मोदी के विभागों में पहली बार राजस्थान के 21IAS:हर मुख्यमंत्री की पसंद रहे सुधांश स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव, 3 और अफसर बनेंगे सेक्रेटरी
राजस्थान कैडर के आईएएस अफसर सुधांश पंत ने बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव का पद संभाल लिया है। कोरोना के दौरान पंत की सेवाएं खुद केन्द्र सरकार ने मांगी थी, तब उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय में लगाया गया था। अब उनके अनुभव और योग्यता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव बनाया गया है।
डेढ़ साल में पांच ट्रांसफर से परेशान पंत करीब सात महीने पहले राजस्थान से दिल्ली गए थे। पंत के अलावा प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में ही राजस्थान कैडर के तीन और आईएएस अफसर संजय मल्होत्रा, रोहित कुमार सिंह और वी. श्रीनिवास भी सचिव के पद पर कार्यरत हैं। इनके अलावा 7 और आईएएस अफसर हैं, जिन्हें अतिरिक्त सचिव के पद पर केन्द्र में टॉप पोस्टिंग मिली हुई है। इनमें से तीन अफसरों को जुलाई मध्य तक प्रमोशन मिलने की संभावना है। उसके बाद वे भी सचिव के पद पर पहुंच जाएंगे।
केन्द्रीय मंत्रालयों में प्रतिनियुक्ति पर जाना आम बात है, लेकिन उन मंत्रालयों में सचिव पद तक पहुंचना ब्यूरोक्रेसी में बड़ी बात मानी जाती है। प्रधानमंत्री मोदी के नौ साल के कार्यकाल में पहली बार राजस्थान के आईएएस अफसरों को अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा तवज्जो मिली है। प्रदेश के 21 आईएएस अफसर केन्द्रीय विभागों में हैं। पहले यह संख्या कभी भी 12-13 से ज्यादा नहीं रही। राजस्थान के दो आईएएस अफसरों को तो रिटायरमेंट के बाद मोदी सरकार ने पद्म विभूषण और चुनाव आयुक्त बनाने जैसे फैसले भी किए। इससे पहले ऐसा सम्मान राजस्थान के किसी आईएएस अफसर को नहीं मिला।
यह बनेंगे अतिरिक्त सचिव से सचिव
राजस्थान कैडर के 7 आईएएस अफसर रजत कुमार मिश्रा, तन्मय कुमार, आलोक, रोली सिंह, राजीव सिंह ठाकुर, नरेश पाल गंगवार और रोहित कुमार केन्द्रीय मंत्रालयों में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। इनमें से रजत कुमार मिश्रा को सचिव बनाया जाना तय (एनपेनलमेंट) हो गया है। तन्मय कुमार और आलोक को जुलाई मध्य तक सचिव के पद पर पदोन्नति मिलने की संभावना है। रोली, ठाकुर, गंगवार और रोहित कुमार को एक वर्ष बाद सचिव के पद पर पदोन्नति मिल सकती है।
गहलोत के बजट शिल्पकार को मोदी ने सौंपा था आर्थिक मामलात मंत्रालय में पद
सीएम गहलोत को अपने तीनों कार्यकाल में वे आईएएस अफसर बहुत पसंद आए, जिनकी समझ और योग्यता वित्त विभाग के लिए शानदार हो। पूर्व में वे वित्त विभाग में टी. श्रीनिवासन और सीके मैथ्यू को लेकर आए थे, जिन्हें बाद में उन्होंने मुख्य सचिव बनाया। उसके बाद में पिछले कार्यकाल में उनके बजट को तैयार करने के मुख्य शिल्पकार थे रजत कुमार मिश्रा।
वी. श्रीनिवास की ही तरह रोहित कुमार भी सीधे पीएमओ से जुड़े हैं
रोहित कुमार केन्द्रीय केबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव हैं। यह विभाग भी सीधे पीएमओ से जुड़ा हुआ है। यहां अतिरिक्त सचिव या सचिव होने का मतलब है सीधे प्रधानमंत्री के साथ काम करना।
उषा शर्मा थीं मोदी टीम में गहलोत उन्हें वापस लाए राजस्थान और बनाया मुख्य सचिव
प्रदेश की मुख्य सचिव (सीएस) उषा शर्मा मोदी टीम में थीं। वह केन्द्रीय खेल मंत्रालय में सचिव थीं। उससे पहले जब मोदी पीएम बने तब उषा दिल्ली में ही थीं। पर्यटन और पुरात्तत्व उनके कॅरियर में शुरू से उनके पसंदीदा विषय रहे हैं। इन्हीं से जुड़े विभागों में वे राजस्थान में भी और केन्द्र में भी कार्यरत रहीं।
