बीकानेर। भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के 61वें अधिवेशन का शुम्भारंभ आज 17 अक्टूबर को विश्वविद्यालय के संत मीरा बाई सभागार में हुआ। अधिवेशन का शुभारंभ भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. गीताजंलि दास, कुलपति बहरमपुर विश्वविद्यालय, ओडिशा, महासचिव प्रो. संजीव कुमार शर्मा, पूर्व कुलपति महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,मोतीहारी बिहार, प्रो. एच पी शाही, मगध विश्वविद्यालय, बिहार , विश्वविद्यालय कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अधिवेशन के प्रथम दिन आज भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार एवं भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला के प्रारंभ में भारतीय राजनीति विज्ञान के महासचिव प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने देश-विेदेश से पधारे शिक्षाविद्ों को स्वागत करते हुए विषय प्रवर्तन किया। उन्होंनें राजनीति विज्ञान परिषद के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिषद का यह 61वां सम्मेलन बीकानेर में प्रथम बार आयोजित हो रहा है। उन्होंनें कहा कि यह अधिवेशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसमें 40 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की सहभागिता हो रही है उन्होंने कहा कि परिषद अपनी स्थापना के 87वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। परिषद में विभिन्न वर्गो और समुदायों के प्रतिनिधित्व के साथ-साथ निरंतर गुणात्मक रूप से शैक्षणिक क्रिया-कलापों, शोधा पत्रिकाओं का प्रकाशन निरंतर रूप से किया जा रहा है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. गीताजंलि दास, कुलपति बहरमपुर विश्वविद्यालय, ओडिशा ने भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विषय शिक्षा नवाचार और सतत विकास के बारे में संपूर्ण ज्ञान देता है। वर्तमान पीढ़ी को जागृत करने के लिए भारत की समृद्ध संस्कृति, दर्शन और नैतिकता से परिचित करना आवश्यक है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होनें युवा शोधार्थियों का आह्वान किया कि इस कार्यशाला में संवाद, सहयोग और सीखने की ललक की भावना के साथ अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने मेजबान होने के नाते प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा के बारे में सदन को अवगत करवाया। उन्होनें कहा कि बीकानेर अपनी मेहमाननवाजी एवं समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को लेकर एक अलग पहचान रखता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा पूरा प्रयास किया गया कि शैक्षणिक संवाद के साथ-साथ आये हुए प्रतिभागियों बीकानेर की इस अनूठी परंपराओं से भी परिचित हुए । उन्होनें भारतीय ज्ञान परंपरा एवं आध्यात्मिक अंर्तदृष्टि के संदर्भ में अपनी बात रखी और कहा कि हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसका समावेश किया गया हैं। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में बीज वक्ता के रूप में डाॅ. विनायक रजत भाट, चाणक्य विश्वविद्यालय, बेग्लूरू ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र विषय के विभिन्न पहलूओ यथाा शास्त्र, अर्थ एवं अर्थशास्त्र के 15 अधिकरण पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अपनी बात रखीं। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. मेघना शर्मा ने किया। स्थानीय आयोजन सचिव डाॅ. धर्मेश हरवानी ने बताया कि प्रथम दिन आज करीब 600 प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण करवाकर कार्यशाला में भाग लिया।
विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी डाॅ.बिट्ठल बिस्सा ने बताया कि अधिवेशन के दूसरे दिन प्रातः 10 बजे विकसित भारत -2047 पर अंर्तराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुंभारभ होगा। जिसमें प्रो. ए.पी पाढ़ी पूर्व कुलपति एवं पूर्व अध्यक्ष भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद द्वारा मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दिया जाएगा साथ ही अलग-अलग सत्रों में विकसित भारत के विभिन्न पहलूओ पर पैनल चर्चा आयोजित होगी एवं इप्सा के राष्ट्रीय पुरस्कारों का वितरण एवं स्मारिका ’’मरू गंगा’’ का विमोचन भी किया जाएगा। प्रतिभागियों के सम्मान में बीकानेर की कला-संस्कृति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं कान्क्लेव का भी आयोजन होगा।
Add Comment