बीकानेर। धर्म नगरी ( छोटी काशी) बीकानेर में होली के पश्चात कन्याओं की गवर के पश्चात बारहमासा गवर की धुम मच जाती है और इसी में सबसे ज्यादा विख्यात गवर है आलू जी छंगाणी की गवर जिसका मेला बारह गुवाड़ चौक में लगता है।
आलू जी छंगाणी की गवर का मेले से पूर्व पूर्ण साज श्रृंगार का कार्य चल रहा है।आलू जी छंगाणी की गवर के पीछे किंवदंती के बारे में बतलाते हुवे उनके वंशज ईश्वरदास छंगाणी बताते कि आलू जी छंगाणी के वंश वृद्धि नही हो रही थी तो वे एक पहुंचे हुवे संत के पास गए,तो उन्होंने उन्हे हाथ से गवर -ईश्वर बना कर उनकी स्थापना कर पूजने को बोला,,कहते है उन्होंने जब बनाना शुरू किया तो ऐसी लगन लगी की गणेश प्रतिमा निर्माण के पश्चात क्रमश ईश्वर,गवर भगवान कृष्ण,गुजरी आदि की प्रतिमाएं बना डाली कहते है उसका उन्हे पूर्ण आशीर्वाद मिला और उनकी वंश बेल खूब फैली,,,,तब से ही उन्होंने सभी के दर्शनार्थ रखना शुरू किया,कहते है जिनकी शादी नही होती, बच्चा नही होता वंश वृद्धि नही होती सभी इनके आगे अपनी मन्नत रखते है और वो पूर्ण भी होती है
इस बार मेले की तैयारी एवम श्रृंगार के बारे में बताते राधे शिवजी छंगाणी ने बताया कि इस बार का श्रृंगार अपने आप में विशिष्ट एवम अलग होगा।
इस बार इस गवर के मेले के बारे में बतलाते हुवे पंकज आचार्य ने बतलाया कि दिनांक 1 और 2 अप्रैल को मेला बारहगुवाड़ के शिव मंदिर के पास भरेगा।
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