केन्द्र में सचिव का पद राज्य के मुख्य सचिव के बराबर
केन्द्रीय मंत्रालयों में सचिव का पद राज्यों के हिसाब से मुख्य सचिव के बराबर माना जाता है। राज्यों में जो आईएएस अफसर अतिरिक्त मुख्य सचिव के स्तर पर आ जाते हैं, केवल उन्हीं को केन्द्र में सचिव बनाए जाने के योग्य माना जाता है। जिस तरह से किसी राज्य में मुख्य सचिव बनने तक आईएएस अफसर लगभग अपने रिटायरमेंट के आस-पास पहुंच जाते हैं, वैसी ही सीनियरिटी की जरूरत इस पद के लिए भी होती है।
वी. श्रीनिवास को पीएमओ के प्रशासनिक सुधार विभाग में बनाया गया है सचिव
राजस्थान कैडर में तीसरे नंबर की सीनियरिटी वाले वी. श्रीनिवास प्रधानमंत्री मोदी की पसंद के टॉप-20 अफसरों में गिने जाते हैं। उन्हें सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधीन कार्यरत विभाग प्रशासनिक सुधार में सचिव बनाया गया है। श्रीनिवास को ब्यूरोक्रेसी में नवाचारों और सिस्टम को पब्लिक फ्रेंडली बनाने के लिए जाना जाता है। राजस्थान कैडर में पीएम मोदी के सर्वाधिक नजदीक अब तक राजीव महर्षि और सुनील अरोड़ा को माना जाता रहा है, लेकिन उन दोनों के रिटायर होने के बाद अव श्रीनिवास उस जगह पर देखे जाते हैं।
वी श्रीनिवास को चार वर्ष पहले सीएम गहलोत ने राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया था। अब वे पीएमओ में सचिव हैं और पीएम मोदी के सबसे नजदीक आईएएस अफसरों में उनकी गिनती होती है।
पंत की दो मंत्रियों से नहीं बैठी पटरी
जलदाय विभाग की कमान संभालने के दौरान उनकी विभागीय मंत्री डॉ. महेश जोशी और खान राज्य मंत्री प्रमोद जैन भाया से बिल्कुल पटरी नहीं बैठी। तब उन्होंने केन्द्र में जाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। उससे पहले वे कोरोना काल में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में ही नियुक्त थे। जब दिल्ली जाने के लिए उनका पैनलमेन्ट हुआ तो राज्य सरकार ने उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत नहीं दी थी। वे प्रयास करते रहे आखिर में उन्हें इजाजत मिली। पहले उन्हें केन्द्र सरकार ने जहाजरानी मंत्रालय में लगाया और महज छह महीने में ही उन्हें अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले स्वास्थ्य मंत्रालय में लगा दिया है।
रोहित कुमार सिंह भी हैं सचिव के पद पर
राजस्थान कैडर के आईएएस अफसर रोहित कुमार सिंह उपभोक्ता मामलात मंत्रालय में सचिव के पद पर हैं। उनका विभाग डायरेक्ट 140 करोड़ भारतीयों को सेवाएं प्रदान करता है। उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए लगातार बन रहे नए कानूनों पर सिंह का काम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सिंह की पत्नी नीना सिंह भी राजस्थान कैडर में आईपीएस हैं।
राजस्थान कैडर की एक आईपीएस को भी डिप्टी सेक्रेटरी की पोस्ट
राजस्थान कैडर की एक महिला आईपीएस अफसर हैं प्रीति जैन, उन्हें वित्त मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी की पोस्ट दी गई है। ब्यूरोक्रेसी में यह लगातार चर्चा का विषय है कि आईपीएस को आम तौर पर बीएसएफ, आईटीबीपी, सीबीआई, सीआईएसएफ में तो पोस्टिंग दी जाती रही है, लेकिन वित्त मंत्रालय में नहीं। फिर भी इस बार ऐसा हुआ है। पोस्टिंग से पहले प्रीति का इंटरव्यू खुद सीतारमण ने लिया था। प्रीति अर्थशास्त्र में एम.फिल. टॉपर हैं।
राजस्थान कैडर की आईपीएस ऑफिसर प्रीति जैन जिन्हें वित्त मंत्रालय में पोस्टिंग दी गई है, जबकि आम तौर पर आईपीएस को वित्त मंत्रालय में पोस्टिंग नहीं दी जाती है।
राजीव महर्षि : राजस्थान कैडर के IAS से पद्म विभूषण तक
