बीकानेर । राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) के संयुक्त तत्वाधान में 100 महिलाओं के साथ सुरक्षा सखी के गठन और योजना समन्वयक को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । पंचायत समिति में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य महिलाओं-बच्चियों की सुरक्षा, उन्हें अधिकारों और कानून के प्रति जागरूक करने के साथ साथ उनकी समस्याओं के समाधान के संबंध में स्थानीय पुलिस से संवाद स्थापित करने और जिले के थानों में “सुरक्षा सखी” समूह के गठन को लेकर रहा ।
सुरक्षा सखी की सदस्यता हर किसी महिला के लिए खुली होगी, जिसमें कोई भी इच्छुक महिला/बालिका शामिल हो सकती है। इसके लिए शर्त ये है कि सुरक्षा सखी के सदस्यों का आपराधिक रिकाॅर्ड नहीं होगा। इस मौके पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट इंचार्ज सुमन जयपाल मैडम ने बताया कि राजस्थान पुलिस की ओर से “सुरक्षा सखी” के रूप में एक पहल की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत प्रदेश के प्रत्येक थाना क्षेत्र में महिलाओं एवं नाबालिग बच्चियों से संबंधित समस्या अथवा उनसे जुड़े अपराधाें की रोकथाम पर सकारात्मक संवाद स्थापित करने के लिए “सुरक्षा सखी” का गठन किया जाएगा । नाबार्ड डीडीएम रमेश तांम्बिया ने बताया कि सुरक्षा सखी’ का गठन और योजना का क्रियान्वयन के अंतर्गत सुरक्षा सखी के सदस्य संबंधित थाना क्षेत्र के निवासी ही होंगे। आयु सीमा 15 साल से लेकर 70 साल के बीच होगी। इसमें सबसे अहम बात ये है कि सुरक्षा सखी के सदस्यों का न ताे काेई आपराधिक रिकाॅर्ड हो और न ही वे किसी प्रकार की संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हाेने चाहिए। सुरक्षा सखी में सभी जाति, धर्म, वर्ग और समुदाय की महिलाओं एवं बालिकाओं को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। सभी सरकारी/गैर सरकारी संगठन जैसे-आशा सहयोगिनी, एएनएम, जीएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सामाजिक संगठन एवं विभिन्न सरकारी विभागों की महिलाकर्मी जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, सामुदायिक विभाग, बिजली, जलदाय एवं राजस्व आदि से जुड़ी महिलाकर्मियाें को भी सुरक्षा सखी के रूप में आमंत्रित किया जा सकेगा। इसके साथ ही महिला शक्ति आत्मरक्षा केन्द्र योजना के तहत प्रशिक्षित बच्चियों/महिलाओं को भी सुरक्षा सखी के रूप में आमंत्रित किया जा सकेगा । इस कार्यशाला में आई कई महिलाओं ने आकाशवाणी दूरदर्शन को बताया कि सुरक्षा सखी ना केवल एक संगठन है बल्कि महिला सशक्तिकरण और उसके अधिकारों की दिशा में उठाया गया कदम है जो महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने में अपनी महती भूमिका निभाता है ।

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