भक्ति और सूफी का होगा संगम,तीन बार के ग्रेमी अवार्ड विजेता रिकी केज होंगे मुख्य आकर्षण
बीकानेर, 25 सितंबर। दूर तक फैले रेगिस्तान के सन्नाटे को चीरते हुए हवा के झौंकों के साथ कबीर की वाणी के समवेत स्वर कानों को सुकून देने के लिए तैयार है। धोरों की यह धरा सूफियाना अंदाज, निर्गुण भजन और संतों की औजस्वी वाणी से गूंज उठेगी। अवसर होगा ‘कबीर यात्रा’ का। यह कबीरमय कार्यक्रम प्रदेश में 1 से 6 अक्टूबर तक चलेगा। इस बार यात्रा में खास होगा, तीन बार के ग्रैमी अवार्ड विजेता संगीतकार रिकी केज का होना। कबीर यात्रा बीकानेर अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों के वासिंदों को कबीर की वाणी और उनके संदेशों से रूबरू कराएगी।
मरुप्रदेश से जुड़ी है जड़ें : रिकी केज
पर्यावरण का संदेश, सांस्कृतिक धरोहरों को संगीत के स्वरों में पिरोकर उनके संरक्षण की बात को बेहद मजबूती के साथ उठाने के लिए विश्वविख्यात कलाकार रिकी केज मानते है कि उनकी जड़ें भी राजस्थान से जुड़ी हैं। इस बार बीकानेर आने वाली कबीर यात्रा का हिस्सा बन रहे रिकी केज इस अनोखे उत्सव को लेकर खासे उत्साहित हैं। बकौल रिकी “मैं मानता हूँ कि ग्रामीण भारत की पारंपरिक संगीत परंपराओं को बढ़ावा देना और संरक्षित करना एक अद्भुत विचार है। खासकर गांवों में जाकर वहां के पारंपरिक संगीत का हिस्सा बनना एक बेहद दिलचस्प अनुभव होगा।’
वर्ष 2012 में शुरू हुआ था सफर
लोकायन संस्थान की ओर से राजस्थान कबीर यात्रा का सफर वर्ष 2012 में शुरू किया गया था। यह राजस्थान पुलिस और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आज भारत के प्रमुख लोक संगीत महोत्सवों में से एक बन चुकी है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य संत कबीर, मीरा, बुल्ले शाह और शाह लतीफ सरीखे महान संतों और कवियों की शिक्षा और उनके संदेशों को जन-जन तक पहुंचाना है।
प्रदेश में आध्यात्म की एक बेजोड़ परंपरा…
राजस्थान कबीर यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान के अनुसार राजस्थान में लोक संगीत और आध्यात्म की एक बेजोड़ परंपरा है। इसमें लोक महज मनोरंजन नहीं तलाशता बल्कि उस संगीत में एक गहरे दर्शन का भी इशारा है। सत्संग यानी ‘सत्य के साधकों’ की संगत। जहां सभी एक साथ कबीर और मीरा को गाते हैं। चौक- चौबारों पर गाए जाने वाली ये वाणियां अपने आप में सामूहिकता को समेटे हुए हैं, यह पूरा विचार ही लोक की समृद्ध परम्परा का जश्न है। ऐसे स्थान सभी प्रकार की लोक गायन धाराओं के सुंदर संगम है। यह भेदभाव से हटकर सभी समुदायों को एक साथ जोड़ते हैं और जाति-धर्म की सीमाओं को भी तोड़ते हैं। इन वाणियों के माध्यम से हम लोक की समृद्ध अभिव्यक्ति को समझने की कोशिश करते है, क्योंकि इन गीतों से निकलने वाले संदेश महत्वपूर्ण है।
सभी पंथों का सार मानवता है : जिला कलेक्टर
राजस्थान कबीर यात्रा के संबंध में जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से, विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ आते हैं और संतों की वाणी में समाहित इस संदेश को आत्मसात करते हैं। यात्रा का उद्देश्य न केवल संगीत का आनंद लेना है, बल्कि इस विचार को प्रसारित करना है कि सभी धर्मों और पंथों का सार एक ही है—प्रेम, शांति, और मानवता।”
आध्यात्मिक अनुभव भी है राजस्थान कबीर यात्रा
एक संगीतमय उत्सव होने के साथ-साथ राजस्थान कबीर यात्रा एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव भी है। यात्रा के दौरान आयोजित होने वाले सत्संग, जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभागी न केवल संगीत का आनंद लेते हैं, बल्कि संत कवियों के गहरे आध्यात्मिक संदेशों को भी समझते हैं। इस महोत्सव में शामिल होने वाले कलाकार लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत, और सूफी गायन के माध्यम से श्रोताओं को भक्ति और सूफीवाद की गहराइयों में ले जाते हैं। राजस्थान कबीर यात्रा का संदेश स्पष्ट है, सभी बाधाओं को पार कर प्रेम, शांति और एकता की स्थापना करना। यह यात्रा हमें संतों की वाणी में छिपे गहरे अर्थों को समझने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का अवसर देती है। यह महोत्सव हमें एक ऐसे समाज की दिशा में अग्रसर करता है, जहां प्रेम और शांति की धारा बहती है।
यहां गूंजेगी वाणी…
इस बार बीकानेर जिला प्रशासन के सहयोग से मलंग फोक फाउंडेशन के तत्वावधान में राजस्थान कबीर यात्रा का आयोजन 1 से 6 अक्टूबर तक बीकानेर और आस पास के ग्रामीण अंचलों में होगा। इसमें मुख्य रूप से सीलवा, पूगल, श्रीकोलायत, कक्कू और देशनोक में होगा । यह यात्रा राजस्थान के बीकानेर के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी। यह यात्रा के दौरान, स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से संत कवियों की वाणी को जीवंत करेंगे।
यह कलाकार देंगे प्रस्तुतियां
यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान ने बताया कि लोकसंगीत के कलाकारों में पद्मश्री प्रह्लाद सिंह टिपानिया, महेशा राम जी, मूरालाला मारवाड़ा, लक्ष्मण दास, पद्मश्री कालूराम बामनिया, अरुण गोयल, भल्लू राम, सुमित्रा देवी, मीरा बाई, मांगी बाई, मीर बासु, मीर रज़ाक, अरुण गोयल, सकूर खान, पद्मश्रीअनवर खान, पद्मश्री भारती बंधु, चार यार, कबीर कैफे, फेरो फ्लूइड, हमीरा किड्स के अलावा श्रुति विश्वनाथ भी संतों की वाणियां गाने के लिए आ रहे हैं।
एक अक्टूबर को पदम स्मारक में होगा कबीर यात्रा का विशेष कार्यक्रम
इस अवसर पर पदम स्मारक पर भव्य कबीर भक्ति संध्या का आयोजन रखा गया है। जिसमें मालवा के प्रसिद्ध लोक गायक पद्मश्री प्रह्लाद सिंह टिपानिया, कच्छ से मूरालाला मारवाड़ा, बंगाल से लक्ष्मण दास बाउल के अलावा बीकानेर के शिवजी एवं बद्री सुथार एवं गवरा देवी भी अपनी प्रस्तुतियां देंगे।
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