NATIONAL NEWS

राजस्थानी भाषा के संवर्धन में डॉ सीताराम लालस का अभूतपूर्व योगदान

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
बीकानेर। मोहनीदेवी आशाराम चूरा रोटरी शोध संस्थान में राजस्थान के प्रख्यात कोशकर्मी तथा भाषा विज्ञानी डॉ. सीताराम लालस की जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में पत्र वाचन किया डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने।  उन्होंने बताया कि लालस ने यह संकल्प लिया कि उन्हें राजस्थानी का ऐसा शब्दकोश तैयार करना है कि राजस्थानी भाषा का कोई भी शब्द नहीं छुटे । अपने व्यक्तिगत जीवन और सुख सुविधा को भूल कर दस जिल्दों में दो लाख से अधिक  शब्दो का  यह राजस्थानी शब्द कोश का अमर ग्रंथ तैयार हुआ।

संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ विद्वान कृष्णलाल बिश्नोई ने कहा कि लालस जी के द्वारा अनेकों पुस्तकों का संपादन प्रकाशन किया गया। उन्होंने लालस जी के पत्रों व उनके द्वारा अधुरे रहे कार्याें पर प्रकाश डालते हुए पूर्ण करने का जिक्र किया। संगोष्ठी में बोलते हुए श्री मोहन लाल जांगिड ने कहा कि राजस्थानी भाषा के युग पुरुष श्री सीताराम लालस ने अद्वितीय काम किया है। उन्हांेने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिले इसमें हमे भी प्रयास करने चाहिए।  संगोष्ठी का संचालन करते हुए श्री पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि यदि सीताराम जी लालस नहीं होते तो राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग भी अधुरी होती। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा के शब्दों से भाषा को बल मिला है तथा भाषा भी मजबूत हुई है।    

 
कार्यक्रम में सरस्वती वंदन डॉ. उषा गोस्वामी ने की तथा कार्यक्रम में रोटे अरुण प्रकाश गुप्ता,प्रवीण गुप्ता, ओमप्रकाश शर्मा, राजेन्द्र बोथरा, विमल शर्मा आदि उपस्थित रहे। अंत में रोटे मनमोहन कल्याणी ने उपस्थित विद्वानों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!