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भारतीय महिला अस्तित्व पार्टी का गठन,बनायेंगे ‘घरमालकिन अधिनियम’

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महिलाओं की पार्टी – महिलाओं के द्वारा – महिलाओं के लिए


बीकानेर। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुश्री मंजु गुप्ता कछावा ने बताया कि विवाहित महिलाओं को झूठमूठ की घरमालकिन कहा जाता है किंतु वास्तव में महिला को घर में कोई मालिकाना अधिकार प्राप्त नहीं हैं. विवाहिताओं को छोटे मोटे घरेलू झगड़ों में भी अक्सर सुनने को मिलता है कि ‘ये तेरे बाप का घर नहीं है एक मिनट में निकाल देंगे वर्ना हम जैसे चाहें वैसे रह और हम जो कहें वैसा कर’ जैसी धमकियों से विवाहित महिलायें विशेषकर नवविवाहिताएँ सहमी हुई रहती हैं. देश की अदालतों में ढेरों मामले ऐसे चल रहे हैं जिनमें विवाहिताओं को घर से निकाल दिया गया है और वे वर्षों से मायके में या अलग-थलग मुश्किल जीवन जीने को बाध्य हैं. जबकि ज्यादातर मामले तो महिलायें पुलिस अथवा कोर्ट तक लाती ही नहीं हैं क्योंकि उन्हें न तो किसी का सपोर्ट मिलता है और न ही उनके पास वकील को देने के लिए पैसे होते हैं. वे घुटकर जीने के लिए मजबूर हैं. विवाह से महिलाओं का मायका तो छूट ही जाता है और पति का घर भी मात्र पति का ही घर रहता है पत्नी का नाम उसमें संयुक्त मालकिन के तौर पर नहीं चढ़ाया जाता. विवाह के बाद महिलाओं का पिछला जीवन खत्म कर उसे वहाँ से उजाड़कर उखाड़कर पति के घर लाया जाता है किंतु उसे पति के घर में ‘उसका अपना घर’ नहीं मिलता जबकि उसे बसाने की जिम्मेदारी उसी की ही है जो उसे पिछले घर से उजाड़कर उखाड़कर लाता है. यही मान लिया जाता है कि पत्नी का काम ही सुबह सबसे पहले उठकर सबके लिए चाय-नाश्ता बनाना, झाड़ू-पोंछा, बर्तन माँझना, खाना बनाना, सबके कपड़े धोना, पति और उसके परिवार-रिश्तेदारों की सेवा करना, पति की मर्जी से रहना, बच्चे पैदा करना, बच्चे पालना यही सब काम हैं और यही काम कराने के लिए ही विवाह किया जाता है. इन कामों से पत्नी को न कोई छुट्टी मिलती है और न कोई वेतन. वर्ष के बारहों महीने और दिन के चौबीसों घंटे विवाहिता इन्हीं कामों में जुटी रहती है और एक गलती होने पर उसे अपमानित कर दिया जाता है ताने-गालियाँ और घर से निकाल देने की धमकियाँ मिलती हैं. इसी प्रकार डराकर महिलाओं से करवाचौथ कराकर भूखी रखकर पति परमेश्वर के चरण छुआये जाते हैं और महिलाएँ इसी डर के कारण पति की पूजा के इर्दगिर्द रच दिये गए उपवासों में लगी रहेगी है कि पति नाराज़ न हो जाये घर से न निकाल दे. समाज भी पुरुष प्रधान है और महिलाओं को ही दोषी ठहराता है कि पति जैसा रखे वैसी एडजस्ट करके रह अन्यथा महिला को कुलटा कहा जाता है. यहाँ तक कि नौकरीपेशा महिलाओं की कमाई भी पति की ही मान ली जाती है. लड़कियाँ कितनी भी पढ़ लिख जाएँ किसी भी पोस्ट पर नौकरी में लगी हों किन्तु विवाह होते ही उसकी कमाई पति की हो जाती है. विवाह से महिला का नाम उपनाम पहचान तक बदल दिया जाता है और कमाई छीनकर उसका अस्तित्व ही मिटा दिया जाता है. जबकि संविधान में स्त्री-पुरुष का भेदभाव करना अपराध माना गया है सभी को समान मानव अधिकार और समान नागरिक अधिकार लिखे गए हैं. कानून में भी पति के घर को ‘मेट्रीमोनियल होम’ के तौर पर लिखा गया है जिसमें पत्नी का भी अधिकार है किंतु वास्तव में ऐसा होता नहीं है. महिलाओं की ऐसी ही समस्याओं को उठाने और उनके संवैधानिक मानवीय व नागरिक अधिकारों को लागू कराने के उद्देश्य से ‘अनामिका महिला अस्तित्व जागृति फॉउंडेशन’ की राजनीतिक इकाई ‘भारतीय महिला अस्तित्व पार्टी’ का गठन किया गया है. इस हेतु पूर्व में ही 21 फरवरी को पार्टी की मातृ-सँस्था अनामिका महिला अस्तित्व जागृति फॉउंडेशन की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय में ‘घरमालकिन अधिनियम’ का ड्राफ्ट सौंपकर माननीय प्रधानमंत्री जी से इसे पारित करने का निवेदन किया गया है तथा इस अधिनियम के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है. डॉ. सुश्री मंजु गुप्ता कछावा पार्टी की संस्थापक तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. कार्यकारिणी में सुश्री संगम रोहिल्ला राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष (संगठन) व प्रवक्ता, सुश्री शिप्रा शंकर राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष (कार्यक्रम) व प्रवक्ता, सुश्री मोना सक्सेना राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष (पूर्वी भारत संगठन), सुश्री सुनीता सक्सेना राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष (पश्चिमी भारत संगठन), सुश्री ऋतु मित्तल राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष (उत्तरी भारत संगठन) व प्रवक्ता, सुश्री नीतू पारीक राज्य कार्याध्यक्ष (कार्यक्रम) व प्रवक्ता, सुश्री शिल्पा कोचर राज्य कार्याध्यक्ष (संगठन) व प्रवक्ता, सुश्री शशि किरण बिठू राज्य कार्याध्यक्ष (उत्तरी राजस्थान संगठन), सुश्री निर्मला दुग्गल राष्ट्रीय कार्यसचिव (कार्यक्रम) व प्रवक्ता, सुश्री प्रेमलता राष्ट्रीय कार्यसचिव संगठन व प्रवक्ता, एडवोकेट सुश्री वीणा खड़गावत राष्ट्रीय कार्यसचिव (विधिक सेल) व प्रवक्ता, सुश्री ललिता कालरा राष्ट्रीय कार्यकारी कोषाध्यक्ष (संगठन), सुश्री अर्चना सक्सेना राज्य संयोजक राजस्थान (कार्यक्रम), सुश्री नीलम बंसल राज्य संयोजक राजस्थान (संगठन) व प्रवक्ता, एडवोकेट सुश्री कल्पना राजपूत राज्य संयोजक महाराष्ट्र, सुश्री अनुभा राज्य संयोजक दिल्ली प्रदेश, सुश्री सुनीता जौहरी राज्य संयोजक (संगठन) उत्तरप्रदेश, सुश्री अनुप्रिया गुप्ता राज्य संयोजक (कार्यक्रम) उत्तरप्रदेश, एडवोकेट सुश्री शालिनी सिंह राज्य कार्यसचिव उत्तरप्रदेश, सुश्री शशि गुप्ता राष्ट्रीय उप-कार्याध्यक्ष (संगठन), सुश्री रजनी कालरा राष्ट्रीय उप-कार्याध्यक्ष (पूर्वी भारत संगठन), सुश्री रजनी मेहता राष्ट्रीय उप-कार्याध्यक्ष (पश्चिमी भारत संगठन), सुश्री भानु आनंद राष्ट्रीय उप-कार्यसचिव (उत्तरी भारत संगठन), सुश्री रेखा मोदी उप-कार्यसचिव (कार्यक्रम), सुश्री देवयानी स्याणी राष्ट्रीय उप-कार्यसचिव (कार्यक्रम) व प्रवक्ता, सुश्री नेहा खेसवानी राष्ट्रीय उप-कार्यसचिव (संगठन), सुश्री पिंकी जैन राष्ट्रीय उप-कार्यसचिव (पश्चिमी भारत संगठन) व प्रवक्ता, सुश्री डा दृष्टि एम मेहता राष्ट्रीय उप-कार्यसचिव (पूर्वी भारत संगठन), सुश्री प्रिया पंवार राज्य उप-कार्याध्यक्ष (कार्यक्रम) व प्रवक्ता, सुश्री रतन गुप्ता राज्य उप-कार्याध्यक्ष (पश्चिमी राजस्थान संगठन), सुश्री रीता तनेजा राज्य कोषाध्यक्ष (संगठन), सुश्री ज्योति झांब राज्य कार्यसचिव (संगठन) व प्रवक्ता, सुश्री राशि बिहानी राज्य कार्यसचिव (कार्यक्रम) व प्रवक्ता, सुश्री कल्पना श्रीवास्तव राज्य कार्यसचिव (पूर्वी राजस्थान संगठन), सुश्री मधु शर्मा राज्य कार्यसचिव (पश्चिमी राजस्थान संगठन), सुश्री उषा अरोरा राज्य कार्यसचिव (उत्तरी राजस्थान संगठन), सुश्री सरस्वती भार्गव राज्य उप-कार्यसचिव (पूर्वी राजस्थान संगठन) के पद पर हैं.

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