बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा मनाए जा रहे हिन्दी चेतना मास (14 सित.-13 अक्टूबर) के तहत आज दिनांक को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में श्री मुरारी लाल गुप्ता, पूर्व उप-निदेशक (रा.भा.), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने राजभाषा हिन्दी से संबद्ध संवैधानिक प्रावधानों एवं समितियों की कार्यप्रणाली संबंधी विस्तृत जानकारी दीं तथा कहा कि देश में हिन्दी भाषा सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है तथा यह प्रांतीय भाषाओं के साथ एक जुड़ाव उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस युग में हिन्दी भाषा में काम करना अधिक सरल हो गया है, अतः इसे गौरव एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ इसे अपनाया जाए।
इस अवसर पर केन्द्र निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि केन्द्र द्वारा हिन्दी चेतना मास के तहत विविध गतिविधियों का आयोजन, राजभाषा के प्रगामी प्रयोग एवं उपयुक्त वातावरण के सृजन का द्योतक बने हैं। यह प्रयास सतत रूप से जारी रहना चाहिए। डॉ. साहू ने केन्द्र तथा परिषद आदि के तहत हिन्दी में प्रकाशित पत्रिकाओं में अधिकाधिक आलेख प्रकाशन हेतु प्रोत्साहित किया ताकि संस्थान गतिविधियों की अधिकाधिक जानकारी प्रचारित-प्रसारित की जा सकें एवं किसानों एवं आमजन को भी इसका लाभ मिल सकें।
पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. राजेन्द्र कुमार पुरोहित, प्राचार्य, राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर ने वैश्विक पटल पर हिन्दी के बढ़ते चरण एवं हिन्दी को अधिकाधिक अपनाने की बात कही। डॉ. पुरोहित ने केन्द्र द्वारा पूरे मास आयोजित हिन्दी गतिविधियों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इससे प्रेरणा लेने हेतु प्रोत्साहित किया।
चेतना मास के इस पुरस्कार वितरण समारोह में हिन्दी में निबंध, श्रुति लेखन, टिप्पणी एवं प्रारुप लेखन, यूनिकोड में हिन्दी टंकण, प्रश्न मंच, आशुभाषण, शोध-पत्र पोस्टर प्रदर्शन प्रतियोगिताओं आदि के विजेताओं को मंचस्थ अतिथियों द्वारा पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान डॉ.आर.के.सावल, नोडल अधिकारी राजभाषा ने पूरे मास आयोजित गतिविधियों एवं केन्द्र में राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी स्थिति के बारे में सदन को अवगत कराया।
पुरस्कार वितरण से पूर्व, केन्द्र द्वारा ऊँटों के विभिन्न पहलुओं संबंधी हिन्दी प्रकाशन साहित्य/प्रदर्शनी एवं कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें गंगाशहर, भीनासर आदि आस-पास के गांवों के महिला एवं पुरुष किसानों एवं पशुपालकों ने भाग लिया ।
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