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राजस्थान में पहली बार मंत्रिमंडल में इतनी देरी!:वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे दिग्गजों की धड़कनें बढ़ीं; ब्यूरोक्रेसी पर भी दबाव नहीं

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राजस्थान में पहली बार मंत्रिमंडल में इतनी देरी!:वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे दिग्गजों की धड़कनें बढ़ीं; ब्यूरोक्रेसी पर भी दबाव नहीं

जयपुर

राजस्थान में भाजपा की जीत के 25 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब भी सरकार की तस्वीर अधूरी है। मुख्यमंत्री भजनलाल की टीम के सिर्फ 2 चेहरे सामने आए हैं…उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा। मंत्रिमंडल के बाकी नामों पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संभवत: राजस्थान में ये पहला मामला है, जब चुनाव परिणाम में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने के 25 दिन बाद तक मंत्रिमंडल विस्तार न हुआ हो।

इससे पहले अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे जब भी मुख्यमंत्री बने, इन्होंने जल्दी टीम गठित कर ली और बड़े डिसीजन भी लेने शुरू कर दिए थे।

लगभग 30 दिन के भीतर गहलोत और राजे ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक तक कर ली थी। इस बार अब तक मंत्रिमंडल का गठन ही नहीं हुआ है।

राजस्थान की पिछली तीन सरकारों का एनालिसिस किया और जाना कि उस समय सीएम की घोषणा और मंत्रिमंडल गठन में कितना समय लगा था।

साथ ही ये भी समझने की कोशिश की कि इस देरी की वजह से जनता को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

30 दिन के भीतर गहलोत और राजे ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक तक कर ली थी, जबकि इस बार 25 दिन में मंत्रिमंडल का ही गठन नहीं हुआ है।

30 दिन के भीतर गहलोत और राजे ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक तक कर ली थी, जबकि इस बार 25 दिन में मंत्रिमंडल का ही गठन नहीं हुआ है।

2018 : वृद्धावस्था पेंशन योजना सहित कई बड़े फैसले

पिछली अशोक गहलोत सरकार की बात करें तो चुनाव परिणाम से लेकर मंत्रियों की शपथ और पोर्टफोलियो (विभाग आवंटन) देने में 15 दिन लग गए थे। उस समय गहलोत-पायलट में किसी 1 को CM चुनना था और कांग्रेस ने 3 दिन में वो फैसला कर लिया था।

  • गहलोत ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में पंचायती राज एवं स्थानीय निकाय चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता खत्म कर दी।
  • कांग्रेस मेनिफेस्टो को रखा और उसे सरकार डॉक्यूमेंट बनाकर अधिकारियों को टारगेट दे दिए गए थे।
  • बैठक में वसुंधरा राजे सरकार ने कांग्रेस की जिन योजनाओं को बंद किया था उसको फिर से शुरू करने का फैसला भी किया गया।
  • स्थानीय निकायों में मेयर, सभापति और चेयरमैन के चयन के लिए सीधे चुनाव करवाने का भी निर्णय किया।
  • पहली कैबिनेट में वृद्धावस्था पेंशन योजना को 500 से बढ़ाकर 750 रुपए और 750 की कैटेगरी को बढ़ाकर 1000 कर दिया।
  • संविदा कर्मियों को स्थाई नियुक्ति देने के लिए कमेटी का गठन किया। किसान ऋण माफी के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कमेटी बनाई।
  • सभी मंत्रियों के लिए सुबह 9:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक अपने घरों पर जनसुनवाई का भी निर्णय किया।

2013 : 3 दिन में वसुंधरा राजे ने ली थी CM पद की शपथ

मुख्यमंत्री पद के लिए कोई विवाद नहीं था और वसुंधरा राजे ने 13 दिसम्बर को मंत्री पद की शपथ ली। 20 दिसंबर को मंत्रियों की शपथ के बाद 3 जनवरी को पहली कैबिनेट बैठक हुई।

  • वसुंधरा सरकार के शुरुआती फैसलों में यात्रा के दौरान CM प्रोटोकॉल खत्म किया गया। इसके बाद राजे का काफिला हर रेड लाइट पर रुकता हुआ जाता था।
  • विधायकों को कोई गनमैन नहीं मिलेंगे। आपातकाल के दौरान जेलों में बंद रहे मीसा बंदियों और उनकी विधवाओं की पेंशन वापस चालू की, जो पिछली सरकार ने रुकवा दी थी।
  • आरटेट की मेरिट के हिसाब से तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का प्रस्ताव। फैसला लिया गया कि कैबिनेट बैठक अलग-अलग संभागों में होगी।
  • पिछली सरकार के निर्णयों के खिलाफ बदले की भावना से कार्यवाही नहीं होगी। जांच के लिए कोई आयोग या समिति का गठन नहीं होगा।

