राहुल की जगह गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत की:सांसद निशिकांत दुबे ने कहा- लगता है राहुल जी तैयार नहीं थे आज, देर से उठे होंगे
अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने की।
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार को चर्चा हो रही है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अपने अविश्वास प्रस्ताव पर 35 मिनट स्पीच दी। इस दौरान उन्होंने मणिपुर से लेकर विदेश नीति तक सरकार को घेरा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना होगा कि उनकी डबल इंजन सरकार, मणिपुर में विफल हो गई । इसीलिए, मणिपुर में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
गोगोई बोले, ‘राज्य के CM,जिन्हें बातचीत का, शांति और सद्भाव का माहौल बनाना चाहिए था। उन्होंने पिछले 2-3 दिनों में भड़काऊ कदम उठाए हैं जिससे समाज में तनाव पैदा हो गया है।’
सरकार की तरफ निशिकांत दुबे ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हमें राहुल गांधी के बोलने की उम्मीद थी पर वो नहीं बोले। लगता है राहुल जी तैयार नहीं थे आज, देर से उठे होंगे।
PM मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब 10 अगस्त को दे सकते हैं।
गोगोई ने सरकार से 3 सवाल पूछे
- प्रधानमंत्री मोदीजी मणिपुर क्यों नहीं गए। राहुल गए, INDIA अलायंस के सांसद गए, गृहमंत्री गए।
- अस्सी दिन क्यों लगे मणिपुर पर बोलने में। बोले तो सिर्फ 30 सेकंड बोले। आज तक संवेदना का कोई शब्द व्यक्त नहीं किया। प्रधानमंत्री होने के नाते उनके शब्दों का जो महत्व है, वो किसी मंत्री के शब्दों में नहीं है। शांति के कदम की शुरुआत PM करें तो वो अच्छा है, मंत्री के कदम में ये ताकत नहीं।
- मणिपुर के मंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया। गुजरात में जब राजनीति करनी थी तो एक बार नहीं दो बार CM बदले। उत्तराखंड में 3 बार बदला, त्रिपुरा में बदला। मणिपुर के CM को क्या विशेष आशीर्वाद है, जो खुद स्वीकार कर रहे हैं कि इंटेलिजेंस फेलियर हुआ।
PM से 3 याचनाएं भी कीं
पहली याचना: सदन में बात रखें, लोकसभा और राज्यसभा में भी जाएं।
दूसरी याचना: मणिपुर जाएं और पूरी पार्टी को लेकर जाएं। ऑल पार्टी डेलिगेशन लेकर जाएंगे तो हम भी जाएंगे।
तीसरी याचना: मणिपुर के समाजसेवी संगठनों को बुलाएं और मीटिंग करें।
राहुल के प्रस्ताव की शुरुआत न करने से भाजपा ने चुटकी ली
अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत गौरव गोगोई ने जैसे ही की, भाजपा सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। कहा- सुबह सेक्रेटरी जनरल के यहां चिट्ठी आई थी कि राहुल गांधी जी बोलेंगे। हम तो उनके भाषण का इंतजार कर रहे हैं। अब गौरव गोगोई बोल रहे हैं। 5 मिनट में आखिर क्या हो गया।
इससे पहले सुबह 11 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई थी।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दिया था अविश्वास प्रस्ताव नोटिस
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने 26 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था।
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की ओर से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने 26 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ इस प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने स्वीकार कर लिया था। 2014 से ये दूसरी बार है जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।
अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है?
लोकसभा देश के लोगों की नुमाइंदगी करती है। यहां जनता के चुने हुए प्रतिनिधि बैठते हैं, इसलिए सरकार के पास इस सदन का विश्वास होना जरूरी है। इस सदन में बहुमत होने पर ही किसी सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार है।
इसे पास कराने के लिए लोकसभा में मौजूद और वोट करने वाले कुल सांसदों में से 50% से ज्यादा सांसदों के वोट की जरूरत होती है।
2019 के बाद PM ने लोकसभा में कुल 7 बार डिबेट में हिस्सा लिया
संसद के रिकॉर्ड के मुताबिक, 2019 के बाद PM मोदी ने लोकसभा के कार्यकाल के दौरान कुल 7 बार डिबेट में हिस्सा लिया है। इनमें से पांच मौकों पर उन्होंने राष्ट्रपति के भाषण के बाद जवाब दिया। जबकि एक बार उन्होंने श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाए जाने को लेकर और दूसरी बार लोकसभा स्पीकर के तौर पर ओम बिड़ला के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अपनी बात रखी थी।
अविश्वास प्रस्ताव सदन में ज्यादातर बार फेल होता है, लेकिन फिर भी ये विपक्ष का हथियार क्यों?
1963 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता जेबी कृपलानी ने लोकसभा में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। हालांकि, वोटिंग में PM जवाहरलाल नेहरू की सरकार बहुमत हासिल करने में कामयाब रही थी।
आचार्य कृपलानी ने इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा था, ‘मेरे लिए यह बेहद दुख की बात है कि मुझे ऐसी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाना पड़ रहा है, जिस सरकार में मेरे 30 साल पुराने कई दोस्त शामिल हैं। इसके बावजूद अपने कर्तव्य और अंतरात्मा की आवाज पर सरकार की जवाबदेही के लिए मैं ये प्रस्ताव ला रहा हूं।’
इसके जवाब में PM जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘इस तरह के प्रस्ताव के जरिए सरकारों का समय-समय पर परीक्षण किया जाना अच्छा है। खासकर तब भी जब सरकार गिरने की कोई संभावना न हो।’
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सभी दलों के सांसद राज्य या देश से जुड़े सवाल पूछते हैं। सरकार को इसका जवाब देना पड़ता है। 2018 में TDP के सांसदों ने आंध्र प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछे थे।
कहीं उल्टा तो नहीं पड़ जाएगा विपक्षी दलों का ये दांव….इसकी 2 मुख्य वजहें हैं…
भले ही विपक्षी दलों की ओर से केंद्र सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा हो, लेकिन विपक्ष का ये दांव उल्टा भी पड़ सकता है। इसकी 3 वजहें बताई जा रही हैं…
1. संख्या बल: लोकसभा के 537 सदस्यों में से विपक्षी अलायंस INDIA के पास 143 सांसद हैं। वहीं, मोदी सरकार के समर्थक लोकसभा सांसदों की संख्या करीब 333 है। ऐसे में संख्या बल में सरकार विपक्षी दलों पर भारी पड़ेगी।
2. अविश्वास प्रस्ताव गिरने से विपक्ष की आलोचना: इस बात की संभावना है कि अविश्वास प्रस्ताव के गिरने के बाद मोदी सरकार 2024 लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को विपक्षी दलों की आलोचना करने के लिए इस्तेमाल करेगी।
पिछले 60 साल में अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास कैसा रहा है…
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