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सरकार को भेजी खराब उपकरणों की रिपोर्ट:60 से ज्यादा उपकरण नकारा, दो साल से रेटिना की ओसीटी जांच नहीं, जान बचाने वाले 19 वेंटिलेटर खराब

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पीबीएम हॉस्पिटल के नेत्र रोग विभाग में रेटिना की जांच के काम आने वाली ऑप्टिकल कोहरेंस टोनोग्राफी मशीन दो साल से खराब है। एक्स-रे, सोनोग्राफी, वेंटिलेटर सहित 60 से ज्यादा उपकरण खराब पड़े हैं। उनकी मरम्मत कराना प्रशासन के लिए सिर दर्द बना हुआ है।सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज ने नेत्ररोग विभाग के लिए दस साल पहले 50 लाख रुपए की लागत से ऑप्टिकल कोहरेंस टोनोग्राफी मशीन स्विटजरलैंड से खरीदी थी। हर रोज आठ से दस पेशेंट रेटिना के होते हैं, जिनकी जांच फंडस ओटीएस से करनी पड़ रही है।

इसी प्रकार एक एक्स-रे, दो सोनोग्राफी और करीब 19 वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। सौ से ज्यादा पेशेंट बेड कंडम हो चुके हैं। विभिन्न जांच में काम आने वाली कॉट्री मशीन खराब पड़ी है। बच्चा अस्पताल में 6 हीट वार्मर तक खराब हैं। पीबीएम प्रशासन ने हाल ही में राज्य सरकार को खराब उपकरणों की रिपोर्ट भेजी है, जिससे यह खुलासा हुआ है। खराब उपकरणों की शिकायत ई सोफ्टवेयर पर दर्ज कराई जा चुकी है।

दरअसल राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी अस्पतालों में उपकरण ठीक करने का काम किर्लोस्कर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड(केटीपीएल) को सौंप दिया है। कंपनी की शर्तों के कारण खराब उपकरणों की मरम्मत समय पर करवाना समस्या बना हुआ है। सबसे ज्यादा परेशानी विदेशी मशीनरी को लेकर आ रही है। कंपनी के इंजीनियर उसे हाथ तक नहीं लगा पा रहे। गारंटी में चल रही मशीनों को ठीक कराने को लेकर भी बड़ी अड़चन है।

इधर कोरोना फिर डरा रहा, 1 सप्ताह में 37 केस, 4 माह में 70 आ गए, तैयारी नाकाफी

कोरोना के इस एक सप्ताह में 37 केस रिपोर्ट हो चुके हैं। इन चार महीनों में अब तक 70 केस आ चुके हैं। हालांकि डॉक्टर्स इस बार कोरोना को गंभीर नहीं बता रहे, लेकिन फिर भी आशंकित हैं कि कहीं कोई नया और खतरनाक वेरियंट ना आ जाए। इसे देखते हुए पीबीएम हॉस्पिटल प्रशासन तैयारियां फिलहाल नाकाफी हैं। कोरोना रोगियों के लिए डी वार्ड आरक्षित कर दिया गया है।

ऑक्सीजन प्लांट 11 प्लांट में से अभी एक जनाना वाला ही चलाया जा रहा है। उसी से डी वार्ड को कनेक्ट किया गया है। बंद पड़े प्लांट की स्थिति को देखने के लिए 10 अप्रैल को मॉक ड्रिल की जाएगी। पीबीएम में रोजाना करीब 300 सिलेंडर ऑक्सीजन की खपत हो रही है। यह प्राइवेट ठेकेदार से कांट्रेक्ट पर मंगाए जा रहे हैं। कोरोना की स्थित को देखते हुए खराब पड़े उपकरणों को जल्दी ठीक कराना जरूरी हो गया है। हालात ये है कि आफ्टर कोविड 50 से ज्यादा उम्र के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। उन्हें सांस, हदृय रोग सहित कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। उनके लिए सक्शन मशीनें तक नहीं है। सौ से ज्यादा मशीनें पीबीएम में बताई जाती हैं, लेकिन पिछले दिनों सक्शन प्लांट खराब होने पर एक भी नहीं मिली। मरीजों के परिजनों को को बाहर से खरीदनी पड़ी।

