सर्दी ने बढ़ा दी रेगिस्तान के अनार की चिंता:जनवरी में देशभर के बाजार में पहुंची, अब तेज सर्दी के चलते सिंदूरी अनार पर खतरा
बीकानेर
एक ही पौधे पर पंद्रह से बीस किलो अनार उतरती है।
महाराष्ट्र के अनार को टक्कर दे रहा रेगिस्तान का सिंदूरी अनार पर इस बार सर्दी और बारिश का खतरा मंडरा रहा है। बड़ी संख्या में किसानों ने जनवरी के पहले सप्ताह में ही अनार उतारकर देशभर के बाजार में पहुंचा दिया, वहीं देरी से खेती करने वालों को सर्दी और बारिश की चिंता सता रही है। एक अनुमान के मुताबिक अकेले बीकानेर में इस बार पंद्रह लाख किलो अनार का उत्पादन होगा। अगले कुछ दिनों में धूप ने अच्छे तेवर दिखाए तो ये मात्रा पंद्रह से बढ़कर बीस लाख किलो भी हो सकती है।
बीकानेर के मान्याणा गांव में ओम प्रकाश भांभू के खेत में अनार का फूल।
सिरोही, जालोर और बाडमेर के बाद बीकानेर भी अनार उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। बीकानेर में पड़ने वाली तेज धूप अनार उत्पादन के लिए बेहतर साबित हो रही है। इस बीच इस बार सर्दी ने खेल बिगाड़ दिया है। दिसम्बर के अंतिम सप्ताह से जनवरी के अंतिम सप्ताह तक धूप कम खिली और कोहरा ज्यादा रहा। ऐसे में अनार को बचाए रखने के लिए किसानों ने भरसक प्रयास किया है। अच्छी बात ये है कि क्षेत्र के मेहनती किसानों ने अनार के आकार और दाने में कोई अंतर नहीं आने दिया। बीकानेर में अब तक पंद्रह लाख किलो अनार का उत्पादन हो चुका है। आने वाले कुछ दिनों में ये मात्रा बढ़ सकती है।
खेत से सीधे बाजार में
विकसित देशों की तरह बीकानेर में भी अनार मंडी के बजाय सीधे खेत से बिक रहा है। गुजरात और महाराष्ट्र के व्यापारी पेड़ से उतरने से पहले अनार की खरीद करने लगे हैं। अहमदाबाद, राजकोट, गांधी नगर सहित गुजरात के कई जिलों से बीकानेर आने वाले व्यापारी एक-दो ट्रक भरकर ले जाते हैं। इस बार जनवरी में ज्यादा सर्दी के बाद भी अनार की खेती कर रहे किसानों ने काफी बिक्री की है। देरी से खेती करने वाले किसान अब मार्च में अपनी फसल बाजार में उतारेंगे। मार्च की खरीद के लिए भी बाहरी व्यापारी चक्कर काटने लगे हैं।
खेतों में एक के बाद एक कतारबद्ध पौधे लगे हुए हैं।
बीकानेर में एक लाख पौधे
अनार की खेती करने वाले ओमप्रकाश भांभू का कहना है कि बीकानेर में इस समय एक लाख पौधे लगे हुए हैं। औसतन एक पौधे से पंद्रह से बीस किलो अनार निकलता है। जिसकी बाजार में कीमत पचास रुपए से सौ रुपए प्रति किलो तक मिल जाती है। अनार के दाने पर निर्भर करता है कि उसकी कीमत पचास रुपए से कितनी ज्यादा है।
जिले के इन गांवों में अनार ही अनार
बीकानेर के मान्यणा, देसलसर, अलाय, पेमासर, पलाना, गाढ़वाला, हिम्मतसर गांव में बड़ी संख्या में अनार की खेती हो रही है। इन गांवों में होने वाला अनार महाराष्ट्र में होने वाले अनार से अच्छा है।
एक पौधा पच्चीस साल पैदावार
अनार की खेती के प्रति रेगिस्तानी किसानों की रुचि का बड़ा कारण लंबे समय तक फल देना है। किसानों का कहना है कि एक बार पौधा फल देने लगे तो पच्चीस साल तक लगातार अनार मिलता रहता है। ऐसे में एक बार मेहनत करने के बाद पौधों की सारसंभाल करने मात्र से किसान की आर्थिक स्थिति सुधर सकती है।
धूप भी लाभदायक
किसान भांभू ने बताया कि बीकानेर सहित पश्चिमी राजस्थान के अनार के सफल होने के पीछे मुख्य कारण ही यहां की गर्मी और तेज धूप है। यहां जैसे ही धूप तल्ख होना शुरू होती है, वैसे ही अनार का दाना भी बड़ा होने लगता है। जनवरी के अंतिम सप्ताह तक इस बार सर्दी ज्यादा होने से अनार पर फर्क पड़ सकता है। हालांकि किसान कोहरे से बचाने के उपाय भी ढूंढ रहे हैं।
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