यूनिवर्सिटी रैंकिंग [QS ] में मानववादी व् एथिकल मापदंडों की अवहेलना
डा जरनैल सिंह आनंद
आज अख़बारों में ये ख inबर छाया हुई है के पंजाब यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 1000 से भी नीचे सरक गयी है और 500 तक भारत की किसी यूनिवर्सिटी का नाम नहीं है। अंतर्राष्ट्री अकादमी ऑफ़ एथिक्स के प्रधानाचार्य डा जरनैल सिंह आनंद QS की रैंकिंग पर्किर्या पर सवाल उठाते हुए कहा के ये पैमाने ही ठीक नहीं हैं। डा आनंद ने QS की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी को सिर्फ सस्टेनेबिलिटी [SUSTAINABILITY ] एम्प्लॉयमेंट [EMPLOYMENT ] और वर्ल्ड रिसर्च नेटवर्क [WORLD RESEARCH NETWORK ] के मापदंडो पर परखना ही प्रियापत नहीं है।
क्या ये ज़रूरी नहीं कि विश्व विद्यालों में मानवी एजेंडा को आगे बढ़ाया जाये और एक बेहतर इंसान बनने के लिए उसे एथिक्स की पढ़ाई कराई जाये?
विद्या एक माफिया बन रही है और इंसानियत और अच्छाई के बारे में सोचने वालों कि हाशिये में डाला जा रहा ह। सिस्टम ऐसे है के ऐसे विद्यार्थी पैदा हो जो नौकरी के काबिल हों। रिसर्च पर भी इसी लिए ज़ोर दिया जाता है क्योंकि वास्तव में यूनिवर्सिटीज को क्रिएटिविटी [रचनात्मकता]पर ज़ोर देना चाहिए। ये एक बहुत बड़ा प्रश्न है कि किसी यूनिवर्सिटी ने कभी किसी साहित्कार किसी कवि किसी आर्टिस्ट को पैदा किया हो या उसे सपोर्ट किया हो ? किया इस दुनिया को ऐसे लोगो की ज़रूरत नहीं जिनकी पुस्तकों पर आज हज़ारों थीसिस लिखे जा रहें हैं ?
डा आनंद ने कहा की इंटरनेशनल अकादमी आफ एथिक्स ने Qs को एक पत्र लिख कर मांग की है के यूनिवर्सिटी रैंकिंग के मापदंडो को बदला जाये और उनमे मानववाद और एथिक्स की भी शामिल किया जाये। जो लोक इस बात से सहमत हैं उन्हें भी निवेदन है के हमारे इस परियस का समर्थन करें और Qs को पत्र लिखें के वो विश्व विद्यालों की रैंकिंग के मापदंडों में संशोधन करें।






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