बीकानेर, 31 अगस्त। डेंगू-मलेरिया-चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम हेतु अलर्ट मोड में चल रहे स्वास्थ्य विभाग को अब मिशन मोड पर लाने के लिए शहरी डिस्पेंसरी के चिकित्सकों व पब्लिक हेल्थ मैनेजर्स की समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में मलेरिया के बढ़ रहे मामलों, वर्तमान परिदृश्य तथा आवश्यक प्रयासों पर गहन चर्चा हुई। सीएमएचओ डॉ. मोहम्मद अबरार पवार ने कहा कि शहरी क्षेत्र के घर-घर में कूलर और पक्षियों के परिंडो में मच्छरों की फैक्ट्रियां संचालित है। इनकी सफाई के लिए आमजन की सामूहिक भागीदारी व जिम्मेदारी को जगाने के पुख्ता प्रयास करने होंगे। सभी शहरी अस्पतालों को नर्सिंग विद्यार्थियों के दल आवंटित किए हुए हैं। आवश्यकता है कि यह दल प्रतिदिन घर-घर जाकर एंटी लारवा गतिविधियां स्वयं भी करें और परिवार जनों को प्रशिक्षण देवें। अस्पताल में मलेरिया जांच हेतु स्लाइड बनाना काफी नहीं है घर-घर जाकर बुखार के रोगी ढूंढे और एक्टिव स्लाइड कलेक्शन बढ़ाएं। डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक मलेरिया रोगी को प्राइमाक्वीन 15 मिलीग्राम टैबलेट लगातार 14 दिन देनी आवश्यक है चाहे मरीज ठीक हो चुका हो। अन्यथा इसके दोबारा होने और रोग फैलने की गुंजाइश रहती है। डॉक्टर नवल किशोर गुप्ता ने बताया कि मलेरिया फैलाने वाले मादा एनाफिलीज मच्छर 3 किलोमीटर तक उड़कर जा सकते हैं ऐसे में एंटी लारवा के साथ-साथ एंटी एडल्ट गतिविधियां करना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए मच्छर रोधी अगरबत्ती व फास्ट कार्ड घरों में उपयोग लेने को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता जताई। एपीडेमियोलोजिस्ट नीलम प्रताप सिंह ने शहरी क्षेत्र में मलेरिया डेंगू की वर्तमान स्थिति और चल रही सर्वे गतिविधियों के आंकड़ों की समीक्षा की। उन्होंने मच्छर के जीवन चक्र और रोकथाम गतिविधियों की तकनीकी जानकारी दी।
हर घर अपनाए एंटी लार्वल गतिविधियाँ
डॉ. अबरार के अनुसार मच्छरों की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका है एंटीलार्वल एक्टिीविटी जिसके तहत् मच्छरों को पनपने से ही रोक दिया जाता है। इस क्रम में गंदे पानी के इकट्ठा होने पर एमएलओ/काला तेल पाइरेथ्रम छिड़काव, साफ पानी के तालाबों पर बीटीआई, पेयजल में टेमीफोस, घरों में पाइरेथ्रम स्प्रे तथा जल स्त्रोंतो में मच्छर का लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डलवाने का कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि बारिश के कारण यह समय मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के प्रजनन हेतु अनुकूल है अतः आमजन को चाहिए कि पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें।
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