कश्मीर हमला- लश्कर के संगठन TRF ने ली जिम्मेदारी:रेकी के बाद टनल साइट पर की थी फायरिंग; डॉक्टर-6 मजदूरों की मौत, 3 बिहार के
श्रीनगर
गांदरबल के गगनगीर इलाके में आतंकी हमले के बाद से सर्च ऑपरेशन जारी है।
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में रविवार देर रात हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। सूत्रों ने सोमवार को बताया कि TRF चीफ शेख सज्जाद गुल इस हमले का मास्टरमाइंड था।
गांदरबल के गगनगीर इलाके में श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे की टनल कंस्ट्रक्शन साइट पर आतंकियों ने फायरिंग की। हमले में बड़गाम के डॉक्टर शहनवाज मीर और पंजाब-बिहार के 6 मजदूरों की जान चली गई।
हमले के बाद गांदरबल और गगनगीर के जंगलों में रात से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। यह ऑपरेशन अभी भी जारी है। सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं और अब नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) भी पहुंच गई है।
आतंकी हमले के बाद की 5 तस्वीरें…
हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना सर्च ऑपरेशन चला रही है।
सेना की टुकड़ी को सोमवार सुबह हमले वाली जगह तैनात किया गया।
हमले की जिम्मेदारी लेने वाले TRF संगठन पहले भी कई टारगेट किलिंग्स में शामिल रह चुका है।
आतंकी हमले में मारे गए मजदूर केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।
सोनमर्ग के लेबर कैंप के बाहर आतंकियों ने इस वाहन पर हमला किया।
गगनगीर आतंकी हमला, 4 पॉइंट
1. हमले में 2-3 आतंकी शामिल, 1 महीने रेकी की सूत्रों ने बताया कि गगनगीर आतंकी हमले में TRF के 2-3 आतंकवादी शामिल हैं। यह पिछले एक महीने से कंस्ट्रक्शन साइट की रेकी कर रहे थे। इसके चलते ही आतंकी हमले के तुरंत बाद फरार होने में कामयाब हुए।
2. पंजाब और बिहार के मजदूरों को निशाना बनाया जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि बड़गाम के डॉक्टर शहनवाज, कठुआ के रहने वाले शशि अब्रोल हमले में मारे गए। इनके अलावा पंजाब के गुरदासपुर के गुरमीत सिंह, बिहार के अनिल कुमार शुक्ला, फहीम नजीर, मोहम्मद हनीफ और कलीम की हत्या की गई। ये सभी केंद्र सरकार के टनल प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे।
3. TRF ने स्ट्रैटजी बदली, अब बाहरी भी निशाने पर रिपोर्ट्स के मुताबिक, TRF ने पिछले डेढ़ साल में अपनी स्ट्रैटजी बदली है। पहले TRF कश्मीर पंडितों की टारगेट किलिंग करता था। अब यह संगठन गैर कश्मीरियों और सिखों को निशाना बना रहा है। 4 दिन पहले शोपियां में बिहार के मजदूर अशोक चौहान की हत्या की गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी अभी किसी संगठन ने नहीं ली है।
4. बारामूला में आतंकवादी ढेर, गांदरबल कनेक्शन नहीं गांदरबल के हमले के बाद 50 किलोमीटर दूर बारामूला में सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया है। उसके पास से भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं, लेकिन अभी तक इसका गांदरबल से कोई कनेक्शन सामने नहीं आया है। यहां भी सोमवार सुबह से सर्च ऑपरेशन जारी है।
डॉक्टर की मौत के बाद उनकी पत्नी और बच्चों को गहरा सदमा पहुंचा है। CM उमर, गृहमंत्री शाह समेत कई लोगों ने उनके प्रति संवेदनाएं व्यक्त की है।
हमले पर किसने क्या कहा
- अमित शाह: इस जघन्य और कायरतापूर्ण हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें हमारे सुरक्षाबलों की ओर से कठोरतम जवाब का सामना करना पड़ेगा। इस दुख की घड़ी में मैं मृतकों के परिवारों के साथ हूं।
- राहुल गांधी: जम्मू-कश्मीर का हमला कायरतापूर्ण और अक्षम्य अपराध है। आतंकियों का यह दुस्साहस जम्मू-कश्मीर में निर्माण का क्रम और लोगों का विश्वास कभी नहीं तोड़ पाएगा। इस लड़ाई में पूरा देश एकजुट है।
- मुख्यमंत्री उमर: गैर-स्थानीय मजदूरों पर कायरतापूर्ण हमला बहुत दुखद है। ये लोग इलाके में एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। मैं निहत्थे निर्दोष लोगों पर इस हमले की कड़ी निंदा करता हूं।
370 हटने के बाद TRF एक्टिव, टारगेट किलिंग की TRF को भारत में आतंकवादी संगठन घोषित है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि TRF को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर ने बनाया है। यह लश्कर और जैश के कैडर को मिलाकर बनाया गया है। यह संगठन कश्मीरियों, कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं की हत्या की कई घटनाओं में शामिल है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद TRF ज्यादा एक्टिव हो गया है। हमलों की जिम्मेदारी लश्कर नहीं, बल्कि TRF लेता है।
TRF का मकसद: 2020 के बाद TRF टारगेट किलिंग की ज्यादातर घटनाओं में शामिल रहा। कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों, सरकारी अफसरों, नेताओं और सिक्योरिटी फोर्सेस को निशाना बनाता है। 370 हटने के बाद सरकारी योजनाओं, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना और अस्थिरता फैलाना मकसद है। सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
2024 में टारगेट किलिंग 2024 में भी जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की गई। इन टारगेट किलिंग्स की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन माना जा रहा है कि इनके पीछे TRF का हाथ है।
1. राजौरी, 22 अप्रैल: राजौरी में आतंकियों ने एक घर पर फायरिंग की थी। इसमें 40 साल के मोहम्मद रज्जाक की मौत हो गई थी। वे कुंडा टोपे शाहदरा शरीफ के रहने वाले थे। अप्रैल में टारगेट किलिंग की ये तीसरी वारदात थी। रज्जाक के भाई सेना में जवान हैं। 19 साल पहले आतंकियों ने इसी गांव में रज्जाक के पिता मोहम्मद अकबर की हत्या कर दी थी। वे वेलफेयर डिपार्टमेंट में काम करते थे। रज्जाक को पिता की जगह नौकरी मिली थी।
राजौरी में मो. रज्जाक का अंतिम संस्कार किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।
8 अप्रैल, शोपियां: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में आतंकियों ने गैर कश्मीरी स्थानीय ड्राइवर परमजीत सिंह को गोली मारी थी। वह दिल्ली का रहने वाला था। आतंकियों ने परमजीत पर उस वक्त हमला किया था, जब वह अपनी ड्यूटी पर था। घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी मौके से भाग निकले थे।
फरवरी, हब्बा कदल: श्रीनगर में 7 फरवरी 2024 को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को AK-47 राइफल से गोली मार दी थी। मृतकों की पहचान अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25) के रूप में की गई थी। अमृत पाल की मौके पर ही मौत हो गई थी। रोहित ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था।
7 फरवरी को आतंकियों ने अमृतसर के दो युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
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