रालोद NDA में शामिल:अमित शाह और नड्डा से मिले जयंत चौधरी; BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले- दिल से स्वागत
लखनऊ

जयंत चौधरी ने शनिवार को अमित शाह और जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की।
जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल शनिवार देर रात NDA में शामिल हो गई। जयंत ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद इसका ऐलान किया।
शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा- उनके NDA में आने से किसान, गरीब के उत्थान के हमारे संकल्प को और बल मिलेगा।
जयंत ने आठ दिन पहले उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एनडीए में शामिल होने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था- ‘सब समय आने पर पता लग जाएगा। जल्द एनडीए से गठबंधन की घोषणा होगी।’
आखिर क्यों NDA में गए जयंत
सूत्रों की मानें, तो सपा ने जयंत चौधरी के सामने सीट बंटवारे का जो फार्मूला रखा था, वह उससे सहमत नहीं थे। इसलिए NDA के साथ जाने का फैसला किया। हालांकि सपा ने रालोद को 7 सीटें देने की बात कही थी। सपा ने RLD को जो सात सीटें देने का वादा किया था, उनमें मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, मथुरा, हाथरस, बागपत, बिजनौर और अमरोहा में से एक सीट शामिल थी।
इसके साथ ही सपा ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था। यह बात जयंत चौधरी की नाराजगी की बड़ी वजह बन गई। इसके अलावा सपा ने जयंत को 4 सीटों कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और मेरठ के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची थमा दी थी। यानी इन सीटों पर सिंबल तो RLD का रहता, लेकिन प्रत्याशी सपा के होते। यह बात जयंत चौधरी को मंजूर नहीं थी। इसके चलते ही वह अखिलेश यादव से नाराज हो गए थे।
भाजपा ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर अपने पाले में किया
भाजपा ने पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर जयंत और उनके पूरे परिवार का सपना पूरा कर दिया। इसके अलावा भाजपा ने RLD को बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट, एक राज्यसभा सीट और यूपी सरकार में मंत्री पद देने की भी पेशकश की।
अब भाजपा को मिल सकते हैं जाट वोट
यही वजह है कि जयंत को भाजपा की डील अच्छी लगी और आज उनकी पार्टी NDA में शामिल हो गई। दरअसल, वेस्ट यूपी में जाट समुदाय का करीब 17% वोट है और लोकसभा की 27 सीटें इस क्षेत्र में पड़ती हैं। जबकि RLD का वेस्ट यूपी में अच्छा प्रभाव है। इसके चलते जयंत के साथ आने से NDA को इस क्षेत्र में फायदा होने की उम्मीद है।
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में जिन 16 सीटों पर हार मिली थी, उनमें से 7 सीटें वेस्ट यूपी की थीं। इसके पीछे कारण यह था कि अब तक वेस्ट यूपी में जाट वोट भाजपा और रालोद के बीच बंट जाता था। हालांकि, मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से जाट वोटों का बड़ा हिस्सा भाजपा के खाते में चला गया था।

इसी वजह से 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में RLD को बागपत, मथुरा, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, कैराना, मेरठ जैसे अपने गढ़ में भी हार का सामना करना पड़ा। दोनों बार RLD का एक भी सदस्य लोकसभा में नहीं पहुंचा। अब भाजपा और RLD के साथ आने से जाट वोटों का बंटवारा रुक जाएगा। इससे भाजपा या RLD प्रत्याशियों को हराना सपा के लिए आसान भी नहीं होगा।


















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