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विश्व इतिहास रचने में उदयपुर का भी रहा योगदान,भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली,विश्व की दूसरी व एशिया की पहली इंस्टीट्यूट होने का गौरव प्राप्त है

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विश्व इतिहास रचने में उदयपुर का भी रहा योगदान

भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली,
विश्व की दूसरी व एशिया की पहली इंस्टीट्यूट होने का गौरव प्राप्त है


एनएसडी ने भारत रंग महोत्सव से इतिहास रच दिया यह भारत का एक मात्र रंगमंच का अंतरराष्ट्रीय महोत्सव हर साल करती है इस बार यह भारंगम का पच्चीसवां साल पूरा कर रजत जयंती मना रही है जो की इस महोत्सव में 150 नाटक की प्रस्तुतियों से महोत्सव को भी पूरे विश्व में भारत को नंबर एक पर ले आए और इतिहास तो रचा ही साथ ही इस भारत रंग महोत्सव के समापन पर अनूठा एक वर्ल्ड रिकॉर्ड और बना दिया जो की पूरे भारत से रंगमच समूह को  एक साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाकर 2000 हजार प्रस्तुतियों से भारत में विश्व इतिहास रच दिया जिसमें उदयपुर की टीम नाट्य संस्था ने भी योगदान दिया
यह योगदान टीम संस्था ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के भारत रंग महोत्सव के लिए नाटक मछली का घोंसला की ऑनलाइन मंचन कर के दिया
उल्लेखनीय हैं की यह नाटक उदयपुर में चालीस साल बाद फिर से मंचन किया यह नाटक उदयपुर के नाट्य लेखक रिजवान ज़हीर उस्मान द्वारा लिखित था जो की भारत के प्रमुख नाट्यलेखको में शुमार है
मछली का घोंसला नाटक में वरिष्ठ रंगकर्मी शैलेंद्र शर्मा व रामेश्वर गौड़ ने मुख्य भूमिका निभाई चालीस साल पहले भी इसी नाटक में दोनो ने अभिनय किया था यह कलाकार सित्तर वर्ष की आयु में भी अपने अभिनय से नाटक में जान डाल दी जिसमे अन्य कलाकार ने साथ दिया वो थे अशोक कपूर, जितेंद्र कहर, मुकेश धनगर, हर्ष सोलंकी ने भूमिका निभाई वही हेमेंद्र खटीक ने संगीत संचालन तो जसबीर सिंह ने प्रकाश व्यवस्था देखी
इस नाटक की परिकल्पना रामेश्वर गौड़ ने की मंच सज्जा शैलेंद्र शर्मा की रही
नाटक मछली का घोंसला का निर्देशन सुनील टांक ने किया
टांक ने बताया की विश्व इतिहास रचने में उदयपुर के टीम नाट्य संस्था के योगदान देने में विशेष सहयोग
राजस्थान विद्यापीठ के प्रो एसएस सारंगदेवोत एवम सूचना केंद्र के उपनिदेशक गोरिकांत शर्मा का रहा
भारत रंग महोत्सव के ऑनलाइन पूरे भारत से जो प्रस्तुतियां हुई उसका नाम जन भारत रंग रखा गया
नाटक मछली का घोंसला विकसित भारत, पंच प्राण एवम वसुधेव कुटुंबकम पर आधारित था

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