लोकसभा चुनाव में 14-15 सीटों पर चेहरे बदलेगी बीजेपी?:2 केंद्रीय मंत्री को राजस्थान से उतारने की तैयारी, हारने वालों को मौका नहीं
भाजपा ने राजस्थान में लोकसभा की तैयारियां शुरू कर दी हैं। हाल ही पार्टी की केन्द्रीय और प्रदेश स्तरीय लीडरशिप ने जयपुर में लोकसभा चुनावों के संबंध में महत्वपूर्ण बैठक भी की।
इसमें सबसे हॉट टॉपिक रहा प्रदेश की सभी 25 सीटों पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करना। इस बार पार्टी को 6 सीटों पर कड़ी चुनौती दिख रही है। इसके लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति तय कर ली है।
जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाया गया था, उनकी सीटों पर लोकसभा चुनाव में चेहरे बदले जाएंगे। सूत्रों की मानें तो मौजूदा 24 में से 14-15 सीटों पर चेहरे बदले जा सकते हैं। बीजेपी अश्विनी वैष्णव और भूपेंद्र यादव को राजस्थान से चुनाव लड़ा सकती है।
चुनाव आचार संहिता लगने के साथ ही प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर सकती है। विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा के सारे निर्णय दिल्ली से ही लिए जाएंगे। इस बैठक में मौजूद रहे पार्टी सूत्रों से बात कर हमने जाना कि कौन-कौन सी बातें चर्चा में आईं और पार्टी किस तरह के प्रयोग लोकसभा चुनाव को लेकर करने की तैयारी कर रही है।
पढ़िए इस रिपोर्ट में…
12 जनवरी को आयोजित हुई कार्ययोजना बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, प्रभारी अरुण सिंह सहित अन्य वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहे।
दो केंद्रीय मंत्रियों की हो सकती है राजस्थान में एंट्री
पार्टी ने जो रणनीति बनानी शुरू की है, उसके तहत अभी से कुछ नियम तय किए जा रहे हैं ताकि टिकट वितरण भी स्पष्ट रूप से हो सके। दो केन्द्रीय मंत्रियों को राजस्थान से लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। इनमें एक हैं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जो वर्तमान में उड़ीसा से राज्यसभा सांसद हैं।
वैष्णव मूलत: जोधपुर (राजस्थान) के रहने वाले हैं। उन्हें पार्टी जयपुर से अपना लोकसभा उम्मीदवार बना सकती है। दूसरे हैं केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव। यादव राजस्थान से ही राज्यसभा सांसद हैं। पार्टी उन्हें यादव बाहुल्य सीट अलवर से चुनाव मैदान में उतार सकती है।
भूपेंद्र यादव एवं अश्विनी वैष्णव फिलहाल राज्यसभा सदस्य और केंद्र में मंत्री हैं।
पूर्व राजघराने के उत्तराधिकारी और एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को भाजपा उतार सकती है मैदान में
खिलाड़ियों को चुनाव का प्रयोग बीजेपी पहले भी कर चुकी है और काफी हद तक ये सफल भी रहा है। इस लिस्ट में इस बार पैरा ओलंपिक खेलों में गोल्ड मैडल जीतने वाले देवेन्द्र झाझड़िया का नाम चर्चा में आ रहा है। झाझड़िया को चूरू या जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है।
पूर्व राजघरानों के प्रति जनता के आकर्षण को देखते हुए बीजेपी मारवाड़-मेवाड़ में एक फिर ये प्रयोग दोहरा सकती है। अभी तय नहीं है, लेकिन राजसमंद सीट से किसी पूर्व राजघराने के उत्तराधिकारी को ही मौका दिया जाएगा। यह उत्तराधिकारी संभवत: मेवाड़ या मारवाड़ के किसी प्रमुख घराने से हो सकते हैं।
देवेन्द्र झाझड़िया पैरालिंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरालिंपियन है।
जिन 6 सांसदों को विधानसभा चुनावों में उतारा था, वहां चेहरे बदलेंगे
हाल ही विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपने सात सांसदों (एक राज्यसभा से और 6 लोकसभा से) को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से जिन 6 लोकसभा सांसदों को मैदान में उतारा था, उनकी सीटों पर नए चेहरे उतारे जाएंगे।
