आचार्य विद्यासागर महाराज ने अजमेर में ली थी दीक्षा:उनकी स्मृति में बना है 71 फीट ऊंचा कीर्ति स्तम्भ; प्रदेशभर में णमोकार मंत्र का पाठ
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में शनिवार देर रात 2:35 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया। इसके बाद प्रदेशभर के जैन मंदिरों में प्रार्थना और णमोकार मंत्र का जाप किया गया। मुनि श्री का राजस्थान से भी विशेष लगाव रहा है। उन्होंने अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से दीक्षा ली थी। इस कार्यक्रम में देशभर से 25 हजार लोग शामिल हुए थे। अजमेर के महावीर सर्किल पर 71 फीट का कीर्ति स्तंभ भी है।
कीर्ति स्तम्भ पर आचार्य विद्यासागर के सर्वोच्च संत बनने की यात्रा का वर्णन है।
जिनशासन तीर्थ क्षेत्र जैन नाकामदार अजमेर के मंत्री विनीत जैन ने बताया- दिगंबर जैन समाज के शिरोमणि संत आचार्य विद्यासागर ने 55 साल पहले 30 जून 1968 में अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि दीक्षा ली थी, जिसके साक्षी देशभर के 25 हजार श्रद्धालु बने थे। दीक्षा स्थल अजमेर के महावीर सर्किल के पास बना है। दीक्षा की स्मृति में आर के मार्बल परिवार किशनगढ़ की ओर से देश का सबसे बड़ा 71 फीट का कीर्ति स्तंभ निर्माण कराया गया था। इसका निर्माण 30 जून 2018 को हुआ था। 1967 में किशनगढ़ में आचार्य ज्ञानसागर के समक्ष आजीवन वाहन की सवारी का त्याग कर दिया था।
अजमेर में दीक्षा के दौरान मुनि श्री की तस्वीर।
स्तंभ पर आचार्य विद्यासागर महाराज की पूरी जीवनी को बंशीपुर पहाड़ी के पत्थरों से बेहतरीन नक्काशी से उकेरा गया है, जिसमें जन्म, बचपन, शिक्षा, वैराग्य, दीक्षा और मुनि से लेकर आचार्य पद प्राप्त करने के बाद दिगंबर जैन समाज के सर्वोच्च संत बनने तक की यात्रा बताई गई है।
अब तक 505 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक दीक्षा दी
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 में शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज देश के ऐसे अकेले आचार्य थे, जिन्होंने अब तक 505 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक दीक्षा दी।
मुनि श्री ने पिछले चार साल से दीक्षा नहीं दी थी। आखिरी बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षांत समारोह हुआ। इसमें 10 को मुनि दीक्षा दी। अनेक गौ शालाओं का संचालन इन्हीं के नाम से देशभर में हो रहा है।
अजमेर के नाकामदार में णमोकार महामंत्र का पाठ करते जैन समाज के लोग।
दीक्षा के दौरान प्रवचन देते हुए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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