BY डॉ. पुनीत खत्री (एम. डी. होम.) असिस्टेंट प्रो. (एम.एन.एच.एम.सी.) और डॉ. गरिमा खत्री (एम. डी. होम.) असिस्टेंट प्रो. (एम.एन.एच.एम.सी.) बीकानेर।
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति किसी परिचय की मोहताज नहीं, आज यह अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस जैसे अधिकांश देशों में प्रचलित है, जिसमें भारत वर्ल्ड लीडर बना हुआ है, आइए आज विश्व होम्योपैथिक दिवस के अवसर पर होम्योपैथिक विशेषज्ञ से जानते है कि
क्या विशेषताएँ है इसे क्यों चुना जाए :-
होम्योपैथी क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई ?
यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो समान के द्वारा समान की चिकित्सा के सिद्धांत पर आधारित है, इसकी शुरूआत सन् 1796 में डॉ. किश्चन फ्रेडरिक सेमुअल हैनीमैन द्वारा जर्मनी में हुई। जिन्होनें सिनकोना नामक दवा के लक्षणों को देख कई परीक्षण किए और समान के द्वारा समान की चिकित्सा के सिद्धान्त को प्रमाणित किया।
होम्योपैथी क्यों चुने इसकी क्या विशेषता है ?
यह एक हानिरहित और सुरक्षित चिकित्सा पद्वति है जिसमें केवल रोगवास्त भाग को नहीं अपितु रोगी को पूर्ण रूप से ठीक किया जाता है, इसमें रोगी की केस हिस्ट्री को ध्यान में रखकर दवा की मिनिमम डोज़ का उपयोग किया जाता है, जिससे रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े, और कोई दुष्प्रभाव ना हो।
होम्योपैथी किन-किन रोगों में कारगर है?
अगर होम्योपैथिक दवा व उसकी शक्ति (पोटेंसी) का सही चुनाव कर सही डोज़ दी जाए तो यह लगभग सभी रोगो में कारगर साबित होती है और पुराने व असाध्य रोगों में तो ये सबसे अच्छा इलाज माना जाता है, क्योंकि यह रोगों को जड़ से ठीक करती है। यह सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी है। अभी कोरोना महामारी मे भी होम्योपैथिक दवाओं के बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले है।
ऐसा माना जाता है कि यह सिर्फ मीठी गोलियां है और यह धीरे काम करती है ?
यह पद्धति (कम से कम) डोज़ के सिद्धान्त पर आधारित है, इसलिए डॉक्टर यह दवा मीठी गोलियों में डालकर देते है, जो सिर्फ माध्यम का कार्य करती है, क्योंकि यदि लिक्विड में ज्यादा मात्रा में दवा दे दी जाए तो सही इलाज की प्रक्रिया में रुकावट पड़ती है।
और अधिकतर पुराने व असाध्य रोगग्रस्त रोगी काफी दूसरी दवाएं लेकर होम्योपैथिक चिकित्सक के पास आते हैं, इसलिए ऐसे रोगो को जड़ से ठीक करने में यह थोड़ा समय लेती है, परंतु एक्यूट कैस में जैसे जुकाम, बुखार, दर्द आदि में सही पावर और रिपीटेशन से दवा दी जाए तो यह तेजी से भी काम करती है।
होम्योपैथिक दवा लेने में क्या परहेज जरूरी है और उसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते ?
अलग-अलग रोगों में स्थितिनुसार होम्योपैथिक चिकित्सक रोगी को जल्द स्वस्थ करने के लिए कुछ चीजों का परहेज बताते है जैसे उत्तेजक पदार्थों का सेवन व तेज खुशबू की चीजें, वह परहेज हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और दवा सुचारू रूप से काम करें इसलिए जरूरी होता है, परंतु जो लोग आदतन इन चीजों का उपयोग करते हैं, वे भी परामर्श अनुसार होम्योपैथिक दवा ले सकते है।
होम्योपैथिक दवाएं विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों के मिश्रण, उचित प्रक्रिया और देखरेख के साथ बनाई जाती है। इसलिए आप अगर होम्योपेथिक चिकित्सक के परामर्श अनुसार सही डोज़ व सही रिपीटेशन में दवा लें तो इसके दुष्प्रभाव नहीं होते ।
यदि दवा के सेवन के बाद कोई भी लक्षण कुछ बढ़े हुए महसूस हो तो होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें, यह होम्योपैथिक इलाज की प्रक्रिया में भी शामिल हो सकता है। इसलिए किसी से सुनकर या स्वयं दवा का चयन कर उपयोग ना करें बल्कि होम्योपैथिक चिकित्सक के परामर्श से ही दवा लें ।
आप सभी को विश्व होम्योपैथिक दिवस (10 अप्रैल) की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
साभार 🙏
डॉ. पुनीत खत्री (एम. डी. होम.) असिस्टेंट प्रो. (एम.एन.एच.एम.सी.) बीकानेर।
डॉ. गरिमा खत्री (एम. डी. होम.) असिस्टेंट प्रो. (एम.एन.एच.एम.सी.) बीकानेर।
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