विवाद वाले तबादलों के पीछे किसकी डिजायर?:दिल्ली शिकायत पहुंचने के बाद सीएमओ ने सभी विभागों से मांगी जानकारी, मंत्री-विधायकों में खलबली
जयपुर
राजस्थान में भजनलाल सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जनवरी को अपने राजस्थान दौरे के समय विधायकों को एक सलाह दी थी…
‘आपको अधिकारियों के तबादलों की सिफारिश से बचना चाहिए। अधिकारियों से अच्छा व्यवहार रखें। अच्छा व्यवहार न करने की एक-दो शिकायतें मिली हैं। याद रहे कि आगे से ऐसा न हो। भैरोंसिंह शेखावत कभी भी तबादलों की सियासत में नहीं पड़े।’
पीएम मोदी की इस नसीहत के पीछे मकसद था कि तबादलों को लेकर या अन्य मुद्दों पर भी भाजपा सरकार की छवि साफ बनी रहे। पिछली भाजपा सरकारों में जो आरोप लगते रहे हैं, वे न दोहराए जाएं।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राजस्थान में तबादलों का विवाद दिल्ली तक पहुंच गया। दिल्ली तक तबादला विवाद पहुंचने की जानकारी राज्य सरकार को है। वहीं, कुछ मंत्रियों के पर्सनल स्टाफ को लेकर भी सीएमओ में शिकायतें पहुंची हैं। शिकायतों में अधिकारियों की वर्किंग को संदिग्ध बताया गया है। इसके बाद भजनलाल सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है।
पीएम मोदी की नसीहत के बावजूद राजस्थान में भाजपा सरकार तबादलों को लेकर विवादों में घिर गई है।
आखिर दिल्ली नाराज क्यों, क्या गया है फीडबैक
सूत्रों के अनुसार आलाकमान के पास फीडबैक पहुंचा है कि भाजपा की सरकार बनने के बाद भी तबादलों में पिछली कांग्रेस सरकार के जैसा ही व्यवहार किया जा रहा है।
भाजपा विधायक और चुनाव में हारे हुए नेता अधिकारियों के तबादलों में रुचि ले रहे हैं, जिससे लोकसभा चुनाव से पहले अच्छा मैसेज नहीं जा रहा है।
नेतृत्व का मानना है कि डिजायर की व्यवस्था सरकारों या पार्टी को फायदा नहीं देती, उल्टा इस व्यवस्था से राजनीति रूप से सरकार की छवि को नुकसान होता है।
केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि विधायक और बड़े नेता तबादलों का इस्तेमाल अपने अधिकार की तरह न करें। भाजपा आलाकमान डिजायर की परम्परा को ही फेज वाइज समाप्त करना चाह रहा है।
नेतृत्व चाहता है कि अधिकारियों के तबादले मेरिट से या नीति बनाकर किए जाएं। आलाकमान का मानना है कि इससे ज्यादा फायदा होता है।
पीएम मोदी ने भी विधायकों की मीटिंग में तबादलों में अफसरों को अफसरों की तरह ही ट्रीट करने का संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि अधिकारी किसी पार्टी के नहीं होते।
किस अधिकारी-कर्मचारी का तबादला किसकी डिजायर से
सूत्रों के अनुसार तबादलों के कारण ब्यूरोक्रेसी अंदरखाने विरोध में है। वहीं तबादलों पर राजनीति होने के कारण सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी विभागों से जानकारियां मांगी हैं, जिससे विभागों के साथ विधायकों के बीच भी तनाव का माहौल हो गया है।
सीएम दफ्तर ने जानकारी मांगी है कि किस अधिकारी-कर्मचारी के किस विधायक की डिजायर पर तबादले हुए। जानकारी मिलने के बाद विभाग तबादलों का रिव्यू (समीक्षा) करेगा।
सीएमओ रिव्यू करेगा कि तबादलों में डिजायर को हू-ब-हू माना गया है या बिना डिजायर ही अधिकारियों के नाम तबादला सूची में शामिल कर दिए गए हैं। इससे पता लगाया जाएगा कि कहीं तबादलों में भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ है?
इसी लिस्ट को सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए आरोप लगाए जा रहे हैं कि तबादलों में जाति विशेष के लोगों को टारगेट किया गया है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा की बहू की गृह जिले में पोस्टिंग
इधर, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की बहू प्रतिभा सिंह (आरएएस) की पोस्टिंग को लेकर खुद भाजपा में चर्चा है। प्रतिभा को ससुराल के जिले सीकर में ही पोस्टिंग दी गई है। वे सीकर में सहायक कलेक्टर के पद लगाई गई हैं।
राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा की पिछली सरकारों पर अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादलों के दौरान ‘तबादला उद्योग’ के आरोप लगते रहे हैं। इस सरकार में भी तबादलों को लेकर विवाद और आरोप लगने शुरू हो गए हैं।
भाजपा विधायकों में खलबली
सीएमओ की ओर से डिजायरों को लेकर मांगी गई जानकारी के चलते भाजपा विधायक टेंशन में है। विधायकों को डर है कि कहीं भ्रष्टाचार के आरोप उनके दामन तक नहीं पहुंच जाएं।
इधर, चुनाव से पहले और टिकट वितरण तक भाजपा धड़ों में बंटी होने के कारण भी डिजायर सिस्टम तनाव दे रहा है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार राजे गुट के माने जाने वाले विधायक अधिक टेंशन में हैं। चर्चा है कि सीएमओ में यह भी देखा जाएगा कि किस विधायक की कितनी चली है और उसके पीछे के क्या कारण हैं?
