स्वीडन को NATO में शामिल करने के लिए तैयार तुर्किये:बदले में EU का हिस्सा बनना चाहता है; NATO समिट से पहले की घोषणा
तस्वीर में तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन (बाएं) स्वीडन के प्रधानमंत्री क्रिस्टर्सन (दाएं) से हाथ मिलाते नजर आ रहे हैं।
तुर्किये ने स्वीडन के NATO में शामिल होने को हरी झंडी दिखा दी है। सोमवार को NATO के सेक्रेटरी जनरल जेन स्टोल्टनबर्ग ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा- तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन स्वीडन के NATO से जुड़ने का प्रस्ताव अपनी नेशनल असेंबली में पेश करने के लिए तैयार हो गए हैं। हमें उम्मीद है कि ये जल्द ही पारित हो जाएगा। हालांकि, इसके लिए किसी तारीख की घोषणा नहीं की गई है।
लिथुआनिया के विल्नियस शहर में होने वाली NATO समिट से पहले सोमवार को स्टोल्टनबर्ग ने स्वीडन और तुर्किये के लीडर्स के साथ बैठक की। इसके बाद एक जॉइंट स्टेटमेंट में स्वीडन के प्रधानमंत्री क्रिस्टर्सन ने कहा- ये स्वीडन के लिए एक अच्छा दिन है।
NATO मेंबरशिप के बदले स्वीडन तुर्किये के यूरोपियन यूनियन में शामिल होने के प्रयासों का समर्थन करेगा। दरअसल, एर्दोगन ने स्वीडन की मेंबरशिप को लेकर कहा था कि तुर्किये की संसद से स्वीडन की नाटो बिड अप्रूव होने से पहले यूरोपियन यूनियन (EU) को उन्हें अपना हिस्सा बनाना चाहिए।
तस्वीर सोमवार की है। NATO चीफ जेन स्टोल्नबर्ग की अध्यक्षता में तुर्किये और स्वीडन के राष्ट्रपति ने कई घंटो तक बैठक की।
4 दिन पहले हंगरी ने स्वीडन की मेंबरशिप के लिए जताई थी सहमति
इससे पहले 6 जुलाई यानी गुरुवार को हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन के चीफ ऑफ स्टाफ ने घोषणा की थी कि उनके देश को अब स्वीडन के NATO में शामिल होने से कोई ऐतराज नहीं है। अब तुर्किये के फैसले का अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी स्वागत किया है। अमेरिका सहित दूसरे NATO देश महीनों से तुर्किये को स्वीडन की मेंबरशिप अप्रूव करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं।
रॉयटर्स के मुताबिक, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि तुर्किये स्वीडन की सदस्यता के जरिए अमेरिका पर वॉरप्लेन देने के लिए भी प्रेशर बना रहा था। दरअसल, अक्टूबर 2021 में तुर्किये ने 20 अरब डॉलर के F-16 फाइटर जेट्स सहित मौजूदा वॉरप्लेन्स के लिए 80 मॉर्डेनाइजेशन किट खरीदने की रिक्वेस्ट की थी। NATO चीफ स्टोल्टनबर्ग ने भी इस बात की पुष्टि की है कि F-16 डील स्वीडन की मेंबरशिप एग्रीमेंट का हिस्सा थी।
तस्वीर मई की है, जब जापान में G7 समिट के दौरान बाइडेन ने जेलेंस्की से मुलाकात की थी।
NATO समिट में जेलेंस्की से मिलेंगे बाइडेन, मेंबरशिप पर चर्चा संभव
वहीं CNN के मुताबिक, मंगलवार को होने वाले NATO समिट में बाइडेन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग का मकसद रूस-यूक्रेन जंग को लेकर दुनिया के सामने NATO के सभी सदस्य देशों की एकता को दिखाना है। NATO समिट में यूक्रेन जंग और भविष्य में उसकी मेंबरशिप को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है।
समिट को लेकर जेलेंस्की ने कहा- मैं सिर्फ मनोरंजन के लिए इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता। ये रूस के खिलाफ एकजुटता दिखाने का सबसे बेहतरीन मौका है। जब तक यूक्रेन NATO का हिस्सा नहीं है तब तक उसे संगठन की तरफ से उचित सिक्योरिटी गारंटी मिलनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो इस मीटिंग का कोई मकसद नहीं है।
सरकार से इजाजत मिलने के बाद मस्जिद के सामने इस शख्स ने कुरान में आग लगा दी थी।
स्वीडन को इस्लाम-विरोधी कहता रहा है तुर्किये
दूसरी तरफ, तुर्किये के अप्रूवल के बाद स्वीडन के NATO में जल्द शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे पहले तुर्किये ने लगातार स्वीडन पर आतंक के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाने के आरोप लगाए हैं। दरअसल, तुर्किये सहित EU और अमेरिका भी स्वीडन में एक्टिव कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी को एक आतंकी संगठन मानते हैं।
कुछ दिन पहले ही स्टॉकहोम में ईद-अल-अजहा के मौके एक मस्जिद के बाहर एक शख्स ने कुरान जलाकर प्रदर्शन किया था। इसके लिए उसे सरकार से इजाजत मिली थी। तुर्किये ने इस पर कड़ा विरोध जताया है। तुर्किये के विदेश मंत्रालय ने इसे जघन्य अपराध बताते हुए स्वीडन की NATO मेंबरशिप के लिए खतरा बताया था।
स्वीडन में लगातार एंटी-इस्लामिक प्रदर्शन होने के चलते तुर्किये के साथ उसके रिश्ते में तनाव रहा है। तुर्किये ने कई बार स्वीडन पर एक धर्म को टारगेट करने का आरोप लगाया है। हालांकि, स्वीडन ने बार-बार खुद के इस्लाम-विरोधी होने से इनकार किया।
रूस-यूक्रेन विवाद की वजह बना NATO
- 1991 में सोवियत संघ के 15 हिस्सों में टूटने के बाद NATO ने खासतौर पर यूरोप और सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों के बीच तेजी से प्रसार किया।
- 2004 में NATO से सोवियत संघ का हिस्सा रहे तीन देश- लातविया, एस्तोनिया और लिथुआनिया जुड़े, ये तीनों ही देश रूस के सीमावर्ती देश हैं।
- पोलैंड (1999), रोमानिया (2004) और बुल्गारिया (2004) जैसे यूरोपीय देश भी NATO के सदस्य बन चुके हैं। ये सभी देश रूस के आसपास हैं। इनके और रूस के बीच सिर्फ यूक्रेन पड़ता है।
- यूक्रेन कई साल से NATO से जुड़ने की कोशिश करता रहा है। उसकी हालिया कोशिश की वजह से ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है।
- यूक्रेन की रूस के साथ 2200 किमी से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन NATO से जुड़ता है तो NATO सेनाएं यूक्रेन के बहाने रूसी सीमा तक पहुंच जाएंगी।
- यूक्रेन के NATO से जुड़ने पर रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी। अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है। रूस चाहता है कि यूक्रेन ये गांरटी दे कि वह कभी भी NATO से नहीं जुड़ेगा।
Add Comment