सेना के इंटरव्यू में जाना था, आई पिता की लाश:फिर भी गई और लेफ्टिनेंट बनीं; बोलीं- मेरा नहीं, पापा का सपना पूरा हुआ
अदिती…अदिती…अदिती…उठो चार बज गए हैं…रनिंग करनी है…अदिती..एक्सरसाइज का टाइम हो गया है… ये वो यादें हैं जो 29 अक्टूबर को चेन्नई की आर्मी एकेडमी (OTA) में पासिंग आउट परेड में शामिल एक बेटी के जेहन में बार-बार आ रही हैं।
ये हैं अलवर की रहने वाली अदिती यादव, जो आर्मी में लेफ्टिनेंट बन गई हैं, लेकिन अदिती की आंखें स्टैंड में केवल उस इंसान को ढूंढ रही हैं जिसने उसकी इस सफलता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, हालांकि, वो जानती हैं कि वो इंसान अब इस दुनिया में नहीं है, वो हैं उसके पिता।
पिता एक बेटी के लिए क्या मायने रखते हैं इसे बताते-बताते लेफ्टिनेंट अदिती की आंखें नम हो जाती हैं, वो कहती हैं कि- आज मेरा नहीं, मेरे पिता का सपना पूरा हुआ है। परेड खत्म हुई तो अदिती ने अपनी भावनाओं को कंट्रोल किया और अपनी मां विकास यादव और दोनों आर्मी ऑफिसर भाइयों को सैल्यूट करते हुए उनकी गले लग गईं।
बहरोड़ के गांव मांचल की रहने वाली 22 साल की अदिती यादव के पिता चंद्रशेखर रेवाड़ी (हरियाणा) में संस्कृत के लेक्चरर थे और सीडीएस के इंटरव्यू से दो दिन पहले रोड एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई थी। पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए वे इंटरव्यू देने गईं और अब आर्मी ऑफिसर बनी हैं।
मां भी रोने लगीं
अदिती को देखकर मां की आंखों में आंसू थे और आदिती का भी मन भारी, क्योंकि जिस मुकाम पर वह खड़ी थी, वहां तक उसे पहुंचाने वाला शख्स आज नहीं था। जिसके बाद उसकी इस सफलता की कहानी इतनी आसान नहीं रही, लेकिन अदिती ने खुद काे संभाला और ना केवल खुद का बल्कि उस शख्स का सपना भी पूरा किया। अदिती के एक छोटा भाई हर्षवर्धन (19) है, जो कंप्यूटर साइंस से बीटेक कर रहा है। मां विकास यादव व्याखाता हैं।
सफलता के पीछे संघर्ष की यह कहानी
अदिती जब छोटी थी तभी से उसका सपना था कि भारतीय सेना में अफसर बनना है। घर में दो चचेरे भाई पहले से ही मेजर और कैप्टन थे। बेटी के इस सपने को शिक्षक पिता चंद्रशेखर ने भी समझा और कहा कि तुम बेफिक्र होकर तैयारी करो। किसी से डरना मत, कभी पीछे मत हटना। बस, फिर क्या था, पिता का साथ मिला तो अदिती दिन रात तैयारी में जुट गई।
सवेरे चार बजे उठकर पिता बेटी को दौड़ लगवाने ले जाते। दिनरात इस बात का ध्यान रखते कि बेटी को कोई परेशानी ना हो। वह अपने लक्ष्य से भटके नहीं। पिता ने बेटी के सपने को अपना बना लिया था और बेटी भी जैसे पिता की इस ख्वाहिश को पूरा करने की ठान चुकी थी।
अदिती के पिता केंद्रीय विद्यालय में संस्कृत के शिक्षक थे। उनकी माता हरियाणा में व्याख्याता हैं। अपने पिता चंद्रशेखर के साथ अदिती।
साल 2020 में सीडीएस की रिटन एग्जाम में अदिती पास हो गई। अब बारी थी इंटरव्यू की। जिसके लिए करीब एक महीने का समय मिला। अदिती का इंटरव्यू 28 जून को 2021 को था। इसके लिए वह 15-15 घंटे लगातार तैयारी कर रही थी। उसका उत्साह चरम पर था और हौंसले बुलंद। अपनी तैयारी पर उसे पूरा यकीन था कि सिलेक्शन जरूर होगा। इस तैयारी में साए की तरह साथ थे पिता चंद्रशेखर, लेकिन फिर वह हुआ जिसकी परिवार में किसी ने सोची तक नहीं थी और कोई सोच भी नहीं सकता।
29 अक्टूबर को चेन्नई में पासिंग आउट परेड में अदिती का पूरा परिवार मौजूद था।
…तारीख 26 जून 2021, इंटरव्यू से ठीक दो दिन पहले
रात के कोई आठ बज रहे थे। आदिती के पिता चंद्रशेखर रेवाड़ी में अपने घर से स्कूटी पर बाजार के लिए निकले। कहकर गए थे कि थोड़ी देर में आ रहा हूं। कुछ देर बाद ही खबर आई एक बाइक वाले ने उन्हें टक्कर मार दी।
घरवाले दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे, लेकिन सब खत्म हो चुका था। सिर में गंभीर चोट लगने से उनकी मौत हो चुकी थी। दो दिन बाद ही आदिती को इंटरव्यू के लिए जाना था। घर में इसकी तैयारी हाे चुकी थी। बड़ी मुश्किल से आदिती को इस हादसे के बारे में बताया गया। सुना तो वह जैसे चीख पड़ी।
अगले दिन यानी 27 जून को घर पर पिता का शव लाया गया, सब बदहवास से थे। कुछ नहीं पता था कि अब क्या होगा। आदिती कभी मां को संभालती तो कभी भाई को। जो सपना उसने और पिता ने साथ मिलकर देखा था वह उसकी आंखों में बार-बार घूम रहा था और अगले ही दिन 28 जून का उसका इंटरव्यू था। उसने तय किया कि वह किसी हालत में पिता के इस सपने को टूटने नहीं देगी।
वह अकेले ही रेवाड़ी से उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) इंटरव्यू देने के लिए रवाना हुई। घर से करीब 750 किमी दूर वह अकेली गई। दो दिन से जागी आदिती इंटरव्यूर्स के सामने बैठी थी। मन में जिदंगी के सबसे बड़े सदमे का दबाए उसने एक-एक सवाल का जवाब दिया और लौट आई। नवंबर 2021 में अदिती का सिलेक्शन हुआ।
पासिंग परेड के बाद पहला सैल्यूट मां और भाइयों को
अदिती की 29 अक्टूबर को ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई में पासिंग आउट परेड हुई। परेड से निकलकर उसने पहला सैल्यूट वहां मौजूद अपनी मां विकास यादव और बड़े भाई मेजर भारत यादव और दूसरा सैल्यूट छोटे भाई कैप्टन विशाल यादव को दिया। ये दोनों अदिती के ताऊ के बेटे हैं। खुशी के इस मौके पर अदिती अपने पिता को बहुत याद कर रही थी।
अदिती बताती है कि मैं उन खुश किस्मत बेटियों में से हूं, जिन्हें अपने परिवार से ताकत मिलती है। मेरे सपने पूरे करने में मां और पिता ने पूरा साथ दिया। बाकी पूरा परिवार बहरोड़ के गांव मांचल में रहता है।
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