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पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ की रेस में 6 नाम:सितंबर में लगेगी मुहर, POK और ISI में काम कर चुके अधिकारी पहली पसंद

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*REPORT BY SAHIL PATHAN*

पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ ने नए आर्मी चीफ की तलाश शुरू कर दी है। सितंबर में नए आर्मी चीफ के नाम पर मुहर लग सकती है। वर्तमान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। नए आर्मी चीफ की दौड़ में 6 नाम सामने आ रहे हैं।

*1.लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर*
असीम मुनीर जनरल बाजवा के नीचे ब्रिगेडियर के तौर पर काम कर चुके हैं।
पाकिस्तान के आर्मी चीफ बाजवा के रिटायरमेंट के वक्त लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर सबसे सीनियर अधिकारी होंगे। उन्हें 2018 में टू-स्टार जनरल के रैंक पर प्रमोट किया गया था, लेकिन उन्होंने इस पोस्ट को 2 महीने बाद जॉइन किया। इस वजह से लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पर उनका 4 साल का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त होगा।
चूंकि सेना के दोनों बड़े पोस्ट के लिए नवंबर से पहले ही रिकमंडेशन भेजनी हैं, ऐसे में बाजवा पर निर्भर करता है कि वह उन नामों में जनरल मुनीर का नाम शामिल करते हैं या नहीं।
असीम 2018-2019 में 8 महीनों के लिए ISI चीफ रह चुके हैं। इसके बाद इमरान खान ने अपने करीबी फैज हमीद को ISI चीफ बना दिया था और गुजरांवाला कॉर्प्स कमांडर के तौर पर मुनीर का ट्रांसफर कर दिया था।
*2. लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा*
4 जनरल जो एक ही बैच से हैं और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की दावेदारी कर रहे हैं, उनमें साहिर सीनियर मोस्ट हैं। वह सिंध रेजिमेंट से आते हैं। बीते 7 सालों में साहिर मिर्जा का करियर बेहद शानदार रहा है।
इसके अलावा वह क्वाड्रिलेट्रल कोऑर्डिनेशन ग्रुप (QGC) का भी हिस्सा थे, जिसमें अफगानिस्तान के मसलों पर चर्चा के लिए पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और अमेरिका शामिल थे। इसके बाद उनका थ्री स्टार रैंक में प्रोमोशन हुआ और वे जनरल बाजवा के बाद आर्मी में दूसरे सबसे पावरफुल शख्स बन गए।
इस दौरान वे देश की सुरक्षा और विदेश मामलों में लिए जाए फैसलों में शामिल रहते थे। अक्टूबर 2021 में उन्हें जानबूझकर कॉर्प्स कमांडर, रावलपिंडी में पोस्टिंग दी गई, ताकि आने वाले समय में टॉप पोस्ट्स के लिए उन्हें कंसीडर किया जा सके।
*3. लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास*
जनरल अजहर अब्बास की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह मौजूदा उम्मीदवारों में भारत के मामलों में सबसे ज्यादा अनुभवी हैं। जनरल बाजवा ने भरोसेमंद होने के नाते उन्हें कश्मीर सेंट्रिक टुकड़ी को लीड करने की जिम्मेदारी दी थी।
इसके पहले लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास इन्फेंट्री स्कूल, क्वेटा के कमांडेंट के तौर पर काम कर चुके हैं। वे पूर्व आर्मी चीफ राहिल शरीफ के पर्सनल स्टाफ ऑफिसर थे। इस दौरान उन्होंने देश के सबसे बड़े मसलों की डिसीजन मेकिंग को बेहद करीब से देखा। मुरी बेस्ड 12वीं इन्फेंट्री डिवीजन के कमांडर के तौर पर वे POK की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे।
*4. लेफ्टिनेंट जनरल नौमान महमूद*
जनरल नौमान महमूद बलोच रेजीमेंट से आते हैं। फिलहाल नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट हैं। कमांड एंड स्टाफ इंस्ट्रक्टर, क्वेटा के तौर पर उनके पास काफी अनुभव है। उन्होंने नॉर्थ वजीरिस्तान में एक इन्फेंट्री डिवीजन को कमांड किया था।
इसके बाद जनरल महमूद को ISI के डायरेक्टर जनरल (एनालिसिस) के तौर पर नियुक्त किया गया। इस दौरान ISI की तरफ से दुनिया की दूसरी इंटेलिजेंस एजेंसियों से बातचीत का जिम्मा नौमान महमूद के पास ही था।
दिसंबर 2019 में उन्हें पेशावर की मशहूर सैन्य टुकड़ी XI कॉर्प्स का हिस्सा बनाया गया। जनरल महमूद पर पाक-अफगान बॉर्डर पर घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी थी।
*5. लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद*
फैज हमीद पाकिस्तान के सबसे चर्चित अधिकारियों में शुमार हैं। जनरल बाजवा और लेफ्टिनेंट जनरल हमीद लंबे वक्त से एक-दूसरे को जानते हैं। जनरल बाजवा के आर्मी चीफ बनने के 2 महीने के बाद ही जनरल हमीद को ISI चीफ बना दिया गया।
जनरल हमीद ना सिर्फ इंटरनल सिक्योरिटी, बल्कि पॉलिटिकल अफेयर्स भी देखते थे। अप्रैल 2019 में जनरल हेडक्वॉर्टर्स में तैनाती के बाद सरप्राइज मूव के तौर पर उन्हें ISI का DG बना दिया गया। यहां पर वह देश के नीति निर्धारण में अहम भूमिका निभाने लगे।
इसके बाद ISI में रहते हुए इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल बाजवा के बीच जनरल हमीद को लेकर विवाद हो गया। इमरान किसी भी सूरत में हमीद को हटाने को तैयार नहीं थे, लेकिन आखिरकार जनरल बाजवा की चली और और जनरल हमीद को पेशावर कॉर्प्स के कमांडर के तौर पर भेज दिया गया। देखना दिलचस्प होगा कि PML-N लीडरशिप जनरल हमीद को आर्मी चीफ के तौर पर कंसीडर करती है या नहीं।
*6. लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर ​​​​​​​*
मोहम्मद आमिर आर्टिलरी रेजिमेंट से बिलॉन्ग करते हैं। फिलहाल सैन्य यूनिट XXX कॉर्प्स को गुजरांवाला में कमांड कर रहे हैं। उन्हें जनरल बाजवा का करीबी दोस्त माना जाता है।
वे पहले पाकिस्तानी आर्मी के जनरल हेडक्वॉर्टर्स में दूसरे नंबर के कमांडर रह चुके हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल आमिर, 2011-13 के दौरान राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के मिलिटरी सेक्रेटरी थे।
*पसंदीदा आर्मी चीफ के बावजूद नवाज को नहीं मिला फायदा*
1972 के बाद से देश के दस सेना प्रमुखों में से पांच को प्रधानमंत्री के रूप में अलग-अलग कार्यकाल में नवाज शरीफ द्वारा नियुक्त किया गया था। शरीफ की बार-बार उन अधिकारियों की नियुक्ति के लिए आलोचना की गई, जिन्हें उन्होंने अपने हितैषी के रूप में देखा था।
1991 में जनरल आसिफ नवाज जनजुआ, 1993 में जनरल वहीद अख्तर, 1998 में जनरल परवेज मुशर्रफ, 2013 में जनरल राहिल शरीफ और 2016 में जनरल बाजवा की नियुक्ति नवाज शरीफ के कार्यकाल में हुई थी। मुशर्रफ के तख्तापलट के कारण नवाज को कई वर्षों तक देश के बाहर रहना पड़ा।
मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा वरिष्ठता के क्रम में चौथे नंबर पर थे, लेकिन नवाज शरीफ ने उनको आर्मी चीफ बनाया था। इनमें से किसी ने भी बाद में नवाज शरीफ के हित में काम नहीं किया।
इन कटु अनुभवों ने शरीफ खानदान के मन में यह बात बिठा दी है कि वे चाहे कुछ भी कर लें, आर्मी चीफ उनके हित में कतई काम नहीं करने वाले। PML-N के नेताओं की तरफ से कहा जा रहा है कि आइडियल कैंडिडेट चुनने की बजाय सीनियॉरिटी के आधार पर चयन को प्राथमिकता दी जाएगी। फिर चाहे नया आर्मी चीफ जैसा भी बर्ताव करे, कम से कम इस बात की तो तसल्ली रहेगी कि चयन में किसी किस्म की धांधली नहीं बरती गई।
एक राय यह भी है कि मौजूदा आर्मी चीफ जिसे रिकमेंड कर दे, उसके साथ प्रधानमंत्री जा सकते हैं।

