बीकानेर। नेशनल एनवायरमेंट साइंस अकादमी, नई दिल्ली ( नेसा) तथा राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र सहित अन्य संस्थाओं के तत्वावधान में ओजोन लेयर के अपघटन व प्राणियों पर उसके प्रभाव संबंधी दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस आज से बीकानेर में प्रारंभ हुई। बीकानेर में प्रारंभ हुई इस कॉन्फ्रेंस में देश भर से विज्ञान विषय के अनेक विशेषज्ञ भाग लेने पहुंचे। दो दिवस तक चलने वाली इस राष्ट्रीय कांफ्रेंस में देश के विभिन्न कोनों से आए डेलीगेट्स अपने पत्र वाचन करेंगे तथा दो दिवसीय कांफ्रेंस में 6 सत्र होंगे। इस क्षेत्र की विभिन्न पत्रिकाओं का विमोचन भी किया गया।इसके साथ ही इस अवसर पर राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र द्वारा एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर अम्बरीश शरण विद्यार्थी कुलपति बीटीयू बीकानेर ने बताया कि इस आयोजन के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आए विषय विशेषज्ञों की अनुशंसाओं को सरकार तक पहुंचाया जाएगा। ऐसे निर्देश हैं कि इस कॉन्फ्रेंस में लिए गए निर्णय को पॉलिसी के रूप में लागू किया जाएगा ताकि प्राकृतिक संरक्षण के साथ बेहतर कल का निर्माण हो सके।
डॉक्टर एन खरे एडवाइजर साइंटिस्ट मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस दिल्ली ने बताया कि इस सेमिनार का उद्देश्य यही है कि आम आदमी ओजोन परत को बचाने की महत्ता को समझे तथा ओजोन ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जा सके।
सेमिनार संयोजक तथा आयोजन प्रभारी डॉ आर्तबन्धु साहू निदेशक राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र बीकानेर ने बताया कि कृषि, प्रकृति तथा जीवन चक्र एक दूसरे से सहसंबद्ध है तथा यह सेमिनार इस दिशा में एक प्रयास है। उन्होंने ऊंट को सबसे बड़ा क्लाइमेट रेजिस्टेंस पशु बताते हुए इसके संरक्षण की महत्ता से अवगत करवाया।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ मीरा श्रीवास्तव, पूर्व प्राचार्य डूंगर महाविद्यालय बीकानेर ने कहा कि प्रदूषण की वजह से हो रहे अपघटन को रोकना इस प्रकार की कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य है।
डॉ संदीप कुमार, वैज्ञानिक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली ने विशेष बातचीत में कहा कि इस दो दिवसीय सेमिनार में ओजोन लेयर के महत्व को समझ कर तथा ओजोन के विघटन के कारण होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए उपाय ढूंढे जाएंगे।
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