मोदी की सभा अब नागौर से पहले सीकर में:खरनाल में अब 16 अगस्त को आएंगे; जानिए- अचानक क्यों बदला पीएम का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 28 जुलाई को नागौर में होने वाली सभा अब एक दिन पहले 27 जुलाई को सीकर में होगी। मोदी अब नागौर के बजाय सीकर से देशभर के 9 करोड़ किसानों के खातों में सम्मान निधि की राशि एक साथ ट्रांसफर करेंगे।
कृषि मंत्रालय और फर्टिलाइजर मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित यह कार्यक्रम पहले वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में होना था, लेकिन अब इसका स्थान बदलकर सीकर का जिला स्टेडियम किया गया है। कार्यक्रम की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को दी गई है।
खरनाल का कार्यक्रम अब 16 अगस्त को
वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में पीएम मोदी की सभा फिलहाल स्थगित की गई है, लेकिन रद्द नहीं की गई है।
इसका स्वरूप बदलकर सरकारी कार्यक्रम के बजाय अब राजनीतिक रैली के रूप में कर दिया गया है। खरनाल में मोदी अब 16 अगस्त को रैली करेंगे।
पहले इसे केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से आयोजित किया जाना था, लेकिन अब इसकी जिम्मेदारी पार्टी के संगठन की ओर से उठाई जाएगी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 जुलाई को बीकानेर के नौरंगदेसर गांव में सभा को संबोधित किया था।
राजस्थान में मोदी का फोकस
भाजपा सूत्रों के अनुसार राजस्थान मोदी के लिए फोकस एरिया बना हुआ है। मोदी ने जितनी सभाएं अब तक राजस्थान में की है, बाकी चुनावी राज्यों में नहीं की।
माना जा रहा है कि राजस्थान का चुनाव भाजपा के लिए धीरे-धीरे चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है। इसकी वजह खासकर इस बार कांग्रेस सरकार की उतनी एंटीइंकबेंसी नहीं होना है, जितनी 2013 के चुनावों में थी।
गहलोत की फ्री स्कीम्स और सरकार की योजनाओं का असर जनता में दिखाई दे रहा है। दूसरी वजह- पहले गहलोत-पायलट खेमों में बंटी कांग्रेस में दिल्ली में हुई 6 जुलाई की बैठक के बाद आए बदलाव के बाद भी माहौल बदला है।
एकजुटता की ओर बढ़ी कांग्रेस में बदले हुए माहौल से भाजपा अंदरखाने परेशान है। इस वजह से भाजपा इस बार के चुनाव में मोदी की ज्यादा से ज्यादा सभाएं राजस्थान में कराने पर फोकस कर रही है।
भाजपा के लिए शेखावाटी कमजोर कड़ी
नागौर संसदीय सीट को भाजपा पहले से ही सबसे कमजोर सीट मानकर चल रही है। यहां के लिए लगातार अलग रणनीति पर काम हो रहा है।
केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान को यहां के राजनीतिक समीकरणों को सुधारने के लिए भाजपा ने छह माह पहले से जिम्मेदारी दे रखी है।
नागौर की तरह ही भाजपा के लिए शेखावाटी क्षेत्र भी कमजोर कड़ी के तौर पर माना जा रहा है। पिछले चुनाव में सीकर जिले की आठ विधानसभा सीटों में से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। पिछले तीन चुनाव की बात करें तो सीकर में 2008 में भाजपा को सिर्फ खंडेला सीट पर जीत मिली।
इसके बाद 2013 के चुनाव में उसकी स्थिति सुधरी और धोद, सीकर, खंडेला, नीमकाथाना और श्रीमाधोपुर में जीत हासिल हुई, लेकिन 2018 के चुनाव में सीकर की आठ सीटों में से सात पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया जबकि खंडेला सीट निर्दलीय के खाते में गई।
शेखावाटी में आने वाले चूरू और झुंझुनूं में भी भाजपा की स्थिति कांग्रेस के मुकाबले कमजोर है। पिछले चुनाव में चूरू में भाजपा 6 सीटों में से सिर्फ दो सीटें ही जीत पायी थी जबकि झुंझुनूं में सात सीटों में से मात्र दो सीटों पर उसके प्रत्याशियों को जीत मिली।
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