सोने को टूथपेस्ट बनाकर ला रहे तस्कर:मजदूरों के जरिए डिलीवरी; जयपुर एयरपोर्ट पर 7 दिन में 5 करोड़ का गोल्ड जब्त
Jaipur
पेस्ट बनाकर गोल्ड को कुछ इस तरह से पैक किया जाता है। पेस्ट बनाने में कई तरह के एसिड का इस्तेमाल होता है, जो बॉडी के लिए खतरनाक हो सकता है।
जयपुर एयरपोर्ट पर पिछले 7 दिन में करीब 5 करोड़ का गोल्ड पकड़ा जा चुका है। सऊदी अरब और दुबई से सस्ते गोल्ड की तस्करी का नया ट्रेंड आया है। खतरनाक केमिकल से गोल्ड का पहले पेस्ट बनाया जाता है। फिर तस्कर इसे रेक्टम (मल द्वार) में छिपाकर ला रहे हैं। गोल्ड को टूथपेस्ट की तरह पेस्ट में बदलने से ये मेटल डिटेक्टर की पकड़ में भी नहीं आता।
बड़े तस्कर महिला यात्रियों और खाड़ी देशों में काम करने वाले शेखावाटी के लोगों को टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। फ्री टिकट के लालच में अंडर गारमेंट्स से लेकर रेक्टम में छिपाकर गोल्ड भेजा जाता है।
आज की रिपोर्ट में पढ़िए कैसे पिछले 10 साल में 15 से ज्यादा बार गोल्ड तस्करी का तरीका बदला है और ये रैकेट कैसे काम कर रहे हैं…
पहले ये तीन केस से समझते हैं, क्या तरीका अपना रहे तस्कर…
केस-1 : दो महिलाएं रेक्टम में छिपाकर लाईं 43 लाख का गोल्ड
तीन महीने पहले ही जयपुर एयरपोर्ट पर दो महिलाओं को कस्टम अधिकारियों ने पकड़ा। दोनों महिलाएं बैंकॉक की रहने वाली थीं। जांच की गई तो इनके रेक्टम से करीब 43 लाख का गोल्ड मिला। दोनों महिलाओं को SMS हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां सर्जरी के जरिए 350-350 ग्राम के दो कैप्सूल निकाले गए, यह गोल्ड दिल्ली सप्लाई किया जाना था।
43 लाख रुपए का ये गोल्ड विदेशी महिलाएं रेक्टम में छिपाकर लाई थीं।
केस-2 : महिला ने अंडरगारमेंट की गुप्त जेब में छुपाया
इससे पहले एक युवती प्लास्टिक के पाउच में सोने का पेस्ट बनाकर अंडरगारमेंट की गुप्त जेब में रख कर ले आई। दुबई की रहने वाली युवती सोने को पेस्ट बनाकर प्लास्टिक के एक पाउच में रख कर लाई थी। पेस्ट को प्रोसेस कर जब हार्ड गोल्ड में बदला गया तो 637 ग्राम निकला था।
महिला ने बताया कि उसके बॉयफ्रेंड ने उसे ये पैकेट दिया था। उसे एयरपोर्ट के बाहर एक युवक को डिलीवरी देने को कहा था। महिला के भारत आने-जाने का खर्चा भी बॉयफ्रेंड ने ही उठाया था।
दुबई की रहने वाली युवती गोल्ड का यह पेस्ट लेकर आई थी।
केस-3 : अचार की तरह छोटी-छोटी थैलियों में रख लाए
शारजहां से आई फ्लाइट में मुंबई के एक यात्री फैजल को पकड़ा। उसने सोने को पेस्ट बनाकर छोटी-छोटी थैलियों में भर रखा था। अधिकारियों को लगा कि अचार रखा हुआ है। सुरक्षाकर्मी भी कुछ समझ नहीं सके थे, लेकिन मेटल डिटेक्टर से गोल्ड होने का पता लगा।
अधिकारियों ने पेस्ट को ट्रीट करवाया तो एक किलो पेस्ट में से करीब 733 ग्राम गोल्ड निकला। पूरी प्रोसेस करने में करीब 8 घंटे लगे। यात्री ने बताया कि तस्करों ने उसे फ्री टिकट का लालच दिया था।
गोल्ड तस्करी के 2 नए ट्रेंड
साड़ी में सोने के धागों से वर्क कराना, प्लेन में सीट के नीचे छुपा कर लाना, ट्रॉली बैग, प्रेस, सिलाई मशीन, टॉर्च, इंडक्शन कुकर, रेडियो और अन्य इलेक्ट्रॉनिक चीजों में और जूतों के अंदर गोल्ड छिपाकर तस्करी के 10-12 तरीके अब पुराने हो चुके हैं। नए तरीके हैरान करने वाले हैं…