वर्ष 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने योग्य अफसरों पर देश भर में निगाह दौड़ाई तो सबसे पहले राजस्थान के तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव महर्षि (1980 बैच) को चुना। महर्षि को उन्होंने वित्त मंत्रालय में पोस्टिंग (फाइनेंस सेक्रेटरी) दी। यहां तक कि महर्षि को रिटायरमेंट के बाद भी पीएम मोदी ने कैग (महालेखा) का महानिदेशक बनाया। जब वे देश की इस टॉप पोस्ट से रिटायर्ड हुए तो उन्हें केंद्र सरकार ने पद्म विभूषण (जनवरी-2022) दिया। ऐसा राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में पिछले 30 साल में पहली बार हुआ था।
सुनील अरोड़ा बने 2 मुख्यमंत्रियों के सचिव
मोदी जब पीएम बने तो उन्होंने राजस्थान कैडर के एक और आईएएस अफसर सुनील अरोड़ा (1981 बैच) को दिल्ली बुला लिया। अरोड़ा राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत (1993-98) और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (2003-08) दोनों के सीएमओ में सचिव और प्रमुख सचिव रहे थे। वे राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव (2013) भी रहे।
संजय मल्होत्रा संभाल रहे हैं वित्त मंत्रालय
राजस्थान कैडर के आईएएस अफसर संजय मल्होत्रा जनवरी-2020 से ही दिल्ली में हैं। वे अतिरिक्त सचिव (ऊर्जा) के पद पर दिल्ली गए थे, लेकिन सितंबर-2022 में प्रमोट होकर सचिव बने और तब से लगातार वित्त मंत्रालय में हैं। किसी भी केन्द्र सरकार के लिए वित्त मंत्रालय सबसे अहम विभाग होता है, उसमें सचिव बनना पूरे देश के आईएएस अफसरों का सपना होता है। मल्होत्रा को मल्टी टास्कर माना जाता है और वे बड़ी योजनाओं-प्रोजेक्ट्स को मूर्त रूप देने के लिए लगातार काम करते रहने के लिए जाने जाते हैं।
आईएएस सुभाष चंद्र गर्ग को मोदी ने बतौर अर्थशास्त्री बुलाया था दिल्ली
सुभाष चंद्र गर्ग (1982 बैच) को राजस्थान ही नहीं बल्कि देश की ब्यूरोक्रेसी में फाइनेंस के मामलों में एक्सपर्ट माना जाता है। गर्ग 2013-2014 में राजस्थान के वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। जब मोदी पीएम बने तो वे 2014 में आईएएस गर्ग को वित्त मंत्रालय ले गए। गर्ग ने वहां एक सफल पारी को अंजाम दिया और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव के शीर्ष पद पर पहुंचे। बाद में उन्हें देश की तरफ से विश्व बैंक में प्रतिनिधि के रूप में पोस्टिंग दी गई।
वित्त मंत्रालय मे सचिव रहने के बाद सुभाष गर्ग विश्व बैंक में भारत के प्रतिनिधि भी बने। उन्हें मोदी काल की आर्थिक नीतियों का शिल्पकार माना जाता है।
पीएम मोदी पूरे देश से योग्य अफसरों को तलाशते हैं
राजस्थान कैडर के आईएएस अजीत कुमार सिंह (रिटायर) ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी जब से पीएम बने हैं, तो यह बात देखने में आई है कि वे पूरे देश से योग्य आईएएस अफसरों को तलाशते रहे हैं। उन्हें केन्द्रीय मंत्रालयों में ले जाते रहे हैं। राजस्थान में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जो अफसर जाते हैं, उन्हें वे योग्य पाकर अच्छी पोस्टिंग दे रहे हैं, जो पहले राजस्थान के अफसरों को नहीं मिला करती थी।
केन्द्र में एक्सपोजर ज्यादा है, डेवलपमेंट ज्यादा है
राजस्थान में कई विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव रह कर रिटायर हुए आईएएस अफसर पी. एन. भंडारी का कहना है कि योग्य आईएएस अफसरों की हर किसी को जरूरत है। राजस्थान के अफसर जयपुर में रह कर ही ज्यादा काम करते आए हैं, लेकिन चूंकि अब केन्द्र में ज्यादा अच्छे मौके मिल रहे हैं, तो वे वहां जा रहे हैं। वहां एक्सपोजर और डवलपमेंट ज्यादा है। केन्द्र सरकार में उन्हें टॉप पोस्टिंग मिल रही है, यह और भी अच्छी बात है।
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