नशीली दवाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती:कहा- असली गुनहगारों तक नहीं पहुंच पाती पुलिस; केमिस्ट कर रहे संग्रह
राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में नशीली दवाओं के अवैध कारोबार पर चिंता जताते हुए तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से सवाल करते हुए पूछा- टैबलेट और सिरप के अनावश्यक उत्पादन, निर्माण को नियंत्रित करने के लिए कोई तंत्र है या नहीं ?
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने शनिवार को इस मामले में प्रसंज्ञान लिया। न्यायाधीश फरजंद अली ने कहा- हमारे सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में साइकोट्रॉपिक पदार्थ युक्त गोलियां जब्त की गई हैं और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS एक्ट) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
बता दें कि साइकोट्रॉपिक पदार्थ युक्त गोलियां वे होती हैं जिनके रासायनिक पदार्थों से तंत्रिका तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। इससे इन्हें इस्तेमाल करने वाले के मूड, सोच, चेतना और व्यवहार में नकारात्मक बदलाव देखने को मिलता है।
नकली दवाओं के असली उत्पादकों तक पुलिस की पहुंच नहीं
जस्टिस अली ने कहा- जांच एजेंसी उन आरोपी व्यक्तियों को पकड़ती हैं जो गोलियां ले जा रहे होते हैं, या जिनसे गोलियां बरामद की जाती हैं। ये आरोपी अन्य आरोपियों का नाम लेते हैं, जिनसे उन्होंने कथित तौर पर गोलियां खरीदी होती हैं। ऐसे में मामला वहीं खत्म हो जाता है और नशीली दवाओं के असली सौदागरों तक पुलिस नहीं पहुंच पाती।

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में नशीली दवाओं के अवैध कारोबार पर चिंता जताई है।
डॉक्टर 1 महीने में 300 से अधिक गोलियां नहीं लिख सकता
जस्टिस अली ने कहा- जोधपुर या श्रीगंगानगर जैसे शहर में कोई भी डॉक्टर, सर्जन या मनोचिकित्सक एक महीने में 200-300 से अधिक गोलियां नहीं लिख सकता। इसके उलट केमिस्ट, औषधालय और मेडिकल स्टोर मालिक बड़ी मात्रा में ट्रॉमाडोल, अल्प्राजोलम, कोडीन फॉस्फेट जैसी गोलियों और सिरप को इकट्ठा कर रहे हैं, जो जरूरत के अनुपात में नहीं लगतीं।

कोर्ट ने कहा कि मेडिकल स्टोर नशीली दवाओं का संग्रह कर रहे हैं।
टैबलेट सिरप के गैरजरूरी उत्पादन पर नियंत्रण का कोई तंत्र है या नहीं
कोर्ट ने कहा- नशीली दवाएं युवाओं के जीवन को प्रभावित कर रही हैं। क्या टैबलेट और सिरप के अनावश्यक उत्पादन, निर्माण को काबू करने का कोई तंत्र है या नहीं ? इन सवालों के जवाब मिलना जरूरी हैं। वरना शहरों के दवा दुकानदार मनमर्जी से इन गोलियों सिरप को खपाते रहेंगे और इनके अवैध वितरण के स्रोत का पता भी नहीं चलेगा।

डॉक्टर कहते हैं कि पर्ची पर लिखे बिना ट्रॉमाडोल, अल्प्राजोलम, कोडीन फॉस्फेट आदि दवाएं न लें।
डॉक्टर के डिस्क्रिप्शन के बना न लें ये दवाएं
डॉक्टर्स का कहना है कि ट्रॉमाडोल, अल्प्राजोलम, कोडीन फॉस्फेट सिरप आदि दवाएं पर्ची पर डॉक्टर द्वारा लिखी जाएं तभी लें। ट्रॉमाडोल बहुत ज्यादा दर्द होने या कमर दर्द में दी जाती है। अल्प्राजोलम नींद न आने पर मरीज को दी जाती है। कोडीन फॉस्फेट सिरप भी दर्द और खांसी के लिए दी जाती है। इन दवाओं में अफीम की मात्रा होती है।
दर्द में जल्दी राहत मिलती है तो लोग डॉक्टर की एक बार लिखी पर्ची को बार बार दिखाकर केमिस्ट से ये दवाएं ले आते हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना ये दवाएं नहीं लेनी चाहिएं।











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