बुराई पर अच्छाई की जीत का नाम ईद
अवगुणों का त्याग कर परम ईश्वर के रास्ते पर चलने का नाम रमजान और इससे मिलने वाली खुशी को ईद कहते हैं : युनूस मंसूरी राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय मंसूरी समाज
ईर्ष्या, द्वैष्ता, नफरत को मिटाकर अमन, भाईचारा आपसी सद्भाव का नाम ईद है क्योंकि नफरत के साथ खुशी नहीं मनाई जा सकती और अरबी में खुशी को ईद कहते हैं। बुराई पर भलाई की जीत का नाम ईद है।
अवगुणों को त्याग कर सद्गुणों को अपनाना रमजान का असल मकसद है। अवगुण चाहे शारीरिक हो या मानसिक हो दिल से त्याग करना ही रोजो का अंतिम लक्ष्य होता हैं। और जब मानव इन अवगुणों का त्याग कर देता है तो उसे परमेश्वर खुशी देता है जिसे ईद कहां गया है।
“बैर वैमनस्य भूल कर, सब देंगे एक दूजे को बधाई”
“एक माह के रोजे के बाद, घड़ी आज ये खुशीयों की आई”
इस खुशी में हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्म जाति पंथ संप्रदाय समाज के लोगों का हिस्सा होता है यह खुशी सभी के लिए बराबर है। काशीपुर से सांप्रदायिक सौहार्द और कौमी एकता की मिसाल बनी सरोज रस्तोगी और अनीता रस्तोगी बहनों ने ईदगाह के विस्तार के लिए डेढ़ करोड़ कि चार बीघा जगह दी है इससे मिलने वाली आत्मीय शांति और खुशी को ही असल ईद कहेंगे।
भारत में ईद-उल फितर (मीठी ईद) का पर्व कल यानी 3 मई को रमजान के 30 रोजो के बाद हर्षोल्लास भाईचारे के साथ मनाया जायेगा। इसे लेकर शासन प्रशासन सरकार सभी ने पूर्ण तैयारियां कर ली है और सभी ईद की खुशियों में शामिल होंगे।

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