हिटलर ने आज ही के दिन खुद को गोली मारी:कुछ घंटे पहले प्रेमिका से शादी की; साथियों को दी जहर की शीशी
30 अप्रैल 1945, दोपहर का वक्त। जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर को पता लग चुका था कि अब वो जंग नहीं जीत पाएगा। लिहाजा उसने आत्महत्या करने का फैसला किया। उसने बंकर में मौजूद अपने साथियों के बीच जहर की छोटी-छोटी शीशियां बांटीं। जहर की घातकता हिटलर की प्रिय कुतिया पर पहले ही आजमा ली गई थी।
साढ़े तीन बजे हिटलर और उसकी पत्नी ईवा ब्रौन ने जहर निगला। उसी क्षण हिटलर ने भी 7.65 मिलीमीटर की नली वाली अपनी पिस्तौल को दाहिनी कनपटी रख कर अपने सिर में गोली मार ली। उसका निजी सेवक हाइंत्स लिंगे कुछ ही मिनट बाद कमरे में आया। दोनों शवों को कंबलों में लपेटा और नाजी पार्टी के दो सैनिकों की मदद से चांसलर कार्यालय के लॉन में ले जाकर जला दिया।
दोनों शवों को जलाने के लिए काफी पेट्रोल उड़ेला गया। शवों के बचे-खुचे हिस्से को बंकर के पास बने एक गढ्ढे में डाल कर दफना दिया गया। इस घटना को 78 साल पूरे हो चुके हैं। आज उस हिटलर के किस्से, जिसने लाखों यहूदियों का नरसंहार करने के बाद खुद की मौत के लिए आत्महत्या का रास्ता चुना…
पेंटर हिटलर: एक समय वियना में पेंटिंग्स बनाकर बेचता था हिटलर
हिटलर की बनाई एक पेंटिंग, जिसमें पहाड़ों के बीच एक सुकून भरा घर दिख रहा है।
हिटलर की कहानी की शुरुआत 1889 में ऑस्ट्रिया से होती है। 20 अप्रैल को इसी देश के ब्रौनो एमइन नाम के शहर में पैदा हुआ। उसके पिता एलोइस यहां कस्टम ऑफिसर थे। हिटलर सिर्फ 14 साल का था जब उसके पिता की मौत हो गई। 5 साल बाद उसकी मां क्लारा भी चल बसीं।
इसके बाद हिटलर वियना आ गया। वहां की सड़कों पर वह पेंटिंग्स बनाकर बेचने लगा। उसने वियना के मॉर्डन पेंटिंग स्कूल में दाखिला लेने की कोशिश की। पर एडमिशन टेस्ट पास नहीं कर सका। इस दौरान वह अकेला अपने आप में रहने लगा। जो भी कमाई होती उससे वह खाता-पीता और समय बचने पर पढ़ा करता। इस दौरान राजनीति में उसकी दिलचस्पी बढ़ने लगी। यही वो समय था जब उसके अंदर नाजी विचारधारा के बीज पनपने लगे।
सैनिक हिटलर: पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की हार ने उसके तानाशाह बनने का रास्ता बना दिया
साल 1913 में 24 साल की उम्र में हिटलर जर्मनी के म्यूनिख शहर में आ गया। इसी साल गर्मियों में पहला विश्व युद्ध छिड़ गया। हिटलर ने यहां के राजा से युद्ध में लड़ने की अनुमति मांगी। अक्टूबर 1914 में उसे बेल्जियम में तैनात किया गया। चार साल तक चले पहले विश्व युद्ध में हिटलर अलग-अलग मोर्चों पर लड़ता रहा।
आखिरकार इस युद्ध में जर्मनी की हार हुई और ज्यादातर जर्मन लोगों की तरह हिटलर को भी यही लगा कि इस युद्ध में जर्मनी के हार की वजह वहां के खुद के लोग हैं। लोगों ने उस मुश्किल वक्त में ‘देशभक्ति’ नहीं दिखाई। हिटलर के उभार के पीछे उसका यह विश्वास भी एक वजह बना।
पहले विश्व युद्ध के समय हिटलर की तस्वीर
लेखक हिटलर: वियना में उपजे विचारों को ‘माई स्ट्रगल’ किताब में उसने विस्तार दिया