- कंडोम में गोल्ड को पेस्ट बनाकर रेक्टम (गुदा) में छुपाकर लाया जा रहा है।
- अंडरगारमेंट्स के अंदर गुप्त पॉकेट बनाकर।
इस तरह से गोल्ड पेस्ट के कैप्सूल बनाकर कंडोम के जरिए रेक्टम में डालकर तस्करी की जा रही है।
तस्करी के लिए बदल देते हैं गोल्ड का रंग और फॉर्म
गोल्ड एक कठोर और दुनिया की सबसे महंगी धातुओं में से एक है। तस्करी के लिए सबसे पहले इसकी पहचान सुनहरे रंग को ही बदल देते हैं। केमिकल के जरिए सोने को व्हाइट या पिंक कर दिया जाता है। ताकी एयरपोर्ट पर सामान खुलवाकर कोई अधिकारी चैकिंग करे तो उसकी समझ में नहीं आए कि ये क्या चीज है।
दूसरा तरीका गोल्ड को लिक्विड पेस्ट में बदलने का है। इससे गोल्ड एक जेल की तरह बन जाता है, जिसे किसी भी आइटम में आसानी से भरा जा सकता है। अगर कोई महिला यात्री है, तो वह उसे नेल पॉलिश की डिब्बी में भी भरकर ला सकती है।
जयपुर एयरपोर्ट पर 8 सितंबर को 3 करोड़ 13 लाख की कीमत का 5 किलो 150 ग्राम सोना पकड़ा गया। दुबई से एक यात्री इसे पेस्ट फॉर्म में ग्राइंडर मशीन में छिपाकर लाया था। कई बार शरीर के अंगों में भी गोल्ड छिपाकर लाने के मामले सामने आ चुके हैं।
पिछले दिनों 5 किलो 150 ग्राम सोना पकड़ा गया है। जो दुबई से जयपुर लाया जा रहा था। ये पेस्ट की फॉर्म में ही था।
गोल्ड का पेस्ट कैसे बनाते हैं और ये कितना रिस्की हो सकता है?
तस्करी के लिए गोल्ड को पेस्ट में बदलने की प्रोसेस रिस्क से भरी है। इसकी प्रोसेस समझने के लिए जयपुर के ज्वेलर्स से संपर्क किया, लेकिन वे तैयार ही नहीं हुए। कई ज्वेलर्स बोले कि लोगों को गोल्ड पेस्ट की प्रक्रिया बताना नुकसानदायक और रिस्की हो सकता है। क्योंकि इसमें खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल होता है। अगर बिना जानकारी के इन केमिकल का इस्तेमाल किया जाए तो विस्फोट तक हो सकता है।
हमारे समझाने पर एक ज्वेलर कैमरे पर बातचीत के लिए राजी हुआ। उन्होंने बताया कि इस प्रोसेस में करीब 4 से 5 घंटे लगते हैं। केमिकल से पहले सोने का पाउडर बनाया जाता है। फिर लोहे और पोटेशियम के साथ सोने का पाउडर मिक्स किया जाता है।
अब गोल्ड को पेस्ट जैसा बनाने के लिए केमिकल का एक मिक्सचर मिलाया जाता है। इससे गोल्ड जैली जैसा बन जाता है। जैसे हमारा टूथपेस्ट होता है। फिर इसे चाहे जैसी मर्जी शेप में बदल सकते हैं। किसी भी चीज में भरकर या ठूंसकर ले जाया जा सकता है। बस इसके लिक्विड बनाने पर गोल्ड का वजन पहले से बढ़ जाता है। तस्कर ये तरीका इसलिए अपनाते हैं, क्योंकि लिक्विड पेस्ट मेटल डिटेक्टर में भी डिटेक्ट नहीं हो पाता। अगर किसी अधिकारी को शक होता है तो वह मैनुअल जांच करता है। तब भी आसानी से पता नहीं चलता।
पेस्ट को फिर से गोल्ड में बदल लेते हैं तस्कर
तस्कर अगर गोल्ड पेस्ट छिपाकर लाने में कामयाब हो जाते हैं तो बड़ी आसानी से इसे केमिकल से प्रोसस कर गोल्ड और बाकी चीजें अलग कर सकते हैं। हालांकि इस प्रोसेस में करीब 8 घंटे का समय लगता है। लेकिन गोल्ड को हार्ड रूप में बदलकर अलग कर लिया जाता है।
कैसे पकड़ते हैं कस्टम अधिकारी?
