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पारंपरिक लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों का उत्सव ‘देशज’ प्रारंभ

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पारंपरिक लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों का उत्सव ‘देशज’ प्रारंभ
बीकानेर।संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली तथा जिला प्रशासन बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत की पारंपरिक लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों का त्रिदिवसीय उत्सव “देशज” बीकानेर के रविंद्र रंगमंच में प्रारंभ हुआ।
कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि बीकानेर नगर निगम की महापौर श्रीमती सुशीला कंवर राजपुरोहित थी। कार्यक्रम का शुभारंभ महापौर श्रीमती सुशीला कंवर राजपुरोहित और अतिरिक्त जिला कलेक्टर (नगर) अरुण प्रकाश शर्मा ने किया।

इस अवसर पर महापौर ने कहा कि यह कार्यक्रम बीकानेर में आयोजित होना बीकानेर के लिए सौभाग्य की बात है उन्होंने इसे “अनेकता में एकता” का प्रतिरूप बताते हुए इसे कला के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। इस दौरान इसके माध्यम से लोक कलाओं के प्रश्रय संबंधी प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी इन कलाओं को समझ सकेगी तथा यह एक माध्यम है जिसके द्वारा भारत की धरोहर को संजोया जा सकता है।
कार्यक्रम में भाग लेने आए विभिन्न कलाकारों ने इसे देश के कलाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बतलाया। 2016 में पद्मश्री प्राप्त गुलाबो ने कहा कि कोरोना के कारण कलाकार लगभग पिछले 2 सालों से कला से दूर रहे हैं तथा उनके लिए रोजगार का संकट प्रारंभ हो गया था। जिसके चलते इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल कलाकारों को एक दूसरे से रूबरू करवा रहे है बल्कि कलाकारों के लिए फिर से रोजगार की व्यवस्था भी कर रहा है। जैसलमेर से पद्मश्री प्राप्त अनवर खान नग्यना ने कहा कि बीकानेर में कलाकारों के इस महाकुंभ में अलग-अलग वाद्य ,अलग-अलग वेशभूषा के साथ ही एक दूसरे की कला को पहचानने का यह एक मौका है ।उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन कलाकारों को प्रश्रय देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण प्रकाश शर्मा ने कहा कि रंग नगरी बीकानेर में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देशज का आयोजन देश की संस्कृति और समन्वय का सुंदर उदाहरण है ।इस प्रकार के कार्यक्रम जन-जन में एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं ।पारंपरिक कलाओं के पुनर्जीवन संबंधी प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन देश की वैविध्यपूर्ण एकता को प्रदर्शित करते हैं। उल्लेखनीय है कि तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान 15 राज्यों के 372 कलाकार 26 विधाओं में अपनी प्रस्तुतियां देंगे। बुधवार को प्रातः 11 बजे आयोजित होने वाले कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल मौजूद रहेंगे।
संगीत नाटक अकादमी के उपसचिव पी जोसेफ डी राज ने बताया कि मंगलवार को बाड़मेर के अनवर खान मांगणियार और जैसलमेर के महेश राम मेघवाल एवं दल ने राजस्थान के लोक नृत्य एवं लोक संगीत की प्रस्तुति दी। वहीं सिरमौर के शिवान्य सांस्कृतिक कला मंच ने हिमाचल प्रदेश के सिरमौरी नाटी, डिब्रूगढ़ के दुलाल मनकी एवं दल ने असम के झुमुर नृत्य, जयपुर की गुलाबो सपेरा और दल ने कालबेलिया नृत्य, हैदराबाद की सिंगिडी कल्चर ऑर्गेनाइजेशन ने तेलंगाना किए लमबाडी नृत्य, बदलापुर पूर्व के स्वप्नाजलि नृत्यालय ने महाराष्ट्र के कोली नृत्य, तंजावुर के एल जॉन पीटर एवं दल ने तमिलनाडु के थप्पट्टम की प्रस्तुति से दर्शकों की तालियां बटोरी। वहीं दोसा के अकरम खान एवं दल द्वारा बहरूपिया कला का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरोहित ने किया। कार्यक्रम में पर्यटन विभाग की उपनिदेशक भानु प्रताप सिंह तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक एलडी पवार, पुष्पेंद्र राठौड़, सीताराम कच्छावा, सुधा आचार्य, राजभारती शर्मा, पंकज शर्मा, विनोद भोजक भी मौजूद रहे।
बुधवार को होंगे यह कार्यक्रम
इसी प्रकार दूसरे दिन राजस्थान के मांड तथा सूफी गायन, कालबेलिया कच्ची घोड़ी और चकरी नृत्य की प्रस्तुतियां दी जाएगी। वहीं जम्मू कश्मीर के गोजरी लोक संगीत, कर्नाटक के सुग्गी कुनिथा, मध्य प्रदेश के बधाई, हरियाणा के फाग तथा गुजरात के गरबा नृत्य की प्रस्तुतियां लोक कलाकारों द्वारा की जाएगी।

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