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राष्ट्रीय अंगदान दिवस कल:देश में हर साल 1.8 लाख किडनी फेलियर केस, सिर्फ छह हजार हो रहे ट्रांसप्लांट

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राष्ट्रीय अंगदान दिवस कल:देश में हर साल 1.8 लाख किडनी फेलियर केस, सिर्फ छह हजार हो रहे ट्रांसप्लांट

देश में प्रतिवर्ष 1.8 लाख किडनी फेलियर के केस सामने आते हैं लेकिन मुश्किल से 6 हजार का ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाता है क्योंकि किडनी डोनर नहीं मिलता। इसी प्रकार हर साल 2 लाख से अधिक व्यक्ति लीवर फेलियर का शिकार होते हैं लेकिन अंग दाता ना मिलने के कारण मात्र 1500 लिवर ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं। हार्ट ट्रांसप्लांट तो और भी कम मात्र 10 से 15 प्रति वर्ष होते हैं। मानव अंगों की मांग ज्यादा है लेकिन आपूर्ति बहुत कम है। इसी अंतर को पाटने राजस्थान सरकार की ओर से अब राष्ट्रीय अंगदान दिवस 3 अगस्त से अंगदान जीवनदान महाअभियान का शुभारंभ किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मोहम्मद अबरार पवार ने बताया कि 3 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जयपुर से ही अभियान शुरू करेंगे। जिसका लाइव वेबकास्ट शाम 5 बजे से शुरू होगा।

चिकित्सा विभाग के जिला समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि हार्ट अटैक से मृत्यु होने पर केवल कुछ अंग या ऊतक ही डोनेट किये जा सकते है जैसे कि कॉर्निया, हड्डी, त्वचा और रक्तवाहिकाएं दी जा सकती है। इसी तरह ब्रेन स्टेम मृत्यु के बाद लगभग 37 विभिन्न अंग और ऊतक दान किए जा सकते हैं, जैसे कि किडनी, हृदय, लिवर और फेफड़े आदि दिए जा सकते हैं। मृत व्यक्तियों से अंगदान करने की स्थिति भारत में अभी भी बहुत कमजोर है। भारत में केवल लिविंग ऑर्गन डोनर्स के द्वारा अंगदान से आवश्यकता की पूर्ति नहीं की जा सकती है इसलिए मृत व्यक्तियों के ऑर्गन डोनेशन को प्रोत्साहित करना है।

कौन कर सकता है अंगदान

ट्रांसप्लांटेशन ऑफ़ ह्यूमन ऑर्गन्स एक्ट (THOA) 1994 के इलाज के लिए मानव अंग देने वालों में मां, पिता, बेटा, बेटी, भाई, बहन, पति या पत्नी शामिल है। मृत दाता, विशेष रूप से ब्रेन स्टेम डेथ के बाद: जैसे कि सड़क दुर्घटना आदि के पीड़ित जहां ब्रेन स्टेम मृत हो चुका है और व्यक्ति अपने आप श्वास नहीं ले सकता है, लेकिन वेंटीलेटर/ऑक्सीजन सपोर्ट पर है, के हार्ट एवं अन्य ऑर्गन काम कर रहे है। तो उनके अंग लिए जा सकते हैं। निकट रिश्तेदार के अलावा ऐसा डोनर जो केवल प्रेम और संलग्नता के आधार पर दान कर सकता है या किसी अन्य विशेष कारण से जिसके लिए ऑथ़राइज़्‌ कमेटी की स्वीकृति आवश्यक है।

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