बीकानेर। भाकृअनुप राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र द्वारा जन जातीय उप-योजना तहत आज दिनांक को आबू रोड़ (सिरोही) के इशरा गांव में पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कैम्प में 121 पशुपालकों (महिला व पुरुष) द्वारा लाए गए कुल 917 पशुओं जिनमें 409 ऊँट, 62 गाय, 155 भैंस, 291 बकरी व भेड़ शामिल रहे, का उपचार, दवाइयां व उचित सलाह देकर लाभ पहुंचाया गया।
केन्द्र में जन-जातीय उपयोजना के नोडल अधिकारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर. के. सावल ने कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में किसानों से पशुधन व खेती के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत के दौरान कहा कि कृषि एवं पशुपालन के बीच उचित समन्वय तथा खासकर पशुओं के रखरखाव, स्वास्थ्य, स्वच्छता, भरपूर पोषण हेतु संतुलित आहार आदि की आवश्यकताओं को वैज्ञानिक ढंग से पूर्ण कर पशुओं से श्रेष्ठ उत्पादन लिया जा सकता है तथा इससे जनजातीय क्षेत्रों के समाजार्थिक स्तर में अपेक्षित सुधार संभव हैं । डॉ.सावल ने कैम्प में पहुंची महिलाओं को स्वच्छ दूध उत्पादन के बारे में व्यावहारिक जानकारी दी तथा इस हेतु उन्हें छलनी व मलमली कपड़ा भी वितरित किया गया।
केन्द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने एनआरसीसी द्वारा गांव इशरा में आयोजित इस महत्वपूर्ण गतिविधि की समय-समय पर जानकारी लेते हुए केन्द्र सरकार की टीएसपी उप-योजना तहत फील्ड स्तर पर इस गतिविधि के सार्थक आयोजन हेतु पूरी टीम की सराहना की तथा कहा कि उष्ट्र प्रजाति के संरक्षण एवं विकास हेतु गहन अनुसंधान के अलावा उष्ट्र पालन व्यवसाय में जमीनी व सकारात्मक बदलाव लाने हेतु विशेषत: ऊँटनी के दूध व उष्ट्र पर्यटनीय विकास की दिशा में केन्द्र सतत प्रयत्नशील है ताकि ऊँट पालकों की आमदनी में बढ़ोत्तरी लाई जा सके।
इस अवसर पर डॉ.शान्तनु रक्षित, वैज्ञानिक ने केन्द्र की प्रसार गतिविधियों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि पशुपालन से जुड़ी प्रत्येक गतिविधि में केन्द्र की सक्रिय सहभागिता के पीछे मूल ध्येय वैज्ञानिक ज्ञान की भलीभांति जानकारी उष्ट्र पालकों तक पहुंचाया जाना है। वहीं वेज्ञानिक डॉ. श्याम सुंदर चौधरी ने पशुधन से श्रेष्ठ उत्पादन लेने हेतु पशुओं के रखरखाव, आहार व्यवस्था, पोषण, जनन आदि के साथ उसके स्वास्थ्य पहलू के संबंध में विशेष ध्यान देने की बात कही। केन्द्र के डॉ. काशी नाथ, पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि शिविर में लाए गए ऊँटों में तिबरसा (सर्रा) रोग के बचाव हेतु टीकाकरण किया गया । साथ ही पशुओं को कृमिनाशक दवा पिलाई गई और बाह्य परजीवियों के बचाव हेतु दवा वितरित की गई। इस दौरान कुछ पशुओं के खून व मिंगनी के नमूने जाँच हेतु लिए गए। पशु पालकों को केन्द्र में निर्मित ‘करभ’ पशु आहार व खनिज मिश्रण भी वितरित किए गए ।
एनआरसीसी द्वारा आयोजित इस गतिविधि में संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग सिरोही की ओर से डॉ. सुरेन्द्र सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी एवं पशुधन सहायकों ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया गया। वहीं पिंडवाड़ा आबूरोड़ के विधायक श्री समाराम गरासिया एवं महिला सरपंच श्रीमती सुंदर देवी ने भी इस महत्वपूर्ण गतिविधि के लिए केन्द्र के प्रति आभार व्यक्त किया। श्री सेवाराम, सदस्य, पशुधन विकास कमेटी, सिरोही ने पशुधन को लेकर अपनी बात रखीं। केंद्र के मनजीत सिंह, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी ने शिविर में पंजीयन, दाना-आहार वितरण आदि कार्यों में सहयोग दिया।
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