे इंटरव्यू में बुलाया जिन्होंने नेट नहीं किया।

“लोगों को अध्ययन करना चाहिए कि बोम ने क्या पारित किया। मैने रिसर्च बोर्ड, एकेडमिक काउंसिल, राज्य सरकार से परमिशन लेने के बाद बोम में रखा। बोम ने उसे पारित किया है। तभी न प्रवेश के लिए आगे कदम बढ़ाया। किसी वाइस चांसलर को बोम का निर्णय बदलने का हक नहीं होता।”
-प्रो.अंबरीश शरण, पूर्व वीसी बीटीयू

“बिलकुल, मैं भी सहमत हूं कि वीसी को बोम का निर्णय बदलने का अधिकार नहीं होता पर बीटीयू बोम ने प्रस्ताव को यूजीसी नियमों के आधार पर प्रवेश देने का पारित किया है। यूजीसी के नियम कोई भी पढ़ ले। उसमें कहां लिखा कि बिना नेट वालों को सीधे इंटरव्यू में बुला लो। इसलिए मैने होल्ड पर रखा और नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करूंगा।”
-प्रो.आर.के.शर्मा, वीसी बीटीयू

मामला क्या है
दरअसल फरवरी में ही बीटीयू ने बोम में ये प्रस्ताव रखा कि जो एमटेक हैं और नेट नहीं किया उनको बोम में पारित करके पीएचडी के लिए लिखित परीक्षा देने से बचाते हुए सीधे इंटरव्यू में बुलाया जाए। बोम ने यूजीसी के नियमों का हवाला देते पारित कर दिया। पूर्व वीसी ने अपनी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले एमटेक वालों को प्रोविजनल कॉल लेटर जारी कर दिया।

तीन को नए वीसी ने ज्वाइन करते हुए यूजीसी नियमों का हवाला देते हुए उसे होल्ड कर दिया। भास्कर ने जब ये खबर प्रकाशित की तो पूर्व वीसी ने फिर दावा किया कि बोम में पारित एजेंडे को कोई वीसी नहीं बदल सकता तो भास्कर ने यूजीसी नियम और बोम में पारित एजेंडे की हकीकत की पड़ताल की और सारा मामला सामने रखा। पूर्व और वर्तमान वीसी अब भी अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं।

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