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लेस्बियन कपल ने अनोखे तरीके से दिया बच्चे को जन्म, 2 गर्भ में रखकर किया दुनिया में स्वागत

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लेस्बियन कपल ने अनोखे तरीके से दिया बच्चे को जन्म, 2 गर्भ में रखकर किया दुनिया में स्वागत

Science’s Miracle: विज्ञान के चमत्कार अक्सर ही देखने को मिलते हैं। कुछ समय पहले इसी तरह का एक और चमत्कार देखने को मिला। क्या है विज्ञान का वो चमत्कार?

विज्ञान (Science) अब काफी एडवांस हो चुका है। अक्सर ही विज्ञान के क्षेत्र में नई-नई खोजें होती रहती हैं। अक्सर ही हमें विज्ञानं के चमत्कार भी देखने को मिलते रहते हैं। ऐसा ही एक और विज्ञान का चमत्कार कुछ समय पहले ही देखने को मिला है। दुनियाभर में समलैंगिक कपल्स (Same-Sex Couples) की तादाद बढ़ती जा रही हैं। समलैंगिक कपल्स के सामने जो सबसे बड़ी समस्या होती है वो है बच्चे पैदा करना। ऐसे में गे कपल्स जहाँ बच्चों को गोद ले लेते हैं, वहीं लेस्बियन कपल्स में महिलाओं के होने की वजह से गर्भधारण किया जा सकता है। पर इसके लिए भी अलग-अलग तरह की तकनीकें आजकल देखने को मिलती हैं। ऐसी ही एक तकनीक का इस्तेमाल करके ब्रिटेन (Britain) में एक लेस्बियन कपल ने एक बच्चे को जन्म दिया।


इनवोसेल तकनीक का किया इस्तेमाल

ब्रिटेन में एक लेस्बियन कपल ने कुछ समय पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया है। 30 वर्षीय एस्टेफानिया (Estefania) और 27 वर्षीय अजहारा (Azahara) ने 30 अक्टूबर को अपने बेटे डेरेक एलॉय (Derek Eloy) को जन्म दिया। इसके लिए दोनों ने एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जिसका नाम इनवोसेल (INVOcell) है।

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2 गर्भ में रहा बच्चा

इनवोसेल तकनीक के तहत मार्च में इस प्रोसेस की शुरुआत हुई और डेरेक को जन्म देने वाला अंडा एस्टेफेनिया के गर्भ में फूटा। बाद में उसे अजहारा के गर्भ में ट्रांसफर किया गया और उसने 9 महीने तक उसे अपने गर्भ में रखा।

किस तरह काम करती है प्रोसेस?

इसमें अंडे और स्पर्म होते हैं। यह प्रोसेस प्राकृतिक गर्भाधारण ही ही तरह है। इनवोसेल तकनीक में अंगूठे की साइज का एक छोटा कैप्सूल योनि के अंदर रखा जाता है। कैप्सूल को योनि के अंदर 5 दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है। एस्टेफेनिया और अजहारा के मामले में एस्टेफेनिया की योनि में 5 दिनों के लिए कैप्सूल छोड़ा गया। इससे डेरेक को जन्म देने वाला अंडा एस्टेफेनिया के गर्भ में फूटा। बाद में उसे अजहारा के गर्भ में ट्रांसफर किया गया और आगे की प्रोसेस उसी के गर्भाशय में हुई। गर्भाशय में ट्रांसफर करने से पहले भ्रूण की सही से जांच की गई। 9 महीने तक अजहारा ने भ्रूण को अपने गर्भ में रखा और डेरेक को जन्म दिया। इनवोसेल तकनीक में खास और नई बात यह है कि इसमें भ्रूण का अंडा दोनों के गर्भाशय में रखा जा सकता है और उसे समयानुसार एक से दूसरे गर्भाशय में ट्रांसफर किया जा सकता है।

कितना हुआ खर्चा?

जानकारी के अनुसार एस्टेफेनिया और अजहारा को इनवोसेल तकनीक के ज़रिए डेरेक को जन्म देने के लिए करीब 5,489 अमेरिकी डॉलर्स का खर्चा करना पड़ा।

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