NATIONAL NEWS

एमजीएसयू इतिहास विभाग द्वारा अहिंसा सप्ताह 2023 के तहत गांधीजी और सामाजिक समरसता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज़

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

गांधीजी के रूप में मास्टर सौम्य शर्मा ने किया सभा का ध्यान आकर्षित

अहिंसा सप्ताह के तहत होंगी गांधीजी के जीवन के विभिन्न सिद्धांतों पर आधारित प्रतियोगिताएं

गांधी ने स्पष्ट कहा था हां मैंने राजद्रोह किया है क्यूंकि ये मेरा दायित्व था, आप चाहें तो मुझे सज़ा दें : नंद किशोर आचार्य

बीकानेर। एमजीएसयू इतिहास विभाग द्वारा आयोजित गांधीजी के जीवन मूल्य और सामाजिक समरसता विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ अहिंसा सप्ताह 2023 का आगाज़ शनिवार को परिसर स्थित अहिंसा पार्क से किया गया। मुख्य वक्ता की भूमिका में बोलते हुये साहित्य अकादेमी पुरस्कार से समादृत लेखक चिंतक नंद किशोर आचार्य ने मंच से बोलते हुये कहा कि गांधी की अहिंसा केवल उपदेश तक सीमित नहीं थी बल्कि अन्याय के विरुद्ध न्यायपूर्ण संघर्ष था। ब्रिटिश सरकार से गांधी ने स्पष्ट कहा था हां मैंने राजद्रोह किया है क्यूंकि ये मेरा दायित्व था, आप चाहें तो मुझे सज़ा दें।
राष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजन सचिव इतिहास विभाग की सह प्रभारी डॉ मेघना शर्मा ने मंच संचालन करते हुए कहा कि गांधीजी के पुण्यतिथि सप्ताह को विश्वविद्यालय का इतिहास विभाग अहिंसा सप्ताह के रूप में मना रहा है क्यूंकि गांधीजी ने लिखा है कि अहिंसा की परिभाषा बड़ी कठिन है, मैं समझता हूं कि मन वचन और शरीर से किसी को भी दुख न पहुंचाना ही अहिंसा है लेकिन इस पर अमल करना देहधारी के लिए असंभव है।
इससे पूर्व अहिंसा पार्क स्थित गांधी जी की मूर्ति पर पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। गांधीजी का रूप में आये कक्षा छः के नन्हे बालक सौम्य शर्मा ने संगोष्ठी का विधिवत आरंभ रघुपति राघव राजा राम भजन के साथ किया।
इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी ने स्वागत भाषण देकर मंच से अतिथियों का शाब्दिक स्वागत सत्कार किया।
संगोष्ठी के तहत दो पत्र वाचन हुए। मेरा जीवन मेरा संदेश – महात्मा गांधी विषय पर पत्र वाचन करते हुए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सीनियर फेलो डॉ. रितेश व्यास ने कहा कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजी शिक्षण संस्थान और शिक्षा व्यवस्था को देश की युवा पीढ़ी के लिए घातक बताया। उन्होंने यंग इंडिया के ज़रिये स्कूल और कॉलेजों के बहिष्कार को लेकर एक लंबी बहस छेडी।
सिस्टर निवेदिता कॉलेज के चित्रकला विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राकेश किराडू ने अपने पत्र महात्मा गांधी और स्वतंत्रता कालीन चित्रकला – एक अवलोकन में कहा कि गांधीजी के विचारों के अनुसार हम तुम सब मिट्टी में से नायक बनाते है,
चित्र साधना घरों के लिए मत करो । जिस प्रकार एक कलाकार आनंद के साथ अपनी चित्राकृतयों के मनोभावों की अभिव्यक्ति करता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि आत्मा और परमात्मा का मिलन हो रहा है ।
अध्यक्ष उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि अहिंसा से दुनिया ही नहीं हृदय भी जीते जा सकते हैं।
मीडिया प्रभारी डॉ मेघना शर्मा ने बताया कि अहिंसा सप्ताह के तहत आगामी दिवसों में गांधीजी अहिंसा और स्वतंत्रता संग्राम आधारित पोस्टर प्रतियोगिता व गांधीवादी विचारधारा समाज और राष्ट्र की पथ प्रदर्शक के रूप में विषयक परिसंवाद प्रतियोगिता का आयोजन भी इतिहास विभाग द्वारा किया जाएगा।
मुख्य वक्ता आचार्य व पत्र वाचकों का मंच से सूत की माला, शॉल, साफा व गांधीजी का चरखा स्मृति चिन्ह के रूप में देकर सम्मान किया गया। धन्यवाद ज्ञापन उपकुलसचिव डॉ॰ बिट्ठल बिस्सा द्वारा दिया गया।
आयोजन में छात्रसंघ अध्यक्ष लोकेन्द्र प्रताप सिंह के साथ साथ डॉ॰ मदन राजोरिया, रमोवतार उपाध्याय, राजेश चौधरी, किरण, जसप्रीत सिंह, सोनम मीणा, राजवीर सिंह चारण, पार्षद प्रफुल्ल हटीला, भवानी सिंह तंवर के अतिरिक्त भारी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहें।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!