बीकानेर। समकालीन स्त्री कविता में राजस्थान से अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति से कविता को समृद्ध करने वाली कवयित्रियों में रजनी छाबड़ा और नीलम पारीक का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। उक्त उद्गार प्रख्यात आलोचक और नेगचार के संपादक डॉ. नीरज दइया ने कवयित्री रजनी छाबड़ा के काव्य संग्रह ‘बात सिर्फ़ इतनी सी…’ और नीलम पारीक के कविता संग्रह ‘मन चरखे पर’ का लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यास कॉलोनी स्थिति छाबड़ा हाउस में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कविता के बड़े वितान में स्त्री की निजता और उसकी बदली भूमिका, मनस्थितियों के साथ घर-परिवार और समाज की छवियां इन कविताओं में हमें प्रभावित करती है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि द्विभाषी पाक्षिक समाचार पत्र ‘शाद्वल’ के संपादक डॉ. अभय सिंह टाक ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदी कविता में छोटे आकार में बड़ी बात करने की क्षमता से लबरेज होती जा रही है और आज लोकार्पित दोनों कृतियों की कवयित्रियों की कविताओं में मार्मिका के साथ कहने-सुनने को बहुत कुछ है। कहने को तो बात सिर्फ़ इतनी सी… कह दिया जाता है किंतु उसका असर क्या और कितना हो सकता है या होता है यह पाठक के समझने की बात है। इन कविताओं को मन चरखे पर परखने से ही पता चल सकता है कि इनमें सहजता के साथ कितनी गंभीरता है।
इस अवसर पर बहुभाषी कवयित्री तथा अंक शास्त्री रजनी छाबड़ा और शिक्षाविद-कवयित्री नीलम पारीक ने अपनी कविता यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए चयनित कविताओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम का संचालन सिरेमिक कलाकार और कला इतिहासकार अंकुर सी. पोदार ने किया।
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