NATIONAL NEWS

अयोध्या का फैसला जजों की सर्वसम्मति से हुआ था:CJI चंद्रचूड़ ने कहा- संघर्ष के लंबे इतिहास को देखते हुए फैसले पर एक राय बनी

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

अयोध्या का फैसला जजों की सर्वसम्मति से हुआ था:CJI चंद्रचूड़ ने कहा- संघर्ष के लंबे इतिहास को देखते हुए फैसले पर एक राय बनी

CJI डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को पदभार ग्रहण किया था। - Dainik Bhaskar

CJI डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को पदभार ग्रहण किया था।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि अयोध्या केस का फैसला जजों ने सर्वसम्मति से लिया था। उन्होंने कहा- अयोध्या में संघर्ष के लंबे इतिहास और विविध पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही इस केस से जुड़े सभी जजों ने फैसले पर एक राय बनाई।

नवंबर 2019 में अयोध्या रामजन्मभूमि केस में फैसला लिखने वाले जज का नाम सामने नहीं आया था। CJI ने इसी पर कहा कि फैसले से पहले जजों ने आपस में बैठकर यह तय किया था कि ये अदालत का फैसला होगा, किसी जज विशेष का नहीं।

CJI ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में सेम सेक्स मैरिज पर दिए फैसले को लेकर भी बात की। CJI ने बताया कि फैसले के बाद जो भी नतीजे आए, उन पर कोई पछतावा नहीं है। वे उस फैसले की खूबियों पर टिप्पणी नहीं करेंगे, जिसमें समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा देने से इनकार कर दिया गया था।

पढ़ें CJI चंद्रचूड़ ने किस मुद्दे पर क्या कहा…

ज्यूडीशियरी: भरोसा बढ़े, इसलिए कई बदलाव किए CJI ने कहा कि हमने पिछले साल कुछ नए इनीशिएटिव लिए हैं। इन्हें इंडियन ज्यूडीशियरी में लोगों की बढ़ी हुई पहुंच और ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया है। इनमें कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच में होने वाले मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग शामिल है।

सेम सेक्स मैरिज केस: फैसला कभी भी जज के लिए निजी नहीं होता
समलैंगिकों ने अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी। सेम सेक्स मैरिज को वैध बनाने से इनकार करने वाले 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच के फैसले के बारे में CJI ने कहा कि किसी मामले का नतीजा कभी भी जज के लिए निजी नहीं होता है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ बोले- हमारी ट्रेनिंग हमें एक बात सिखाती है कि एक बार जब आप किसी मामले में फैसला सुना देते हैं, तो खुद को उससे दूर कर लेना है। एक जज के तौर पर, हमारे लिए फैसले कभी भी व्यक्तिगत नहीं होते। मैं कई मामलों में बहुमत, तो कई मामलों में अल्पमत में रहा, लेकिन मुझे कभी इसका पछतावा नहीं होता।

एक जज के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा कभी भी खुद को किसी मुद्दे से नहीं जोड़ना होता है। मामले का फैसला करने के बाद, मैं इसे हमारे समाज के भविष्य पर छोड़ता हूं कि वह कौन सा रास्ता अपनाएगा।

गौरतलब है कि 17 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था, लेकिन समलैंगिकों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी थी।

आर्टिकल 370: फैसला अब सार्वजनिक संपत्ति, हमें इसे वहीं छोड़ देना चाहिए
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और इसकी आलोचना पर उन्होंने कहा – जज अपने फैसले के जरिए अपने मन की बात कहते हैं जो फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है। एक स्वतंत्र समाज में लोग हमेशा इसके बारे में अपनी राय बना सकते हैं।

जहां तक हमारा सवाल है तो हम संविधान और कानून के मुताबिक फैसला करते हैं। मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए आलोचना का जवाब देना या अपने फैसले का बचाव करना उचित होगा। हमने अपने फैसले में जो कहा है वह हस्ताक्षरित फैसले में मौजूद कारण में प्रतिबिंबित होता है और मुझे इसे वहीं छोड़ देना चाहिए।

कॉलेजियम सिस्टम: इसमें ट्रांसपैरेंसी नहीं, ये कहना गलत है
यह कहना कि कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता की कमी है, सही नहीं होगा। हमने कई कदम उठाए हैं ताकि पारदर्शिता बनी रहे। निष्पक्षता बनी रहे। प्रक्रिया की आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन अब जब मैं कई सालों से इस प्रक्रिया का हिस्सा रहा हूं तो मैं बता सकता हूं कि जजों की नियुक्ति से पहले परामर्श की प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए हमारे जज हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कॉलेजियम के सभी प्रस्तावों को वेबसाइट पर डाला जाता है ताकि लोग हमारे फैसलों को जान सकें।

बेंच हंटिंग: इसे वकील ऑपरेट नहीं कर सकते
सुप्रीम कोर्ट में केस की लिस्टिंग को लेकर होने वाली बेंच हंटिंग के आरोप पर भी उन्होंने अपनी बात रखी। CJI ने कहा- जजों को मामलों का आवंटन वकीलों से ऑपरेट नहीं हो सकता। मैं इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हूं कि सुप्रीम कोर्ट संस्था की विश्वसनीयता बरकरार रखी गई है। कोई भी वकील इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि मेरे मामले का फैसला किसी विशेष जज की बेंच में किया जाए। अगर कोई जज किसी मामले से खुद को अलग कर लेता है तो इसे फिर से किसी सीनियर या जूनियर जज को सौंप दिया जाता है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!