GENERAL NEWS

स्वच्छ शिक्षा क्रांति मिशन के माध्यम से चलेगा अवैधानिक शिक्षण संस्थाओं के विरुद्ध राज्यव्यापी अभियान

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

पैपा के नेतृत्व में बीकानेर में आयोजित दो दिवसीय “सार्थक संगत” में विभिन्न संगठनों द्वारा लिया गया सामूहिक निर्णय

फीस एक्ट की गाईडलांइस के विपरीत निकाले गए दिशा निर्देशों को न्यायालय में दी जाएगी चुनौती

बीकानेर, 23 जून। डमी एडमिशन लेने व देने वाले सरकारी व गैर सरकारी स्कूल्स तथा कोचिंग की आड़ में चल रहे अवैधानिक स्कूल्स के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई के लिए सरकार एवं शिक्षा विभाग को जागरुक करने के लिए प्राईवेट स्कूल्स द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ शिक्षा क्रांति मिशन को अब पूरे राज्य में व्यापक रूप से चलाया जाएगा। प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) के माध्यम से उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर स्थित तेरापंथ भवन में 22 व 23 जून 2024 को आयोजित दो दिवसीय “सार्थक संगत” अधिवेशन में राज्य के प्राईवेट स्कूल्स के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया गया है। यह जानकारी तेरापंथ भवन में रविवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल, स्वराज के प्रदेश अध्यक्ष हरभान सिंह कुंतल तथा इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के कार्यवाहक अध्यक्ष के एन भाटी ने संयुक्त रूप से दी। उन्होंने बताया कि इस मुहिम में प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस पैपा), स्कूल वेलफेअर एसोसिएशन राजस्थान (स्वराज), इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन एंड वेलफेयर सोसाइटी,
स्कूल क्रांति संघ, नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस, प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन, स्वयं सेवी शिक्षण संस्था संरक्षण समिति, प्राईवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेअर सोसाइटी इत्यादि राज्य स्तरीय संगठनों सहित अनेक जिला स्तरीय संगठनों ने हर तरह से सहयोग की घोषणा की है तथा इन संगठनों ने एक जाजम पर आकर कोटा के महेश गुप्ता की अगुवाई में एक 12 सदस्यों की कोर कमेटी का गठन किया है। यह कोर कमेटी प्रदेश स्तर पर इस मुद्दे पर हर संभव संघर्ष की रूपरेखा निर्धारित करेगी तथा ये सभी संगठन उस रूपरेखा के अनुसार संघर्ष को मूर्त रूप देंगे। इस दौरान उन्होंने बताया कि प्राईवेट स्कूल्स के सामाजिक योगदान को कम नहीं आंकना चाहिए। जिस तरह से प्राईवेट स्कूल्स द्वारा समाज में शैक्षिक योगदान दिया जा रहा है, उसकी व्याख्या समझने की बहुत आवश्यकता है। राजस्थान हो या देश के अन्य राज्य हर स्थान पर प्राईवेट स्कूल्स को सम्मानजनक रूप से नहीं देखा जा रहा है। नित नए नए तरीकों से इन स्वायत्त संस्थाओं को नियमित करने के नाम पर नियंत्रित या प्रताड़ित किया जा रहा है। अनेक ऐसे नियम से हमें नियंत्रित किया जा रहा है जो कि अनुचित हैं। यदि कोई प्राईवेट स्कूल्स छुट्टी के दिन संचालित होते हैं तो उन पर कठोर कार्रवाई के नियम बने हुए हैं। गर्मी हो या सर्दी जब भी अपने परवान पर होती हैं तो मीडिया और अभिभावकगण स्कूल्स में छुट्टी की पैरवी करते हैं लेकिन इसी मीडिया और उन्हीं अभिभावकों को कड़ाके की ठंड या भीषण गर्मी तथा छुट्टी के दिन कोचिंग में पढ़ने जाने वाले स्टूडेंट्स के लिए कभी ऐसा बोलते नहीं देखा और न ही सुना। केंद्र सरकार ने 11 बिंदुओं की कोचिंग गाईडलाईंस बनाईं हैं। इन गाईडलाईंस के मुताबिक 16 वर्ष या 10वीं कक्षा तक के स्टूडेंट्स को किसी भी तरह की कोचिंग में नहीं पढाया जा सकेगा। लेकिन कोचिंग संस्थान कक्षा 6 से ही धड़ल्ले से चल रहे हैं। कोचिंग संस्थान स्कूल नहीं चला सकते परंतु खुल्लम-खुल्ला अवैधानिक स्कूल्स का संचालन कोचिंग