2008 : रात 8 बजे तक शराब की दुकानें बंद करने के आदेश

  • 2008 में गहलोत ने शुरुआती 1 महीने में शराब की दुकानें रात 8 बजे तक बंद करने के आदेश दिए।
  • भू-रूपांतरण की धारा 90 बी को लेकर वसुंधरा सरकार निशाने पर आई थी। गहलोत ने 90 बी समाप्त करने की घोषणा की।
  • निजी स्कूलों की बढ़ी हुई फीस का मुद्दा बना। सरकार ने बढ़ी फीस वापसी के लिए निर्देश जारी किए।

भजनलाल सरकार : पलटने शुरू हो गए फैसले, लेकिन राहत का इंतजार

भजनलाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछली गहलोत सरकार के दो फैसलों को पलट दिया गया और पेपरलीक व गैंगस्टरों के खिलाफ SIT का भी गठन कर दिया, लेकिन जनता को भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए वादों के तहत इन राहतों का इंतजार है…

  • किसानों की जमीन नीलाम न हो, नोटिफिकेशन लाकर व्यवस्था होगी। PM किसान सम्मान निधि के तहत किसानों अब 12000 प्रतिवर्ष। MSP के ऊपर बोनस प्रदान करके 2700 प्रति क्विंटल पर गेहूं खरीद।
  • सरकारी नौकरियों के रास्ते खुलेंगे। पांच साल में ढाई लाख नौकरियों का वादा।
  • शिक्षक भर्ती में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण। बच्चियों को KG से लेकर PG तक मुफ्त शिक्षा। 12वीं पास करने पर मेधावी छात्राओं को स्कूटी
  • PM उज्जवला योजना की सभी महिलाओं को ₹450 प्रति सिलेंडर सब्सिडी दी जाएगी।
  • लाडो प्रोत्साहन योजना के तहत बच्ची के जन्म पर 2 लाख के सेविंग बॉन्ड से वित्तीय सहायता, 21 साल की उम्र तक यह पैसा दिया जाएगा।
  • लखपति दीदी योजना के अंतर्गत 6 लाख से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं की वार्षिय आय 1 लाख रुपए से अधिक की जाएगी।
  • श्वेत पत्र लाकर गहलोत सरकार में हुए सभी भ्रष्टाचार के मामलों में छुपाई गई करोड़ों की संपत्ति एवं सोना, बिजली विभाग घोटाला, पुलिस भ्रष्टाचार आदि का खुलासा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
  • हर संभाग में IIT की तर्ज पर इंस्टीट्यूट स्थापित करेंगे।
  • हर संभाग में एम्स की तर्ज पर राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की स्थापना।
सीएम भजनलाल शर्मा ने शपथ लेने के कुछ घंटों बाद ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पेपर लीक मामले में SIT के गठन का फैसला किया था।

सीएम भजनलाल शर्मा ने शपथ लेने के कुछ घंटों बाद ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पेपर लीक मामले में SIT के गठन का फैसला किया था।

देरी का नुकसान : ब्यूरोक्रेसी पर काम का कोई दबाव नहीं

एक्सपट्‌र्स का कहना है कि सरकार बनने के बाद हमेशा देखा गया है कि ब्यूरोक्रेसी पर काम और परफॉर्मेंस का दबाव बढ़ जाता है, लेकिन इस बार ब्यूरोक्रेसी बिलकुल फ्री नजर आ रही है। सरकार तक पहुंचने वाली फाइलों का सफर भी अधिकारियों की टेबलों पर रुका हुआ है। पुलिस व प्रशासन फिलहाल CM व दो डिप्टी CM के दौरों को लेकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने तक सीमित हो गया है। हालांकि विधायक जरूर सरकारी अधिकारियों को लेकर कोई न कोई विवादित बयान लगातार दे रहे हैं।

18 से 22 विधायकों को दिलाई जा सकती है शपथ

कभी राजे टीम में रहे सदस्यों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तरह नए चेहरों को मंत्रियों के चयन में अधिक मौका दिया गया तो उनका भविष्य क्या होगा। सूत्रों के अनुसार 18 से 22 विधायकों का मंत्रिमंडल के लिए चयन होगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार 70 फीसदी नए चेहरे शामिल किए जाएंगे। इससे वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहे नेताओं की टेंशन बढ़ गई है।

एक्सपर्ट कमेंट : जनता को चुभती है ऐसी देरी

राजनीतिक विश्लेषक नारायण बारेठ का कहना है कि ऐसा याद नहीं आता कि पहले कभी किसी पार्टी को बहुमत मिलने के बाद सरकार गठन करने में 25- दिन लग गए हों। राजस्थान में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है। केंद्र में पार्टी की स्थिति भी मजबूत है। फिर इतने दिन तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं होना जनता को चुभता है। इतने इंतजार से जनता में उत्साहीनता की भावना पैदा हो जाती है।

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