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कविता: Advocate Dr. Veena Soni

🌸 “माँ – एक एहसास” 🌸
माँ कोई शब्द नहीं, एहसास है,
हर दर्द की मीठी सी मिठास है।
जिसने खुद को भुला दिया उम्र भर,
हमारी हँसी को बनाया अपना राज़ है।
न सोई कभी वो चैन की नींद,
जब तक हम न आ जाएँ घर की छाँव में।
हर साँस में बस हमारा नाम,
हर दुआ में रखे हमें भगवान के पाँव में।
वो पहली गुरू, वो पहला पाठ,
हर हार में दे जाती है हमें साथ।
जब दुनिया से ठोकर खाओ,
माँ की गोद सबसे बड़ी राहत का हाथ।
उसकी उँगलियों में जादू है,
जो माथे पर फेर दे, तो जख्म भी मुस्कुराएँ।
वो खामोश रह कर भी सब समझे,
माँ की ममता को शब्द कैसे बताएँ?
माँ तेरी तुलना किससे करूँ,
तू तो खुद एक पूरी सृष्टि है।
मातृ दिवस क्या, हर दिन तेरा है,
तेरे बिना तो बस शून्यता ही दृष्टि है।
माँ के बिना, कुछ भी पूरा नही होता

“माँ सिर्फ जन्म नहीं देती,
वो तो ज़िंदगी जीना सिखाती है — बिना किसी शर्त के।

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