जीरो लाइन से 150 मीटर दूर स्मार्ट फेंसिंग की तैयारी:सरहद पर संवेदनशील क्षेत्रों में 4 किमी की स्मार्ट फेंसिंग, पानी और जमीन से घुसपैठिए के नजदीक आते ही सेंसर करेगा अलर्ट
बीकानेर

पश्चिमी राजस्थान की सीमा को अब स्मार्ट फेंसिंग के जरिए नए सिरे से सील करने की तैयारी की जा रही है। प्रयोग के तौर पर पहले चरण में अनूपगढ़ एरिया में चार किमी तक घग्घर बहाव वाले क्षेत्र को कवर किया गया है।
बीएसएफ सूत्रों के अनुसार श्रीगंगानगर सेक्टर के घड़साना और अनूपगढ़ क्षेत्र में भारी बारिश होने पर घग्घर नदी का पानी आ जाता है। यहां लोहे की तारबंदी ज्यादा समय तक ठहर नहीं पाती। इसलिए अब चार किलोमीटर लंबी स्मार्ट फेंसिंग कर उस क्षेत्र को सुरक्षित किया गया है। करीब दस फीट ऊंचाई वाली यह फेंसिंग प्लास्टिक कोटेड है। गलने या जंग लगने की संभावना नहीं है।
इसके ऊपर दोनों तरफ कोबरा वायर का जाल है। इसलिए इस पर चढ़ना और लांघना आसान नहीं होगा। स्मार्ट फेंसिंग पर सेंसर लगाए गए हैं। इसके नजदीक आने पर वह अलर्ट का सिग्नल दे देते हैं। इस इलाके में तारबंदी पहले जीरो लाइन से करीब डेढ़ किलोमीटर पीछे थी। स्मार्ट फेंसिंग जीरो लाइन से डेढ़ सौ मीटर पर कर बीएसएफ भी आगे आ गई है।
दरअसल राजस्थान में भी बीएसएफ, कॉम्प्रहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम (सीआईबीएमएस) पर काम कर रहा है। इससे बॉर्डर पर सिक्योरिटी को लेकर एक बड़ा बदलाव बताया जा रहा है। बॉर्डर पर लगे नए इक्विपमेंट्स और टेक्नोलॉजी को सीसीटीवी के जरिए आपस में जोड़ा जाएगा।
जिस क्षेत्र में यह सिस्टम लगाया जाएगा, उसे डेटा नेटवर्क पर काम करने वाली संचार प्रणाली यानी ओएफसी केबल, डीएमआर कम्युनिकेशन, दिन और रात निगरानी करने वाले कैमरों और घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली से कवर किया जाएगा। ये उपकरण बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ जवानों को वहां की गतिविधियों से अवगत कराते रहेंगे। फिलहाल यह फेंसिंग ऐसे संवेदनशील स्थानों पर की जाएगी, जहां घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं।
ऐसे काम करती है स्मार्ट फेंसिंग
एक्सपर्ट के अनुसार भारत में पाकिस्तान से लगी सीमा पर लगने वाले हाईटेक सर्विलांस सिस्टम की मदद से जमीन, पानी और हवा में एक अदृश्य इलेक्ट्रानिक बैरियर तैयार किया जा सकता है। भारत में इसकी मदद से बीएसएफ को घुसपैठियों को पहचानने और रोकने में मदद मिलेगी। स्मार्ट फेंस में सतर्कता, निगरानी, संचार और डेटा स्टोरेज के लिए कई उपकरण लगे होते हैं।
इसमें थर्मल इमेजर, अंडरग्राउंड सेंसर, फाइबर ऑप्टिकल सेंसर, राडार और सोनार जैसे बेहद खास और हाईटेक उपकरण लगाए जाते हैं। इन्फ्रा-रेड और लेजर बेस्ड इंट्रूजन डिटेक्टर जमीन और नदी के आसपास के क्षेत्रों में एक अदृश्य दीवार का काम करेंगे, जबकि सोनार सिस्टम नदी के रास्ते घुसपैठ की कोशिशों को पकड़ लेगा। ऐरो स्टेट तकनीक आसमान में किसी भी हरकत पर नजर रखेगी। सुरंग के रास्ते घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए भूमिगत सेंसर लगातार निगरानी करेंगे।
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