
. नई दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड-2024 की फूल ड्रेस रिहर्सल परेड की गई
राजस्थान की झांकी ने विकसित भारत में पधारो म्हारे देश का संदेश देकर मन मोह लिया
इस वर्ष 26 जनवरी को 75 वें गणतंत्र दिवस परेड-2024 में निकलने वाली झांकियों में राजस्थान की झांकी का अलग ही आकर्षण रहने वाला है। इस झांकी में विकसित भारत में
पधारो म्हारे देश की थीम रखी गई, यह झांकी राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध संस्कृति, स्थापत्य परंपरा और हस्तशिल्प का सुंदर मिश्रण है।
झांकी के अग्रभाग में राजस्थान के प्रदेश के सुप्रसिद्ध घूमर नृत्य का मनोहारी दृश्य है।इस झांकी का केंद्र बिंदु इसमें घूमर करती दस फीट आकार की नर्तकी का मूर्ति शिल्प ..साथ ही सभी को आकर्षित करने वाली चटक रंगो की रंग बिरंगी राजस्थानी वेश-भूषा में सुसज्जित यह नर्तकी,जिसकी ड्रेस डीजाइनर सुमन जोशी रही है! जिनका उधेश्य राजस्थान की परंपरा को दर्शाना है इस बहुरंगी चमक दमक पोशाक से रंगिलो म्हारो राजस्थान का संदेश देते हुए , साथ ही दोनों हाथो से नर्तकी विशेष अंदाज में सभी को पधारों म्हारे देस का संदेश दे रही है। घूमर राजस्थान का पारंपरिक और जग प्रसिद्ध नृत्य है जो कि प्रदेश की महिलाओं द्वारा विभिन्न उत्सवों में किया जाता है।
डॉ हर्ष ने बताया कि झांकी के पिछले भाग में भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त तथा भक्ति और शक्ति की प्रतीक मीरा बाई की सुंदर प्रतिमा प्रदर्शित की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य के सुप्रसिद्ध हस्तशिल्प उद्योगों का महिलाओं द्वारा ही संचालन करना और उनके द्वारा निर्मित उत्पादों की सुंदर झलक प्रस्तुत की गई है। झांकी में राजस्थान की उद्यमी महिलाओं को पारंपरिक बंधेज, बगरू प्रिंट, एप्लिक वर्क का कार्य करते हुए भी दर्शाया गया है।
उन्होंने बताया कि झांकी के पिछले भाग में रेगिस्तान का जहाज कहें जाने वाले प्रेस के पालतु राज्य पशु ऊंट की सुसज्जित झांकी है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशंस) ने इस वर्ष -2024 को उष्ट्र (ऊंटो) वर्ष घोषित किया है। गोरबंद में सजे-धजे दो ऊंटो की यह झांकी प्रतिवर्ष पश्चिमी राजस्थान में होने वाले ऊंट उत्सव को प्रतिबिंबित कर रही है। इसके साथ ही झांकी में विशेष राजस्थानी ग्राम्य जन जीवन भी दर्शाया गया है। साथ ही ऊंट पर राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा पहने राजस्थानी महिला सवारो को भी दर्शाया गया है। ऊंट के पीछे राजस्थान के स्थापत्य कला का प्रदर्शन है जिसमें सुसज्जित हाथी युक्त विशेष तोरण द्वार, कलात्मक छतरियों, मीनारो आदि को गुलाबी रंग पर सफेद रंग से सुंदर ढंग से अलंकृत किया गया है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर को गुलाबी नगरी कहा जाता है और गुलाबी रंग मेहमान नवाजी और स्वागत का प्रतीक माना जाता है
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