मणिपुर वायरल वीडियो केस में 5वीं गिरफ्तारी:चुराचांदपुर में 5000 कुकी महिलाओं का प्रदर्शन; निर्वस्त्र की गई एक महिला के पति कारगिल युद्ध लड़े
मणिपुर के काकचिंग जिले में शुक्रवार को महिलाओं ने हिंसा के खिलाफ मशाल मार्च निकाला।
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने के मामले में पांचवें आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले गिरफ्तार किए गए 4 आरोपियों की शुक्रवार को कोर्ट में पेशी हुई। उन्हें 11 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।
उधर, चुराचांदपुर जिले में 5 हजार कुकी महिलाओं ने काले कपड़े पहनकर इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया। इंफाल में भी महिलाएं सड़कों पर उतरीं और टायर जलाए। सुरक्षाबलों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया।
निर्वस्त्र की गई एक महिला के पति कारगिल युद्ध लड़ चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने कारगिल युद्ध में देश को दुश्मनों से बचाया, लेकिन दंगाइयों से अपनी पत्नी की इज्जत नहीं बचा सका।’ पीड़ित के पति असम राइफल्स में सूबेदार थे।
इंफाल के गढ़ी माखा लेइकाई इलाके में प्रदर्शन के दौरान टायरों में आग लगा दी गई।
मणिपुर मामले पर बड़े बयान…
- राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक और राजस्थान जैसे राज्यों में जा रहे हैं, लेकिन मणिपुर नहीं जा रहे।
- झारखंड के CM हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर कहा है कि हम मणिपुर में आदिवासियों के साथ ऐसा भयानक व्यवहार नहीं होने दे सकते।
- राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि CM एन बीरेन सिंह को हटाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
महिलाओं ने मुख्य आरोपी हुइरेम हेरोदास मैतेई के घर को तोड़ दिया और आग लगा दी।
4 मई को थोउबाल जिले में हुई थी घटना
महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना 4 मई को थोउबाल जिले में हुई थी। इसका वीडियो 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि कुछ लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके ले गए और उनसे अश्लील हरकतें कीं।
एक पीड़ित महिला के पति ने बताया- ‘हजार लोगों की भीड़ ने गांव पर हमला किया था। मैं भीड़ से अपनी पत्नी और गांव वालों को नहीं बचा पाया। पुलिसवालों ने भी हमें सुरक्षा नहीं दी। भीड़ तीन घंटे तक दरिंदगी करती रही। मेरी पत्नी ने किसी तरह एक गांव में पनाह ली।’
वहीं, वीडियो में दिख रही दूसरी महिला की मां ने कहा- ‘अब हम कभी अपने गांव नहीं लौटेंगे। वहां मेरे छोटे लड़के की गोली मारकर हत्या कर दी गई, मेरी बेटी को शर्मिंदा किया गया। अब मेरे लिए सब कुछ खत्म हो चुका है।’
तस्वीर घटना के मुख्य आरोपी हुईरेम हिरोदास मैतेई (32) की है। दूसरा फोटो वीडियो से लिया गया है, जिसमें आरोपी दिखाई दे रहा है। फिलहाल, आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है।
2 महीने में दर्ज हुईं 6 हजार FIR
मणिपुर में 3 मई से 28 जून तक 5,960 FIR दर्ज हुईं। इनमें से 1,771 केस जीरो FIR के रूप में दर्ज हुए। इनमें से एक तिहाई मामले महिला उत्पीड़न से जुड़े हुए थे। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, मणिपुर में 2019 में 2,830, 2020 में 2,349 और 2021 में 2,484 FIR ही दर्ज हुई थीं। वहीं, इस साल मई-जून में ही करीब 6 हजार मामले दर्ज हो गए।
राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने खुद माना है कि हिंसा के दौरान में राज्य के विभिन्न थानों में हजारों FIR दर्ज हुई हैं। जातीय हिंसा की वजह से लोग FIR दर्ज कराने के लिए एक-दूसरे के इलाके में नहीं जा रहे। जीरो FIR दिल्ली, आइजोल और गुवाहाटी में भी दर्ज हो रही हैं।
यह फोटो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने के वीडियो से ही ली गई है। हमने महिलाओं वाले हिस्से को नहीं लगाया है। यह हुजूम आरोपियों का है।
ममता ने भाजपा से पूछा- बेटी बचाओ नारा कहां है?
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार (21 जुलाई) को मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- आपने ‘बेटी बचाओ’ का नारा दिया था, अब आपका नारा कहां है। आज मणिपुर जल रहा है, पूरा देश जल रहा है। आप पश्चिम बंगाल पर उंगली उठाते हैं, लेकिन क्या आपको बहनों और मांओं के लिए प्यार नहीं है? कब तक बेटियां जलाई जाएंगी?
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले मणिपुर की घटना पर दुख व्यक्त किया था।
संसद में दूसरे दिन भी हंगामा
मणिपुर हिंसा को लेकर संसद सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार (21 जुलाई) को दूसरे दिन विपक्षी दलों ने हंगामा किया। इसके चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई। दोनों सदनों को 24 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार चर्चा करने को तैयार है। कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने दोनों सदनों में चर्चा का नोटिस दिया था।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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