तस्करों की यह चाल पिछले काफी समय से कस्टम विभाग की नजरों में भी है। पिछली जितनी भी कार्रवाई जयपुर एयरपोर्ट पर हुई हैं, उनमें पकड़े गए गोल्ड पेस्ट को कस्टम अधिकारियों ने एक्सपर्ट की मदद से ही वापस गोल्ड में बदला है।
एयरपोर्ट पर चैकिंग के दौरान भी कई तस्कर बच निकलते हैं।
एक पूर्व कस्टम अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ज्यादातर गोल्ड तस्करी खाड़ी देशों से ही होती है। एयरपोर्ट पर मौजूद कस्टम अधिकारियों की नजर मस्कट, दुबई जैसे खाड़ी देशों से आने वाली फ्लाइट और यात्रियों पर हमेशा रहती है। मेटल डिटेक्टर में कई बार गोल्ड पेस्ट डिटेक्ट नहीं होता। लेकिन इनके हावभाव देखकर अधिकारी पकड़ लेते हैं। कई बार पहले से मुखबिर की सूचना भी आती है। तस्कर हर बार नया तरीका अपनाते हैं, लेकिन बच नहीं पाते।
क्यों हो रही गोल्ड की तस्करी?
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि गोल्ड तस्करी बढ़ने का मुख्य कारण हर बार बढ़ने वाली कस्टम ड्यूटी है। पिछले 10 साल में कस्टम ड्यूटी 10 से ज्यादा बार बढ़ चुकी है। फिर जीएसटी से गोल्ड और उसके बनने वाली ज्वेलरी मंहगी होती जा रही है। इसका फायदा उठाने के लिए तस्कर दुबई और बाकी खाड़ी देशों से सस्ता गोल्ड तस्करी करके लाते हैं।
गोल्ड पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी और जीएसटी बचा लेते हैं। इससे तस्करों को 15 से 20 प्रतिशत मुनाफा होता है। तस्करी का गोल्ड जब मार्केट में आता है, तो इसका सीधा नुकसान ज्वेलर्स को उठाना पड़ता है। हर कोई सस्ता गोल्ड खरीदना चाहता है, ऐसे में तस्करों का गोल्ड आसानी से बिक जाता है और ज्वेलरी के व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ता है।
जयपुर एयरपोर्ट तस्करों के लिए काफी समय से सेफ रूट बना हुआ है।
मजदूरों को सॉफ्ट टारगेट बनाकर भेज रहे तस्कर
पड़ताल में यह भी सामने आया है कि दुबई, सऊदी अरब, शारजाह सहित अरब देशों में काफी संख्या में राजस्थान से लोग मजदूरी करने जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा सीकर, चूरू व झुंझुनूं के लोग होते हैं। पिछले 5 सालों के रिकाॅर्ड की बात करें तो 95 किलो से ज्यादा गोल्ड पकड़ा गया है।
गोल्ड तस्करी कर लाते हुए 100 से ज्यादा गिरफ्तार हुए हैं। इनमें से 80 केवल शेखावाटी के तस्कर पकड़े गए हैं। तस्कर शेखावाटी के ऐसे मजदूरों को साफ्ट टारगेट बनाते हैं, जिनका वीजा पूरा होने वाला होता है। ऐसे लोगों को घर लौटते समय फ्री टिकट का लालच दिया जाता है।
यहां तक कि उन्हें पूरा खर्चा भी देते हैं। गोल्ड का पेस्ट बनाकर पैकेट दे दिया जाता है। उन्हें कहा जाता है कि ये सामान एयरपोर्ट के बाहर दे देना है। इस लालच में लोग भारत आकर एयरपोर्ट पर पकड़े जाते हैं। कई बार तो इन मजदूरों को पता ही नहीं होता है कि वे गोल्ड की तस्करी कर ले जा रहे हैं।