इस समय तक हिटलर जर्मनी में राइट विंग के नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुका था। वह विरोध प्रदर्शनों के लिए जेल भी जा चुका था। कारावास के दौरान ही उसने अपनी पहली किताब ‘माई स्ट्रगल’ लिखी। इसमें पहली बार हिटलर ने वियना में उपजे अपने विचारों को विस्तार दिया।
1925 में यह किताब पब्लिश हुई। इस किताब में उसने उस जर्मनी और उस दुनिया की कल्पना की जो वो बनाना चाहता था। उसने विस्तार से बताया कि अगर वह सत्ता में आता है तो जर्मनी को फिर से महान बनाने के लिए क्या-क्या करेगा।
9 महीने बाद हिटलर जेल से छूट गया। तब उसने अपनी इस किताब का दूसरा भाग लिखा। शुरुआत में तो इस किताब के बारे में लोग जान तक नहीं पाए। लेकिन साल दर साल जैसे-जैसे हिटलर का दखल जर्मनी की राजनीति में बढ़ता जा रहा था, वैसे-वैसे इस किताब की बिक्री भी बढ़ने लगी। 1940 आते-आते इनकी 60 लाख प्रतियां बिक चुकी थीं।
प्रेमी हिटलर: 1931 में हिटलर ने ईवा से शादी करने से मना कर दिया था
जेल से बाहर निकलने के बाद हिटलर बेरशेत्जगैडेन चला गया। वहां अपनी सौतेली बहन एंजेला राउबल के साथ रहने लगा। उसकी बहन की दो बेटियां थी, जो अक्सर वहां आया जाया करती थीं। उसमें से एक गेली राउबल के प्रति हिटलर आकर्षित होने लगा। वह रिश्ते में उसकी भतीजी थी।
हिटलर उसे लेकर इस कदर पजेसिव हो गया कि गेली इससे परेशान रहने लगी। और आखिरकार उसकी भतीजी ने1931 में आत्महत्या कर ली। गेली की आत्महत्या के बाद हिटलर बिखर सा गया। उसे लगने लगा कि अपनी जिंदगी के एकमात्र सच्चे प्यार को उसने खो दिया है।
इस बीच ईवा ब्रौन से हिटलर की मुलाकात हुई। ईवा तब सिर्फ 17 साल की थी और एक स्टोर में काम करती थी। हिटलर को ईवा से प्यार हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव रखा।
ईवा ने शादी से इनकार कर दिया, लेकिन प्रेमिका के रूप में रहने लगी। हिटलर ने म्यूनिख में उसके रहने के लिए एक घर दिया। अप्रैल 1945 में जब सोवियत संघ की सेना ने बर्लिन को घेर लिया तब ईवा जिद करके हिटलर के पास रहने आ गई।
हिटलर के आखिरी कुछ घंटों की कहानी…
1945 की शुरुआत में दूसरा विश्व युद्ध ढलान पर था। जर्मनी, इटली और जापान मित्र राष्ट्र फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के सामने कमजोर पड़ने लगे थे। मार्च महीने तक ब्रिटिश और अमेरिकन आर्मी बर्लिन शहर तक पहुंच चुकी थी। अप्रैल आते-आते सोवियत आर्मी बर्लिन के अंदर थी।
हिटलर बर्लिन में बने 18 कमरों वाले एक बंकर में चला गया। यह जमीन से करीब 50 फीट अंदर बना था। इस बंकर में पानी से लेकर बिजली तक की सुविधा थी। यहीं से वह अपनी आर्मी और ऑफिसर्स को ऑर्डर देता रहा। यहीं पर हिटलर ने अपना आखिरी वसीयतनामा भी लिखा।
29 अप्रैल 1945 की आधी रात। हिटलर ने अपनी प्रेमिका ईवा से शादी करने का फैसला किया। लेकिन मुश्किल ये थी इस वक्त ऐसी हालत में पादरी कहां से मिले। हिटलर की नाजी पार्टी के एक मिनिस्टर मार्टिन बोरमैन ने एक नाजी पादरी को बड़ी मुश्किलों से ढूंढ निकाला, जिसने शादी करवाई।
शादी होते-होते रात के 12:30 चुके थे और तारीख 30 अप्रैल हो चुकी थी। दोनों अपने बेडरूम में सोने चले गए।
