बीकानेर। भारत सरकार के भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के जीव जंतु कल्याण अधिकारी श्रेयांस बैद ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव व अध्य्क्ष भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड को लिखे पत्र में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा कोलायत इंदिरा गांधी नहर परियोजना की 750 आर डी मुख्य नहर के पास स्थित पानी की झील को सिंचाई एवं पेयजल हेतु पक्का विशाल जल संचय (वाटररिजर्वायर) बनाने की योजना है।जिसमें हजारों करोड़ के बजट का प्रावधान किया जा रहा है।
महा जलाशय को बनाने वाले योजनाकारों ने उस भूमि के विशेष पर्यावरणीय महत्व की स्थिति को समझे बगैर निर्णय लिया गया है गौरतलब है कि
यह स्थान लाखों वन्य पशु पक्षियों सरिसृपों का आश्रय स्थल है जो कि इस झील पर महा जलाशय बनाने से नष्ट हो जायेगा एवं क्षेत्र के परिस्थितिकी तंत्र को भी अपूरणीय क्षति पहुँचेगी।
इस झील क्षेत्र में एसे लुप्तप्राय प्रजाति के वन्यजीव भी निवास करते है जो अन्यत्र नहीं पाये जाते तथा यहाँ शीत ऋतु में प्रति वर्ष यहां अनेक प्रजातियों के लाखों प्रवासी पक्षी आते है जो यहाँ के आश्रय की अनुकूलता पाकर अपनी वंश वृद्धि करते है।
पानी की अनुकूलता पाकर यहां हजारो विकसित बड़े बड़े हरे व्रक्ष है जिनको काटने पर उन पर निवास कर रहे लाखों पक्षियों के आश्रय व घौंसले और उनके बच्चे आदि नष्ट हो जायेंगे।
मुख्य नहर के नजदीक उस हजारों एकड़ भूमि का भूजल कम गहरा और अधिक मिठा होने के कारण वहां अत्यधिक नलकूप बने हुए है। जहाँ प्रचूर मात्रा में खेती हो रही है।
यह आद्र भूमि होने के कारण वनस्पतियों एवं जैव.विविधता के लिये भी अनुकूल है।इसलिए हरे पेड़ों और वहां निवास करने वाले वन्यजीवों के आश्रय के लिये यह सर्वाधिक अनुकूल प्राकृतिक आवास व आश्रय स्थल है।
आवश्यकता अनुरूप जलाशय को यहां से दूर संपर्क नहर से पानी ले जाकर वृक्षविहीन सरकारी भूमि क्षेत्र में ही बनाना उचित रहेगा प्रस्तावित जलाशय को तो अन्यत्र कहीं भी लगाया जा सकता है लेकिन वन्यजीवों व वृक्षों एवं किसानों के लिये उपयुक्त अन्य कोई ऐसा उपयुक्त मौके का क्षेत्र नहीं मिल सकता।
इसलिये उपरोक्त कारणों के मद्देनजर इस वन्यजीव बहुल संवेदनशील परिस्थितिकी क्षेत्र को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कंजर्वेशन रिजर्व एरिया घोषित किया जाने की मांग की है ।

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