Telangana New Chief Minister: तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस में मामला फंसता हुआ दिखाई देर रहा है। कांग्रेस विधायकों की बैठक में सीएलपी नेता चुनने के लिए राष्टीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अधिकृत किया गया। बैठक में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई। चर्चा है कि अन्य नेताओं ने रेवंत रेड्डी का विरोध कर दिया।
हैदराबाद: तेलंगाना में बड़ी जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने राज्य में नई सरकार की ताजपोशी तेजी दिखाई थी, लेकिन अब राज्य में मुख्यमंत्री को लेकर पेंच फंसने के बाद शपथ ग्रहण में देरी होने की उम्मीद है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को सीएम कैंडिडेट के तौर पेश किया था। चुनाव नतीजों के बाद भी रेवंत रेड्डी को फ्रंट रनर माना जा रहा था। मुख्यमंत्री किसे बनना चाहिए? इसको लेकर विधायक दल की बैठक में आम सहमति नहीं बन पाने पर फिलहाल शपथ ग्रहण को स्थगति कर दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पांच नेताओं ने अंतिम वक्त पर रेड्डी की राह मुश्किल कर दी। 4 दिसंबर को दोपहर तक चीजें सुचारू रूप से चल रही थीं। राजभवन में कथित तौर पर एक कुछ मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री के रूप में ए रेवंत रेड्डी के शपथ ग्रहण की व्यवस्था की जा रही थी, लेकिन शाम होते-होते वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद उभर आए। इसके बाद पूरा मामला पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेज दिया गया।
- कई वरिष्ठ नेता हैं नाराज
- सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेवंत रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने की संभावना से कई वरिष्ठ नेता नाराज हैं। तेलंगाना में जहां सीएम पद को लेकर मतभेद उभरे हैं तो वहीं डिप्टी सीएम को लेकर भी यही स्थिति है। मल्लू भट्टी विक्रमार्क जिन्हें कांग्रेस का दलित सीएम चेहरा माना जा रहा है। उन्होंने अब कई डिप्टी सीएम बनाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर उन्हें सीएम पद से वंचित किया जाता है, तो उन्हें एकमात्र डिप्टी सीएम बनाया जाना जाए और इसके साथ अहम विभाग सौंपे जाएं। इसके अलावा विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई। यह भी तर्क सामने आया कि यदि रेवंत को सीएलपी नेता चुना जाता है, तो टीपीसीसी प्रमुख का पद किसी वरिष्ठ नेता को दिए जाए।
रेवंत रेड्डी की ताजपोशी में बने रोड़ा!
1. मल्लू भट्टी विक्रमार्क: तेलंगाना की भंग हुई दूसरी विधानसभा में कांग्रेस के विधायक दल के नेता थे। वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
2. उत्तम कुमार रेड्डी: तेलंगाना प्रदेश कार्य समिति के पूर्व अध्यक्ष है। इन चुनावों में वह चुनाव लड़े थे और जीतकर विधानासभा पहुंचे हैं।
3. दामोदर राजनरसिम्हा: अविभाजित आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे कांग्रेस के दलित चेहरा हैं और राज्य के मेडक जिले से आते हैं। वे अंडोल से जीते हैं। वे पहली बार इसी सीट से 1989 में जीते थे। वे 64 साल के हैं।
4. श्रीधर बाबू: तेलंगाना बनने से पहले आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दौरान मंत्री रह चुके हैं। वह इस बार मंथनी से जीते हैं। बतौर विधायक वे पांचवीं बार जीते हैं। वे वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। वे कर्नाटक के इंचार्ज सेक्रेटरी रह चुके हैं। पेशे से वे वकील हैं और डीयू से पढ़े हैं। उनके पिता भी राजनेता थे। वे आंध्र के स्पीकर रहे बने थे।
5. कोमाटि राज गोपाल रेड्डी: मुनुगोडे से जीतकर विधानसभा पहुंचे राज गोपाल रेड्डी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। वे नलगोंडा जिले से आते हैं। उनके बड़े भाई कोमाटि वेंकट रेड्डी पहले मंत्री रह चुके हैं। दोनों भाईयों को तेलंगाना की राजनीति में कोमाटिरेड्डी बंधु के तौर पर जाना जाता है। चर्चा है रेड्डी बंधुओं ने भी रेवंत की उम्मीदवारी का विरोध किया है।
बैठक में नहीं पहुंचे थे पांच नेता
सीएलपी बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर खरगे को मुख्यमंत्री तय करने के लिए अधिकृत करने के बाद विधायकों की व्यक्तिगत राय ली गई। इस दौरान कुछ विधायकों ने पूर्व सीएलपी नेता मल्लू भट्टी विक्रमार्क, उत्तम कुमार रेड्डी और श्रीधर बाबू को संभावित सीएम के रूप में नामित किया। बैठक की जानकारी रखने वाले एक नेता ने कहा कि अधिकांश विधायकों ने तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी के समर्थन में अपना समर्थन जताया। इससे पहले दिन के दौरान, कांग्रेस हलकों में चर्चा थी कि एआईसीसी नेतृत्व ने रेवंत को मुख्यमंत्री के रूप में अंतिम रूप दे दिया है। चर्चा है किउत्तम, भट्टी, श्रीधर बाबू और कोमाटिरेड्डी बंधुओं ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया है। यह भी जानकारी सामने आई है कि रेवंत का विरोध कर रहे पांच नेता सीएलपी की बैठक में नहीं गए। डीके शिवकुमार दूसरे होटल में उनसे मिलने पहुंचे। जब उन्होंने यह कहा कि सीएम पर फैसला नहीं होगा तब वे सीएलपी बैठक में पहुंचे।
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