सीक्रेट लेटर चोरी केस में इमरान को जमानत:बेल के बावजूद रिहा नहीं हो सकेंगे; अब बहनों को सियासत में लाने की तैयारी
इमरान खान के खिलाफ 120 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनमें उनकी गिरफ्तारी तय है। (फाइल)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सीक्रेट लेटर चोरी केस (सायफर केस) में सुप्रीम कोर्ट से बेल मिल गई है। इसके बावजूद खान जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे। इसकी वजह यह है कि खान को सरकारी खजाने (तोशाखाना) के तोहफे बेचने के मामले में सजा हो चुकी है। इसके अलावा उन पर कई संगीन मामलों में केस दर्ज हैं।
दूसरी तरफ, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इमरान अब अपनी बहनों को सिसायत में लाने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि खान की बहन अलीमा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं।
27 मार्च 2022 को इस्लामाबाद की रैली में इमरान के हाथ में एक कागज नजर आया था। खान का दावा है कि इसमें उनकी सरकार गिराने की अमेरिकी साजिश का जिक्र है। इस कागज को ही सायरफर कहा गया और इसी में खान फंसे, क्योंकि यह नेशनल सीक्रेट था।
10 लाख रुपए का जुर्माना भी
- इमरान के साथ उनकी सरकार में फॉरेन मिनिस्टर रहे शाह महमूद कुरैशी को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। दोनों नेताओं को 10-10 लाख पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी भरना होगा। हालांकि, खान और कुरैशी का जेल से बाहर आना फिलहाल नामुमकिन नजर आता है।
- खान के खिलाफ 15 केस ऐसे हैं, जिनमें गिरफ्तारी तय है। इसमें 9 मई 2022 को फौजी ठिकानों पर हमले का केस शामिल है। इसकी सुनवाई मिलिट्री कोर्ट में होनी है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी के लिए मुफ्त जमीन लेने का केस भी है। ज्यादातर केस में चार्जशीट भी दायर नहीं हुई है। कुरैशी पर भी कई केस हैं।
- सायफर केस में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने खान को बेल दी है। वो अगस्त से अडियाला जेल में हैं। सियासी तौर पर 8 फरवरी 2024 को होने वाले इलेक्शन में खान का हिस्सा लेना भी मुमकिन नहीं है, क्योंकि इलेक्शन कमीशन उन्हें डिस्क्वॉलिफाई कर चुका है।
- पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक- इमरान खान अब अपनी दो में से एक बहन अलीमा खान को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं। पहले माना जा रहा था कि उनकी पत्नी बुशरा इलेक्शन में उतरेंगी। हालांकि, खान ने बहन पर ज्यादा भरोसा जताया है। आधिकारिक तौर पर इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा गया है।
सायफर केस क्या है
- अप्रैल 2022 में सरकार गिरने के बाद इमरान की तरफ से लगातार दावा किया गया कि उनकी सरकार गिराने के लिए अमेरिका और उस वक्त के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने साजिश रची। खान का आरोप है कि उन्हें इस साजिश की जानकारी अमेरिका में उस वक्त के पाकिस्तानी एंबेसेडर असद मजीद खान ने एक सीक्रेट लेटर के जरिए दी थी। डिप्लोमैटिक टर्म में इसी लेटर को साइफर कहा जाता है।
- यह सायफर अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट यानी फॉरेन मिनिस्ट्री की तरफ से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजा गया था। इमरान का दावा रहा कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन उनको प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहती थी और अमेरिका के इशारे पर ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
- ‘सायफर गेट या केबल गेट या नेशनल सीक्रेट गेट’ केस में इमरान का फंसना तय माना जा रहा था। इसकी वजह यह है कि जब वो प्रधानमंत्री थे, तब आजम खान उनके चीफ सेक्रेटरी थे। आजम से जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) ने दो बार पूछताछ की थी। आजम ने बिल्कुल साफ कहा था कि उन्होंने यह सायफर इमरान को दिया था। बाद में आजम ने जब इसे खान से वापस मांगा तो उन्होंने कहा कि सायफर कहीं गुम हो गया है।
- हैरानी की बात है कि खान ने बाद में यही सायफर कई रैलियों में खुलेआम लहराया। खान ने कहा था- ये वो सबूत है जो यह साबित करता है कि मेरी सरकार अमेरिका के इशारे पर फौज ने गिराई। आजम के इकबालिया बयान ने यह तय कर दिया था कि इमरान चाहकर भी इसे झुठला नहीं सकेंगे। खास बात यह भी है कि आजम ने अपना बयान जांच एजेंसी और मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया, और इसकी कॉपी पर सिग्नेचर भी किए थे।
- इसके अलावा खान का एक ऑडियो टेप भी वायरल हुआ था। इसमें इमरान, उस वक्त के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और आजम खान की आवाजें थीं। फोरेंसिक जांच में यह साबित हुआ कि ऑडियो सही है, इससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। टेप में खान कुरैशी और आजम से कहते हैं- अब हम इस सायफर को रैलियों में दिखाकर इससे खेलेंगे।
इमरान जब PM थे, तब आजम खान उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे। आजम ने जांच एजेंसी के सामने पेश होकर इमरान के झूठ का पर्दाफाश कर दिया था। आजम ने कहा था- सायफर मुझसे खान ने लिया था और वापस मांगने पर कहा कि वो तो गुम हो गया। (फाइल)
यह मामला बड़ा और खतरनाक क्यों
- पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी वकील और पॉलिटिकल एनालिस्ट साजिद तराड़ के मुताबिक- पहली बात तो यह कि सायफर ऑफिशियल कम्युनिकेशन नहीं था। यह एक एम्बेसेडर का अपने विदेश मंत्रालय को लिखा इंटरनल मेमो था, जिसकी कोई कानूनी या डिप्लोमैटिक हैसियत नहीं होती। हां, इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह नेशनल सीक्रेट होता है और इसका पब्लिक प्लेस पर न तो जिक्र किया जा सकता है और न दिखाया जा सकता।
- तराड़ आगे कहते हैं- अमेरिका को अब पाकिस्तान की कोई जरूरत नहीं है। अगर होती भी तो वो इमरान से मंजूरी क्यों मांगता? वो फौज के जरिए ही अपने काम करा लेता है। इसे आप इंटरनल मेमो, इंटरनल केबल, वायर या बहुत हुआ तो डिप्लोमैटिक नोट कह सकते हैं। ये तो बेहद आम चीज है। इमरान की गलती की वजह से अब दूसरे देश भी पाकिस्तान पर आसानी से भरोसा नहीं करेंगे।
- पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी चैनल पर खुलासा किया था कि इमरान की पार्टी PTI ने साजिश के मनगढ़ंत आरोपों के लिए अमेरिका से माफी मांगी है।
- आसिफ ने कहा था- हमारी सरकार के पास इस बात के सबूत मौजूद थे कि खान की पार्टी PTI ने अमेरिकी डिप्लोमैट डोनाल्ड लू से माफी मांगी। खान पहले अपनी सभाओं में अमेरिका के खिलाफ नारे लगा रहे थे, फिर गलतियों के लिए माफी मांगने लगे।
तोशाखाना केस में इमरान की पत्नी बुशरा भी आरोपी हैं। कई बार समन के बावजूद वो पूछताछ के लिए जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुईं। अब उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
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