*बाजवा ने आर्मी चीफ के पद पर एक्सटेंशन लेने से कर दिया इनकार*
पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति तीन साल के लिए होती है, लेकिन जनरल बाजवा को राजनीतिक ड्रामे के बाद 2019 में तीन साल का अतिरिक्त कार्यकाल दिया गया।
इमरान खान की पार्टी PTI को सत्ता दिलाने में बाजवा की अहम भूमिका मानी जाती है, इसलिए इमरान ने उनका टेन्योर बढ़ाया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सर्विंग चीफ्स की फिर से नियुक्ति पर कानून की मांग की।
संसद ने जनवरी 2020 में कानून बनाया, जिसके तहत प्रधानमंत्री को सर्विंग चीफ्स के कार्यकाल का विस्तार करने की अनुमति मिली। हालांकि इसमें यह भी तय कर दिया गया कि 64 साल की उम्र में सर्विंग चीफ को हर हाल में रिटायर होना होगा। मौजूदा आर्मी चीफ जनरल बाजवा अभी केवल 61 वर्ष के हैं। वे चाहते तो एक्सटेंशन ले सकते थे।
पाकिस्तानी मिलिट्री सोर्सेस की तरफ से यह बात साफ कर दी गई है कि बाजवा नवंबर में रिटायर हो जाएंगे। पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग, यानी इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने भी साफ कर दिया है कि आर्मी चीफ रिटायर हो रहे हैं।

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