जिले के 12 लाख बच्चे-किशोर खाएंगे एल्बेन्डाजोल गोली : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति (डीवर्मिंग) दिवस 4 सितम्बर को,अभियान को लेकर जिला समन्वय समिति की बैठक आयोजित

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    बीकानेर, 28 अगस्त। बच्चों में कुपोषण की रोकथाम, शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिये चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा 4 सितम्बर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति (डीवर्मिंग) दिवस मनाया जाएगा। कार्यक्रम के तहत 1 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों को आंगनबाडी केन्द्रों, सरकारी-निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों व मदरसों में पेट के कीड़े मारने की दवा एलबेण्डाजोल गोली निशुल्क खिलाई जाएगी। इसके बाद 11 सितम्बर को माॅप अप दिवस मनाया जाएगा। इस दिन 4 सितम्बर को छूटे हुए बच्चों को एलबेंडाजोल गोली खिलाई जायेगी। इस सन्दर्भ में सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय अन्तर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गई। अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन प्रतिभा देवठिया ने महिला बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और स्वयंसेवी संस्थानों के सहयोग व समन्वय से सम्पूर्ण जिले में लक्षित लाभार्थी बच्चों को कृमि नाशक दवा ‘एलबेंडाजोल‘ खिलाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। अतिरिक्त जिला कलेक्टर शहर जगदीश प्रसाद गौड़ ने अधिकारियों को ब्लॉकस्तर पर बैठक आयोजित कर स्थानीय प्रबंधन, दवा उपलब्धता और व्यापक प्रचार-प्रसार गतिविधियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं।  

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मोहम्मद अबरार पंवार ने बताया कि खाजूवाला सहित जिले में लगभग 12 लाख बच्चों को डीवर्मिंग गोली खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। आंगनवाड़ी केन्द्रों में 1 से 2 वर्ष तक के बच्चे को ऐल्बेण्डाजोल 400 एमजी की आधी गोली व 2 से 3 वर्ष के बच्चों को एक पूरी गोली दो चम्मच के बीच में रखकर चूरा करके स्वच्छ पीने के पानी में घोलकर पिलाई जायेगी व 3 से 19 साल के बच्चे को 1 गोली चबाकर खाने को दी जाएगी। जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं उन्हें भी आंगनवाड़ी केन्द्रों के मार्फत दवा खिलाई जाएगी। विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा गोली खिलाई जाएगी।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण डॉ योगेन्द्र तनेजा ने बताया कि बच्चों में आमतौर पर राउंड कृमि, व्हिप कृमि व हुक कृमि पाए जाते हैं। ऐल्बेण्डाजोल दवा पूर्ण सुरक्षित है। जो बच्चे स्वस्थ दिखें उन्हें भी ये खिलाई जानी हैं क्योंकि कृमि संक्रमण का प्रभाव कई बार बहुत वर्षों बाद स्पष्ट दिखाई देता है। दवा से पेट के कीड़े मरते हैं इसलिए कुछ बच्चों में जी मिचलाना, उल्टी या पेट दर्द जैसे सामान्य छुट-पुट लक्षण हो सकते हैं लेकिन ये सामान्य व अस्थाई हैं जिन्हें आंगनवाड़ी व विद्यालय में संभाला जा सकता है। बीमार बच्चों को ये दवाई नहीं खिलाई जायेगी। इस अवसर पर उपनिदेशक आईसीडीएस कपूरचन्द्र मान, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी अनिल बोड़ा, सहयोगी संस्थान एविडेंस एक्शन के सुनील कुमार, ब्लॉक् सीएमओ, बीपीओ, सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षक सहित स्वास्थ्य विभाग, स्काउट व नेहरू युवा केंद्र के सदस्य उपस्थित रहे।

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