इनमें झुंझुनूं से नरेन्द्र खींचड़, अजमेर से भागीरथ चौधरी, जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राजसमंद से दीया कुमारी, अलवर से बाबा बालकनाथ और जालोर-सिरोही से देवजी पटेल शामिल हैं। इनमें दीया कुमारी, राठौड़, बालकनाथ चुनाव जीते थे, लेकिन खीचड़ मंडावा से, पटेल सांचौर और भागीरथ चौधरी किशनगढ़ से चुनाव हार गए थे।
इन सीटों पर नहीं बदलेंगे प्रत्याशी
कोटा-बूंदी से ओम बिरला, चित्तौड़गढ़ से प्रदेशाध्यक्ष सी. पी. जोशी, बीकानेर से अर्जुनराम मेघवाल, जोधपुर से गजेन्द्र सिंह शेखावत, जैसलमेर-बाड़मेर से कैलाश चौधरी, बारां-झालावाड़ से दुष्यंत सिंह जैसे चेहरों पर बीजेपी फिर से भरोसा जता सकती है।
इनमें शेखावत और जोशी लगातार दो बार से और दुष्यंत लगातार 4 बार से सांसद हैं। बिरला लगातार दूसरी बार सांसद हैं और तीन बार लगातार विधायक (2003,20 08 और 2013) रहे हैं। वे वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी केंद्र में मंत्री हैं।
इन सीटों को माना जा रहा है चुनौतीपूर्ण
भाजपा बांसवाड़ा, दौसा, नागौर, सीकर, चूरू और जयपुर ग्रामीण सीटों को चुनौतीपूर्ण मान रही है। इसका कारण है कि यह वे लोकसभा सीटें हैं, जिनके तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने हारने के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया है। इन सभी लोकसभा सीटों के तहत 8-8 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 4 या 5 पर कांग्रेस काबिज है। आदिवासी बहुल बांसवाड़ा-डूंगरपुर में कांग्रेस के अलावा बीएपी (भारतीय आदिवासी पार्टी) पार्टी भी मजबूत स्थिति में है।
नागौर में कांग्रेस के आलावा निर्दलीय और रालोपा मजबूत स्थिति में है। नागौर सीट को 2019 में रालोपा के साथ गठबंधन में पार्टी ने छोड़ दिया था। इस बार ऐसा कोई गठबंधन अब तक नहीं किया गया है और आगे भी कोई संभावना नहीं है। इस सीट पर बीजेपी एक बार फिर से पूर्व सांसद सी. आर. चौधरी (पूर्व ब्यूरोक्रेट) को मौका दे सकती है।
सीआर चौधरी पूर्व में नागौर से सांसद रहे हैं। पिछले चुनाव में गठबंधन सीट के चलते उन्हें टिकट नहीं दिया गया था।
क्या मौजूदा विधायकों को दिया जाएगा लोकसभा का टिकट?
संभवत: किसी मौजूदा विधायक को लोकसभा में टिकट नहीं दिया जाएगा। इससे पहले पार्टी ने 2014 और 2019 के चुनावों में तत्कालीन विधायक दीया कुमारी को राजसमंद लोकसभा से टिकट दिया गया था। मंडावा से विधायक रहे नरेन्द्र खींचड़ को झुन्झुनूं से टिकट दिया गया था। इसी तरह ओम बिरला भी कोटा उत्तर से विधायक थे, उन्हें भी लोकसभा चुनावों में उतारा गया था।
इन सीटों पर भी जल्द होगी स्थिति स्पष्ट
राजस्थान में श्रीगंगानगर, भीलवाड़ा, जयपुर, पाली, उदयपुर, करौली-धौलपुर, भरतपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर, झुंझुनूं आदि सीटों पर भी जल्द ही स्थिति स्पष्ट होगी। इन सीटों को पार्टी आसानी से पिछले दोनों चुनावों में जीत चुकी है, लेकिन बदलाव यहां भी किए जा सकते हैं।
75 की उम्र वाले नेताओं को टिकट नहीं
भाजपा ने विधानसभा चुनावों में लगभग तय कर लिया था, कि किसी भी उम्मीदवार को 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी ने इस अलिखित नियम का 200 में से 199 सीटों पर पालन भी किया। केवल अजमेर उत्तर ही एक मात्र सीट थी, जहां भाजपा ने 75 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके वासुदेव देवनानी को टिकट दिया। वे चुनाव भी जीते और पार्टी ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
मौजूदा सांसदों में दौसा से जसकौर मीणा हैं जिनकी उम्र 75 वर्ष से ज्यादा की हो चुकी है। अन्य सीटों पर सांसद का टिकट 70-75 वर्ष से कम उम्र के नेताओं को ही दिया जाएगा।
लोकसभा चुनावों में भाजपा का रहता है पलड़ा भारी