संस्थान कर रहे हैं। प्राईवेट स्कूल्स के लिए बाल वाहिनी के बहुत कठोर नियम हैं लेकिन कोचिंग और सरकारी शिक्षण संस्थाओं के लिए बाल वाहिनी के नियम ही नहीं हैं। इसलिए प्राईवेट स्कूल्स ने यह निश्चय कर लिया है कि अब अपने अधिकारों के लिए संघर्ष को बड़ा करना पड़ेगा तथा 22 जून को राज्य स्तरीय सार्थक संगत के माध्यम से स्वच्छ शिक्षा क्रांति मिशन को पूरे राज्य में चलाने के लिए कमर कस ली है। इस मिशन के माध्यम से हम अवैधानिक स्कूल्स और कोचिंग की आड़ में चल रहे स्कूल्स पर कार्रवाई के लिए सरकार एवं शिक्षा विभाग पर दबाव बनाएंगे। डमी एडमिशन लेने व देने वाले प्राईवेट स्कूल्स पर नियंत्रण के लिए सरकार एवं शिक्षा विभाग को जागरुक करने के आयाम संपादित करेंगे।
सन 2016 में फीस एक्ट आया। उसकी गाईडलाईंस 2017 में जारी हुईं। उस फीस एक्ट के मुताबिक प्राईवेट स्कूल्स को फीस कमेटी बनाकर फीस निर्धारित करनी होती है। अब इस एक्ट की पालना के लिए हमें आनलाइन व्यवस्था करनी होगी जो कि सरकार की दमनकारी नीति है। पहली बात तो यह है कि एक्ट के अनुसार फीस निर्धारित करने का नियम छह महीने पहले का है। अब सत्र शुरू होने के बाद फीस निर्धारित कराने की प्रक्रिया ही एक्ट का उल्लंघन है। यह सरासर नाइंसाफी है। इसका
सभी प्राईवेट स्कूल्स खुलकर विरोध करते हैं तथा कोर्ट में जाने का मानस बना चुके हैं।
एक्ट में लिखा है कि 3 वर्ष तक फीस में किसी भी तरह की वृद्धि नहीं की जा सकेगी। जबकि हर साल महंगाई बढ़ रही है और लगभग प्रत्येक स्कूल द्वारा स्टाफ के वेतन में कुछ न कुछ वृद्धि करनी ही पड़ती है। अतः महंगाई सूचकांक के मुताबिक प्रति वर्ष फीस वृद्धि करने का अधिकार होना चाहिए।
आज सरकारी शिक्षण संस्थाओं से अधिक स्टूडेंट्स प्राईवेट स्कूल्स में अध्ययनरत हैं तथा अपेक्षाकृत कम योग्यताधारी टीचर्स द्वारा निरंतर उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम दिया जा रहा है। सरकारी शिक्षण संस्थाओं तुलना में प्राईवेट स्कूल्स में टीचर्स की संख्या लगभग दुगुनी है। सरकारी शिक्षण संस्थाओं एवं प्राईवेट स्कूल्स में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के साथ भी भेदभाव निरंतर हो रहा है। सरकारी शिक्षण संस्थाओं में पढ़कर अव्वल आने वाले स्टूडेंट्स को तरह तरह के पुरस्कार दिए जाते हैं लेकिन प्राईवेट स्कूल्स वाले बच्चों के लिए किसी भी सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है। सरकारी शिक्षण में मिड डे मील से लेकर पुस्तकें, यूनीफॉर्म इत्यादि मुफ्त मिल रही हैं फिर भी छात्रवृत्ति भी इन्हीं विद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए ही पूरी नहीं पड़ती है। जब सब कुछ फ्री में है तो छात्रवृत्ति की व्यवस्था की आवश्यकता ही नहीं है।
यदि प्राईवेट स्कूल्स नहीं होंगे तो राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा व्यवस्था संभल ही नहीं सकेगी। अभी भी प्रदेश में लगभग सवा लाख पद टीचर्स के सरकारी शिक्षण संस्थाओं में रिक्त पड़े हैं। शहरी क्षेत्र में प्राईवेट शिक्षण संस्थाओं के संचालन के लिए 500 वर्गमीटर जगह (प्राईमरी व अपर प्राईमरी) तथा 1000 वर्गमीटर जगह सैकेंडरी व सीनियर सैकण्डरी स्कूल के लिए होना आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में जगह का यह नियम चार गुना है। जबकि सरकारी शिक्षण संस्थान जर्जर पडे़ हैं। उनमें मूलभूत सुविधाएं भी बमुश्किल मिलती हैं। दो दो कमरों में 12 वीं तक के स्कूल चल रहे हैं, कोई आवाज़ उठाने वाले नहीं हैं।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!