तीन महीने पहले एक तस्कर अनिल डेढ़ करोड़ रुपए का गोल्ड एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों से बचाकर निकाल लाया था। जिसे एयरपोर्ट से बाहर जयपुर पुलिस ने पकड़ लिया था। वह एक लोहे की रॉड में गोल्ड की प्लेट बनाकर छुपा लाया था। रॉड को बैग में रखा हुआ था। पुलिस ने पकड़ा तो तीन टुकड़ों में दो किलो से ज्यादा गोल्ड मिला था। वह दुबई की फ्लाइट में आया था।
कस्टम अधिकारियों को धोखा देने के लिए कई बार शातिराना तरीके से इलेक्ट्रॉनिक आइटम के टूल्स में भी लोग गोल्ड डलवाकर ले आते हैं।
आगे की चेन नहीं मिलने से बड़े तस्कर नहीं पकड़े जाते
खास बात है कि गोल्ड तस्करी के लिए छोटे-छोटे हैंडलर काम में लिए जाते है। इन्हें गुमराह करके भेज दिया जाता है। इन्हें पता भी नहीं होता है कि कौन सामान लेने आएगा और किसने सामान भेजा है। एयरपोर्ट पर अगर हैंडलर पकड़ा जाता है तो उसे कुछ भी पता नहीं होता है।
पुलिस कई बार सख्ती से पूछताछ करती है तो वह कुछ भी नहीं बता पाता है। हैंडलर के पकड़े जाने के बाद बाहर बैठे तस्कर फरार हो जाते है। ऐसे में पुलिस को आगे की चेन नहीं मिल पाती है। इससे बड़े तस्कर पकड़ में नहीं आ पाते है।
गोल्ड तस्करी में सबसे सेफ जयपुर रूट
दुबई से लेकर अरब देशों के लिए जयपुर से सीधे फ्लाइट मिल जाती है। दिल्ली एयरपोर्ट सहित मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट पर काफी सख्ती रहती है। पिछले साल की बात करें तो लखनऊ एयरपोर्ट पर 52 और अमृतसर में 60 से ज्यादा गोल्ड तस्करी की कार्रवाई हुई हैं। जबकि जयपुर एयरपोर्ट पर 100 से ज्यादा गोल्ड तस्करी की कार्रवाई हो चुकी हैं। जयपुर से दिल्ली सड़क से आना-जाना भी ठीक रहता है। इसी वजह से पिछले लंबे समय से जयपुर एयरपोर्ट पर ज्यादा गोल्ड स्मलिंग बढ़ गई है। कई बार छोटे तस्करों को फंसा कर बड़े तस्कर माल को निकालकर ले जाते हैं।
बुलियन फॉर्म में गोल्ड लाना अवैध
विदेश से सोने को लाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गाइडलाइन है। विदेश से केवल ज्वेलरी के रूप में ही सोना लाया जा सकता है। वहीं बुलियन फार्म में गोल्ड लाना पूरी तरह से अवैध रहता है। बुलियन फार्म जैसे कि गोल्ड बिस्किट, सोने की ईंट, सोने के तार, इलेक्ट्रानिक आइटम में डालकर लाना, पेस्ट के रूप में लाना अवैध रहता है। ज्वेलरी के रूप में भी गोल्ड लाने की सीमा तय की गई है।
एक महिला ज्वेलरी के रूप में 40 ग्राम तक गोल्ड लेकर आ सकती है, जबकि पुरुष के लिए 20 ग्राम सीमा तय है। मतलब पुरुष 20 ग्राम ज्वेलरी लेकर आ सकता है। कोई एक साल या फिर इससे अधिक विदेश में रहता है और ज्वेलरी लेकर आता है तो कस्टम टैक्स के रूप में 12.5 प्रतिशत राशि देनी पड़ती है।
अगर कोई टूर पर जाता है तो पुरुष के लिए 50 हजार रुपए और महिला के लिए एक लाख रुपए तक का सोने लाने की छूट (कस्टम ड्यूटी) दी गई है। इससे अधिक लाने पर उनसे 38.5 प्रतिशत की दर से कस्टम टैक्स वसूला जाता है।
Add Comment