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एंटी लार्वा गतिविधियों के दम पर डेंगू-मलेरिया पर प्रभावी हुआ नियंत्रण साल दर साल घट रही मरीजों की संख्या

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बीकानेर, 1 अक्टूबर। मच्छर जनित रोगों के नियंत्रण में एंटी लार्वा गतिविधियां अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई हैं, जिनके दम पर बीकानेर जिले में डेंगू-मलेरिया-चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण हासिल हुआ है। एंटी लारवा गतिविधियों के अंतर्गत मच्छर प्रजनन के प्रमुख स्रोतों यानीकि ठहरे हुए एवं खुले पड़े पानी पर ही कार्यवाही की जाती है। इसी के साथ जिला प्रशासन के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में फोगिंग तथा सर्वे के साथ सोर्स रिडक्शन का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
बीकानेर जिले में पिछले 5 वर्ष का ट्रेंड देखें तो साल दर साल डेंगू-मलेरिया जैसे रोगों का ग्राफ नीचे आ रहा है। जहां 2019 में कुल 756 मरीज डेंगू के रिपोर्ट हुए थे वह संख्या 2020 में घटकर 104 हुई और 2021 में आदिनांक 193 रोगी रिपोर्ट हो चुके हैं। इनमें से केवल 87 रोगी ही इलाज उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती हुए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ ओम प्रकाश चाहर ने बताया कि डेंगू के निदान के लिए केवल एलाइजा टेस्ट ही मान्य है फिर भी एन एस 1 टेस्ट के पॉजिटिव रोगियों को डेंगू सस्पेक्टेड मानते हुए उनके घरों के आसपास 50 घरों में भी सर्वे तथा एंटी लारवा गतिविधियां की जाती है। इस वर्ष डेंगू से एक मृत्यु भी हुई है परंतु वह मरीज कैंसर रोगी होने के कारण उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से बहुत कम थी। इसके अतिरिक्त पीबीएम अस्पताल में उपचार के दौरान दो डेंगू पीड़ितों की मृत्यु हुई जोकि अन्य जिलों से उपचार के लिए आए थे।
मलेरिया की बात करें तो कभी एंडेमिक जोन में शामिल बीकानेर से मलेरिया का लगभग सफाया हो चुका है। इस वर्ष मलेरिया के केवल 5 रोगी ही चिन्हित हुए हैं। मौसमी बीमारियों की सर्विलांस, सूचना, नियंत्रण तथा रिपोर्टिंग संबंधित कार्य स्वास्थ्य विभाग के इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलेंस प्रोजेक्ट प्रकोष्ठ द्वारा किया जा रहा है।
घर-घर सर्वे व सोर्स रिडक्शन
बीकानेर शहर में इस वर्ष 35 स्वास्थ्य दलों द्वारा 37,930 घरों का मौसमी बीमारियों को लेकर सर्वे किया जा चुका है। जिसके दौरान स्वास्थ्य कर्मी पूरे घर में लारवा के प्रजनन स्थानों को ही समाप्त करते हैं।
ऐसे करें घर पर एन्टी लार्वा गतिविधियां
वर्तमान मौसम मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के प्रजनन हेतु अनुकूल है। अतः पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें।

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