हिटलर और उसकी पत्नी ईवा ब्रौन
30 अप्रैल की सुबह उठकर हिटलर नहाया और सेव किया। सेना के जनरलों ने हिटलर को सूचना दी कि सोवियत सेना बर्लिन में घुस आई है। सैनिक कभी भी बंकर में पहुंच सकते हैं। हिटलर ने अपनी प्रिय कुतिया ब्लौंडी पर जहर का टेस्ट किया। इसी जहर को हिटलर और उसकी पत्नी ने खाया। फिर हिटलर ने अपनी पिस्टल से खुद को गोली मार ली। एक बंकर जहां कुछ ही घंटे पहले हिटलर ने शादी की थी, वहीं अब उसकी और उसकी प्रेमिका की लाश पड़ी हुई थी।
जब हिटलर की पहचान के लिए सिर्फ उसका जबड़ा मिला
अपनी आखिरी वसीयत में हिटलर ने मौत के बाद सभी शवों को जलाने की बात कही थी। ऐसे में, उसके करीबियों ने शव को जला दिया। इसके पीछे एक वजह 28 अप्रैल 1945 में ही इटली के तानाशाह मुसोलिनी के हश्र को भी बताया जाता है। हिटलर को यह डर सताने लगा कि मुसोलिनी के पकड़े जाने के बाद जैसे उसे फांसी दी गई, कहीं उसके साथ भी ऐसा कुछ ना किया जाए।
उधर 7 मई को जर्मनी ने सोवियत सेना के सामने घुटने टेक दिए। तब सोवियत सेना बंकर में घुसी और तलाशी लेने लगी। वहां बिखरे, जले और तहस-नहस पड़े सामान और कागजों के अलावा बुरी तरह जले हुए शव मिले। शवों की हालत इतनी खराब थी कि सोवियत सेना यह पहचान नहीं कर पा रही थी कि इनमें से हिटलर कौन है। हिटलर मर चुका था या वहां से भाग निकला था, इसे लेकर कई सालों तक विवाद बना रहा। सोवियत सेना की माने तो वहां मिले एक जबड़े से पहचान हुई थी कि यह हिटलर ही है।
मई 2018 में यूरोपियन जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन ने इसे लेकर एक रिसर्च पब्लिश किया। इस स्टडी में उसके दांतों के टुकड़ों का अध्ययन कर बताया गया कि हिटलर की मौत 1945 में ही हुई थी। और जो जबड़ा मिला था वह हिटलर का ही था।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी ओएसएस ने 1943 में ही हिटलर के आत्महत्या की भविष्यवाणी कर दी थी
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने ऑफिस ऑफ स्ट्रैटजिक सर्विसेज यानी ओएसएस नाम से एक इंटेलिजेंस एजेंसी बनाई थी। इसके रिसर्च एंड एनालिसिस ब्रांच को विलियम लैंगर हेड कर रहे थे। इन्हीं के छोटे भाई वाल्टर लैंगर हावर्ड यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी पढ़कर आए और इस ब्रांच में साइकोलॉजिस्ट का काम करने लगे।
1943 में वाल्टर ने 249 पन्नों का एक कैरेक्टर एनालिसिस पब्लिश किया। ‘द साइकोलॉजिकल एनालिसिस ऑफ एडोल्फ हिटलर’ नाम से किताब में उन्होंने जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर के कैरेक्टर का विश्लेषण किया था।
इस किताब में वाल्टर ने बताया था कि हिटलर खुद को कैसे देखता है। जर्मनी के लोग उसे कैसे देखते हैं और उसके करीबी लोगों उसे किस तरह देखते हैं। किताब में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर के व्यवहार को बताया गया था। और इसी किताब के आखिर में वाल्टर ने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि हिटलर युद्ध में जर्मनी के सरेंडर से पहले ही आत्महत्या कर लेगा।
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