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वेव्स समिट: जो मेरी आंखों ने देखा – एक विश्लेषण , देश के युवाओं के लिए नई पहल, नेटफ्लिक्स और अमेजन का होगा राज खत्म, वेव्स की शक्ति में बहेंगे सब…

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वेव्स समिट: जो मेरी आंखों ने देखा – एक विश्लेषण
देश के युवाओं के लिए नई पहल, नेटफ्लिक्स और अमेजन का होगा राज खत्म, वेव्स की शक्ति में बहेंगे सब…


Report by Dr. Mudita Popli


देश में पहली बार आयोजित ‘वेव्स समिट’ महज एक इवेंट नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक क्रांति का प्रारंभ था, जिसकी गूंज आने वाले वर्षों तक सुनाई देगी। यह समिट न केवल टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स के इर्द-गिर्द घूमी, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि भारत का युवा वर्ग अब सिर्फ कंटेंट उपभोग करने वाला नहीं, बल्कि कंटेंट निर्माता बनने के रास्ते पर अग्रसर है।
इस समिट में “वेव्स” नामक जिस डिजिटल प्लेटफॉर्म का लोकार्पण हुआ, वह भारत में ओटीटी स्पेस का नया चेहरा बनने जा रहा है। जहां आज नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और डिज़्नी+ हॉटस्टार जैसे बड़े विदेशी मंचों का दबदबा है, वहीं वेव्स ने ‘भारतीयता, स्थानीयता और नवाचार’ के संगम से एक सशक्त विकल्प प्रस्तुत किया।
मेरी आंखों ने इस समिट में जो देखा, वो भारतीय युवाओं की ऊर्जा, जिज्ञासा और आत्मनिर्भरता का प्रतिबिंब था।
मुकेश अंबानी , नीता अंबानी, शाहरुख खान,आमिर खान, सैफ अली खान, करीना कपूर, श्रेया घोषाल, शंकर महादेवन, सोनू निगम, शरद केलकर, हेमा मालिनी, मिथुन, रजनीकांत, दक्षिण के सुपर स्टार चिरंजीवी, अल्लू अर्जुन , मोहनलाल, राजामौली, ए आर रहमान, आलिया भट्ट, अनिल कपूर, करण जौहर से लेकर 100 से अधिक देशों के एम्बेसडर, एंट्रपेन्यूर का जमावड़ा तथा मंच पर युवा इनोवेटर्स, कंटेंट क्रिएटर्स, फिल्ममेकर्स और स्टार्टअप फाउंडर्स का जमावड़ा था, जो न केवल अपने विचार साझा कर रहे थे, बल्कि इस परिवर्तन का हिस्सा भी बन चुके थे।
वेव्स का मकसद है — देश के कोने-कोने से टैलेंट को मंच देना, चाहे वह किसी ग्रामीण इलाके की लोकगाथा हो या किसी शहरी युवा की टेक-शॉर्ट फिल्म। इस मंच पर हर कहानी को जगह मिलेगी, जो अब तक दब कर रह गई थी। आइए अब जानते हैं क्यों खत्म होगा नेटफ्लिक्स-अमेजन का राज? अब वेव्स द्वारा स्थानीय भाषाओं पर ज़ोर दिया जाएगा। क्योंकि वेव्स सिर्फ हिंदी या अंग्रेज़ी नहीं, बल्कि भारत की दर्जनों भाषाओं में कंटेंट को प्रमोट करेगा।
विदेशी प्लेटफॉर्म्स की तुलना में यह अधिक किफायती होगा, जिससे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के दर्शकों तक पहुंच बनाना आसान होगा।
साथ ही लोकल टैलेंट को प्राथमिकता मिलेगी।अब दिल्ली, मुंबई के बड़े स्टूडियो नहीं, बल्कि बाड़मेर, सिवनी, सिलीगुड़ी से भी कहानियां दुनिया तक पहुंच सकेंगी।
वेव्स ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब कंटेंट की दुनिया में भी लोकतंत्र आएगा। अब वही लोकप्रिय नहीं होगा जो बड़ा बजट खर्च करे, बल्कि वही कंटेंट सराहा जाएगा जो ईमानदार, जमीनी और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ होगा।
वेव्स समिट में मैंने एक नए युग की आहट सुनी एक ऐसा युग जहां भारतीय युवा टेक्नोलॉजी के माध्यम से अपनी संस्कृति, विचार और रचनात्मकता को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करेगा।

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