उपकरणों की बेकद्री भी… एमसीएच बिल्डिंग में धूल फांक रहे पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर

कोरोनाकाल में एमसीएच की बिल्डिंग को कोविड हॉस्पिटल में तब्दील किया गया था। कोरोना जाने के बाद उसे बंद कर दिया गया, लेकिन बिल्डिंग के कमरों में रखे वेंटिलेटर, आईसीयू बेड, मल्टीपल मॉनिटर, बेड साइड कार्डियक टेबल, ऑक्सीजन सिलेंडर सहित 40 तरह के उपकरणों की सार संभाल ही नहीं की। इनमें प्रधानमंत्री केयर और युवराज फाउंडेशन के उपकरण भी है। सभी पर धूल की परत चढ़ गई है। उपकरणों की कीमत 5.40 करोड़ रुपए है। इनमें 2.83 करोड़ के तो वेंटिलेटर और मॉनिटर ही हैं। ज्यादातर के खराब और कुछ खुर्दबुर्द होने का अंदेशा है। कोरोना पीक था तब ये उपकरण भेजे गए थे। उस दौरान 40 एयरकंडीशन भी आने की चर्चा है, लेकिन अब कहां हैं, किसी को पता नहीं। डॉक्टर्स का कहना है कि सुना हमने भी है, लेकिन रिकॉर्ड में नहीं है।

7 सीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट, शुरू एक भी नहीं
पीबीएम के अलावा जिले के नोखा, नापासर, खाजूवाला, देशनोक, श्रीडूंगरगढ़, कोलायत और लूणकरणसर में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट तो लगा दिए, लेकिन एक भी ऐसी हालात में नहीं है, जिसे तत्काल उपयोग में लाया जा सके। लूणकरणसर में ऑक्सीजन स्टोरेज की सुविधा ही नहीं है। कोलायत सीएचसी में ऑक्सीजन पाइप ही नहीं लग पाए। पूगल सीएचसी में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के लिए विधायक गोविंद मेघवाल ने पिछले साल 45 लाख रुपए की घोषणा की थी, जो अब तक नहीं लगा सका।

बायो मेडिकल इंजीनियर ही नहीं, जो थे उन्हें भी हटाया
सरकार ने कोरोनाकाल में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के लिए कॉन्ट्रेक्ट बेस पर एक साल के लिए बायो मेडिकल इंजीनियरों की भर्ती की थी, जिसमें से 19 ही आए। इसमें नौ के वेतन का बजट सरकार ने दिया। बाकी का भुगतान एनएचएम के जरिए किया गया था। सभी की सेवाएं 31 मार्च को खत्म कर दी गईं। जबकि कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए हर अस्पताल को बायो मेडिकल इंजीनियर की जरूरत है। ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के संचालन से लेकर ई उपकरणों के मेंटेनेंस में इनका सबसे बड़ा योगदान रहता है।

“खराब उपकरणों की मरम्मत को लेकर कंपनी के इंजीनियरों के साथ 17 को मीटिंग है। उसमें सभी ईश्यू क्लियर किए जाएंगे। आसीटी मशीन को ठीक होने स्विटजरलैंड भेजा जाएगा। उसके लिए 5 लाख रुपए सेंक्शन किए हैं।”
-डॉ. गुंजन सोनी, प्रिंसिपल, एसपी मेडिकल कॉलेज, बीकानेर

“पीबीएम में खराब उपकरणों की कंप्लेंट की जा चुकी है। हमारे पास एक्स्ट्रा उपकरण हैं। जिनसे काम चल रहा है। ऑक्सीजन प्लांट की अभी जरूरत नहीं है। गैस सिलेंडरों से काम चल रहा है।”
-डॉ. प्रमोद कुमार सैनी, अधीक्षक, पीबीएम हॉस्पिटल

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