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार अपने स्तर पर संतुष्ट होकर ही आलाकमान को फीडबैक भेजेगी। विधायकों को भविष्य की चिंता है कि यदि वे किसी विवाद में फंस गए तो आगे मिलने वाली राजनीतिक जिम्मेदारियां उनसे दूर हो जाएंगी।
उदयपुरवाटी से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी की कथित डिजायर लीक होने का मामला सामने आया था, जिसके बाद उन्होंने सफाई भी दी थी।
भाजपा प्रत्याशी की कथित डिजायर लीक और डोटासरा सहित कांग्रेस नेता के आरोप भी
शुभकरण चौधरी की कथित डिजायर में विधानसभा चुनाव के दौरान अधिकारियों के असहयोग करने के आरोप लगाए गए हैं। सीएम से तबादले करने की मांग की गई है।
वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कृष्णा पूनिया, मुकेश भाकर सहित गहलोत सरकार में विधायकों ने तबादलों को राजनीति से प्रेरित होने के आरोप जड़े हैं।
तारानगर में 22 अफसरों की तबादला सूची भी काफी चर्चित रही, जो एक ही जाति के थे। तारानगर के एसडीएम पद पर रहे संदीप चौधरी (आरएएस) को निलंबित किया गया। 10 लोगों को एपीओ किया गया है।
कांग्रेस नेताओं के ये आरोप…
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा : भाजपा के राज में कर्मचारियों-अधिकारियों के तबादले जाति देखकर किए जा रहे हैं। ट्रांसफर्स में राजनीतिक दुर्भावना साफ देखी जा सकती है।
पूर्व विधायक कृष्णा पूनिया : चूरू जिले में एक जाति विशेष के अफसरों को राजेन्द्र राठौड़ के इशारों पर हटाया गया। चुनाव हारने के बाद वे अपनी भड़ास कार्मिकों पर निकाल रहे हैं।
पूर्व विधायक मुकेश भाकर : नागौर में जाति-धर्म देखकर तबादले किए जा रहे हैं। हारे हुए प्रत्याशियों की सिफारिश पर भाजपा सरकार तबादले कर रही है।
ब्यूरोक्रेट्स में आखिर क्यों है आक्रोश, बार-बार तबादलों के पीछे क्या
ब्यूरोक्रेट्स ऑफ रिकॉर्ड चर्चा में तबादलों में ‘पिक एंड चूज’ का आरोप लगा रहे हैं। कुछ अधिकारियों के बार-बार हो रहे तबादले भी चर्चा में बने हुए हैं। उनका सवाल है कि एक ही अधिकारी के कुछ दिनों के अंतराल में दो-दो या तीन-तीन बार तबादले होना, क्या संकेत दे रहा है।
आरएएस काडर में करीब 20 अफसरों के तबादला आदेश सप्ताह भर में बदले गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि सरकारों ने पहले कभी इतनी बड़ी तादाद में अधिकारियों के बार-बार तबादले नहीं किए हैं।
इन अफसरों के बार-बार ट्रांसफर
प्रशासनिक अधिकारियों के बार-बार तबादले हुए, उनमें आईपीएस श्याम सिंह, आईएएस गौरव गोयल, आईपीएस भुवन भूषण यादव जैसे कई उदाहरण हैं।
उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी के विशिष्ट सहायक (आरएएस) के पद पर फरवरी माह में तीन अफसर बदले गए। उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के विशिष्ट सहायक नियुक्ति में भी दो बार अफसर बदले गए।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निजी सचिव (आरएएस) के पद पर लगातार पांच वर्ष रहे देवाराम सैनी को एक महीने पहले बांसवाड़ा संभाग में अतिरिक्त संभागीय आयुक्त लगाया गया था, लेकिन 5 दिन पहले ही उन्हें कृषि विश्वविद्यालय (बीकानेर) में रजिस्ट्रार के पद पर लगा दिया गया।
मुख्य सचिव सुधांश पंत के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि वे कार्यकारी मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
क्या होती है डिजायर, क्यों होता है हर बार विवाद
विधायक अपने लेटर हैड पर संबंधित मंत्री को अपने विधानसभा क्षेत्र में किसी भी कर्मचारी या अधिकारियों को लगाने की अनुशंसा करता है। कई बार मंत्रियों को कार्यकर्ताओं के कहने पर भी डिजायर लिखनी पड़ती हैं।
ये डिजायर व्यवस्था इतनी गहरी हो चुकी है कि अपना पसंदीदा क्षेत्र चाहने वाले संबंधित कर्मचारी या अधिकारी से संबंधित विधायक की डिजायर मांगी जाती है। चाहे याची या पीड़ित कर्मचारी की मांग उचित ही क्यों ना हो।
तबादलों को लेकर विवाद हमेशा उठता है कि प्रभावशाली लोगों की सुनवाई हो जाती है, लेकिन डिजायर व्यवस्था में आम कर्मचारी-अधिकारी को नुकसान उठाना पड़ता है।
वहीं, पैसे लेकर भी तबादले होने के आरोप लगते रहते हैं। जो प्रभावशाली नहीं हैं, उन्हें दूर-दराज क्षेत्रों में जाना पड़ता है, जहां कोई लगना नहीं चाहता।
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