SPORTS / HEALTH / YOGA / MEDITATION / SPIRITUAL / RELIGIOUS / HOROSCOPE / ASTROLOGY / NUMEROLOGY

सेहतनामा- भारत से ट्रेकोमा का सफाया:यह अंधेपन का सबसे बड़ा कारण, कैसे होता है, कब सावधानी जरूरी, आई स्पेशलिस्ट के 8 सुझाव

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

सेहतनामा- भारत से ट्रेकोमा का सफाया:यह अंधेपन का सबसे बड़ा कारण, कैसे होता है, कब सावधानी जरूरी, आई स्पेशलिस्ट के 8 सुझाव

भारत से ट्रेकोमा (Trachoma ) का लगभग सफाया हो गया है। ट्रेकोमा अब देश से एलिमिनेट हो चुका है। इसका मतलब है कि भारत में ट्रेकोमा के मामलों का प्रसार अब 1% से भी कम रह गया है। हमारे देश के लिए यह एक माइल स्टोन है, जिसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को सम्मानित किया है। यह उपलब्धि अब तक भारत समेत दुनिया के सिर्फ 20 देशों को हासिल हुई है। ट्रेकोमा एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। यह जिस बैक्टीरिया के कारण होता है, मेडिसिन की भाषा में उसे क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस कहते हैं। बैक्टीरिया के नाम से ज्यादा महत्वपूर्ण है, उसका काम। यह बैक्टीरिया कभी भारत समेत पूरी दुनिया में अंधेपन का प्रमुख कारण रहा है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो मुख्य रूप से आंखों को प्रभावित करती है। इसके कारण पलकों की भीतरी सतह खुरदरी हो जाती है।

अगर इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो यह गंभीर दर्द, कॉर्नियल डैमेज और आखिर में अंधेपन का कारण बन सकती है। सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि ट्रेकोमा से हुआ अंधापन ठीक नहीं हो सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अभी भी दुनिया के 39 देशों में ट्रेकोमा एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। इसके कारण पूरी दुनिया में 19 लाख लोग अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं। इसलिए भारत से इस बीमारी का पूरी तरह खत्म हो जाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में ट्रेकोमा की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • ट्रेकोमा किन कारणों से फैल सकता है?
  • इसका इलाज और सावधानियां क्या हैं?
  • किस तरह के लक्षण दिखने पर सावधानी जरूरी है?

2005 में भारत में अंधेपन के 4% मामलों की वजह था ट्रेकोमा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, साल 2005 में भारत में अंधेपन के 4% मामलों के लिए ट्रेकोमा जिम्मेदार था। इसके बाद साल 2018 तक ट्रेकोमा का प्रसार घटकर 0.008% तक हो गया था।

भारत में ट्रेकोमा से जुड़े सभी तथ्यों, आंकड़ों और केसेज का डिटेल रिव्यू करने के बाद WHO की टीम इस नतीजे पर पहुंची कि भारत से यह बीमारी तकरीबन समाप्त हो चुकी है। टीम ने WHO को अपनी रिकमंडेशन भेजी और WHO ने उसे अप्रूव कर दिया।

देश-दुनिया में ट्रेकोमा के कितने मरीज हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक, साल 2020 में एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए दुनिया के लगभग 3.28 करोड़ लोगों का ट्रेकोमा के लिए इलाज किया गया, जबकि 42,000 से अधिक लोग सीवियर कंडीशन का सामना कर रहे थे। इसलिए उनके इलाज के लिए सर्जरी की मदद लेनी पड़ी। ट्रेकोमा के कारण आज दुनिया में लगभग 19 लाख लोग अंधे या दृष्टिबाधित हैं। मौजूदा समय में दुनिया भर में अंधेपन के लगभग 1.4% मामलों के लिए ट्रेकोमा जिम्मेदार है।

जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि भारत के हेल्थ केयर सिस्टम ने ट्रेकोमा को लेकर भले ही बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। इसके बावजूद डॉक्टर्स और आम लोगों को सावधानी बनाए रखने की जरूरत है। थोड़ी सी लापरवाही भी संक्रमण का कारण बन सकती है।

किस तरह के लक्षण दिखने पर सावधानी जरूरी है?

डॉ. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि ट्रेकोमा के लक्षण आंख के सामान्य इन्फेक्शन जैसे ही होते हैं। समय बीतने के साथ आंख के सफेद हिस्से में घाव बढ़ता जाता है। इसमें सबसे पहले आंखों में ड्राइनेस बढ़ती है, पलकों में सूजन होती है। फिर आंख में चुभन शुरू हो जाती है और कॉर्निया डैमेज होने लगता है। ट्रेकोमा के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते और नुकसान करते हैं। इसलिए इसे शुरू में ही पहचानकर इलाज करवाना जरूरी है।

इसके क्या लक्षण होते हैं, ग्राफिक में देखिए।

ट्रेकोमा कैसे फैलता है?

यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति की आंख, नाक या गले से हुए स्राव के सीधे संपर्क में आने से फैलती है। अगर मक्खियां स्राव के संपर्क में आई हैं तो उनके जरिए भी ट्रेकोमा फैल सकता है।

डॉ. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि यह बीमारी ज्यादातर विकासशील देशों में फैलती है। इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि वहां धूल और गंदगी अधिक होती है, जिसके कारण मक्खियां अधिक पनपती हैं। ट्रेकोमा के ज्यादातर मामलों में मक्खियां ही बैक्टीरिया की वाहक होती हैं।

डॉ. दिग्विजय सिंह बताते हैं कि उनके पास ट्रेकोमा के ज्यादातर मामले ग्रामीण या कस्बाई इलाकों से आते थे क्योंकि वहां गंदगी और मक्खियां पनपने का जोखिम अधिक होता है।

अगर किसी कपड़े, सतह या मक्खी के जरिए बैक्टीरिया हमारे हाथ या चेहरे तक पहुंच गया है तो यह आसानी से आंखों तक पहुंच जाता है और संक्रमण हो जाता है।

ट्रेकोमा का इलाज आसान है

डॉ. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि ट्रेकोमा एक खतरनाक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। यह किसी के अंधेपन का कारण बन सकता है, लेकिन इसका इलाज उतना ही आसान है।

चूंकि ट्रेकोमा के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं तो इसके इलाज के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है और इसके इलाज में एंटीबायोटिक्स बहुत कारगर दवा है। आमतौर पर डॉक्टर एजिथ्रोमाइसिन रिकमेंड करते हैं। लेकिन हम डॉक्टर की सलाह के बगैर अपने मन से ये दवा नहीं खा सकते।

ट्रेकोमा से बचाव के उपाय क्या हैं

डॉ. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि ट्रेकोमा या किसी भी अन्य बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचने के लिए साफ-सफाई ही सबसे बुनियादी और जरूरी चीज है।

इसलिए बार-बार हाथ धोते रहें। खासतौर पर चेहरे पर हाथ लगाने से पहले साफ पानी से हाथ धुलें।

इस इन्फेक्शन में मक्खियां भी बैक्टीरिया की वाहक होती हैं। इसलिए अपने रहने के स्थान के आसपास भी सफाई रखें। इसके अलावा और क्या उपाय हो सकते हैं, ग्राफिक में देखिए।

ट्रेकोमा का उन्मूलन डेंगू, मलेरिया से लड़ाई में बड़ी उम्मीद है

हम दुनिया के उन 20 देशों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने ट्रेकोमा को एलिमिनेट किया है। डॉ. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि ट्रेकोमा का उन्मूलन भारत में फैलने वाली कई वेक्टर डिजीज से लड़ाई में बड़ी उम्मीद की तरह है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!