राजस्थान में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में हमेशा विधानसभा चुनावों से भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले चार विधानसभा चुनावों 2003, 2008, 2013, 2018 में दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस की सरकार बनी है। इस दौरान 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हुए। इनमें भाजपा ने तीन बार 2004, 2014 और 2019 में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए क्रमश: 21, 25 और 25 सीटों पर कब्जा किया।
कांग्रेस इस दौरान केवल 2009 में ही 20 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। शेष तीन लोकसभा चुनावों में 2004 में 4, 2014 में शून्य और 2019 में शून्य सीटें ही उसके खाते में दर्ज हुईं थीं। इस राजनीतिक दृष्टिकोण से इस बार भाजपा 2023 में विधानसभा चुनाव भी जीत चुकी है और अब तीन महीने बाद लोकसभा चुनावों में उतरेगी। एक बार फिर बीजेपी मिशन-25 के इरादे के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गई है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का कहना है कि राष्ट्रवाद और सुशासन का कमल फिर से खिलेगा और सभी 25 सीटें भाजपा ही जीतेगी।
टिकट बांटने में 2014 और 2019 जैसे होंगे जातीगत समीकरण
वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने अजमेर, नागौर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, बाड़मेर-जैसलमेर और बारां झालावाड़ में जाट, भीलवाड़ा और कोटा में वैश्य, जोधपुर, राजसमंद और जयपुर ग्रामीण में राजपूत, चित्तौड़गढ़ और जयपुर में ब्राह्मण, पाली में सिरवी, टोंक-सवाईमाधोपुर में गुर्जर, जालोर-सिरोही में पटेल और अलवर में यादव उम्मीदवार ही उतारे थे।
इनके अलावा उदयपुर, बांसवाड़ा, दौसा में एसटी रिजर्वेशन है। बीकानेर, श्रीगंगानगर, भरतपुर, करौली-धौलपुर में एससी रिजर्वेशन है। इस बार भी पार्टी इन्हीं जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकट वितरण करेगी। इन समीकरणों के चलते पार्टी को न केवल लगभग सभी जाति-समुदायों का साथ मिलता रहा है, बल्कि प्रदेश के हर कौने-कौने में उसका वोट बैंक भी उसके पक्ष में जाता है।
व्यापारी, ब्यूरोक्रेट, खेल, धर्म-मठ जैसे समीकरण भी रहेंगे फोकस में
भाजपा पिछले दोनों लोकसभा चुनावों की ही तरह इस बार भी 25 सीटों पर व्यापारी, सैन्य, ब्यूरोक्रेसी, खेल, धर्म-मठ, राजपरिवार आदि पेशेगत समीकरणों को भी ध्यान में रखना चाहती है, ताकि पार्टी के उम्मीदवारों की स्टार वैल्यू बनी रहे।
पेशे और जातिगत आधार पर ही प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा। मौजूदा उपमुख्यमंत्री को राजसमंद से लोकसभा सांसद का चुनाव लड़वाया गया था।
राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, सुमेधानंद सरस्वती, अर्जुनराम मेघवाल, सी. आर. चौधरी आदि उम्मीदवारों को पार्टी ने इनके पेशेगत चेहरे के कारण ही उम्मीदवार बनाया था और यह सभी चुनावों में कामयाब रहे थे। ऐसे में इस बार भी विभिन्न पेशों को प्राथमिकता दी जाएगी।
पीएम मोदी खुद करेंगे मॉनिटरिंग
विधानसभा चुनावों की ही तरह लोकसभा चुनावों में भी राजस्थान पर पीएम नरेन्द्र मोदी सीधी मॉनिटरिंग रखने वाले हैं। पीएम मोदी जनवरी के प्रथम सप्ताह में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में पदाधिकारियों से बातचीत कर चुके हैं। इस दौरान सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष सी. पी. जोशी सहित सभी वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे।
राजस्थान के पार्टी कार्यालय में पीएम मोदी की यह पहली मीटिंग थी। अगली कड़ी में पीएम मोदी जल्द ही फिर से जयपुर आ सकते हैं। केन्द्र सरकार के रेल मंत्री ने हाल ही अपने दौरे के दौरान जयपुर में रिंग रेल प्रोजेक्ट लाने की घोषणा की थी। इसी तरह के कुछ बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा राजस्थान के संदर्भ में लोकसभा चुनावों से पहले की जा सकती है।
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